लखनऊः बिना प्रमाण प्रैक्टिस पर प्रतिबंध लगाने की भेजी रिपोर्ट, खदरा के निजी अस्पताल की लापरवाही से आशा कार्यकर्ता की हुई थी मौत, जानें पूरा मामला
लखनऊ, अमृत विचार : किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय (केजीएमयू) से आशा कार्यकर्ता को खदरा के निजी अस्पताल में ऑपरेशन के दौरान बेहोशी देने वाला चिकित्सक सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) का था। दूसरे जनपद में तैनात चिकित्सक निजी अस्पतालों में ठेके पर बेहोशी देता था। जांच कमेटी ने आरोपी चिकित्सक को तलब किया था। लेकिन वह नहीं आया। इतना ही नहीं अस्पताल संचालक ने भी इससे सम्बंधित कोई रिकॉर्ड नहीं उपलब्ध कराया। लिहाजा कमेटी पास आरोपी चिकित्सक के सरकारी व निजी में होने का कोई भी प्रमाण नहीं है। इसके बाद भी जांच कमेटी ने प्रैक्टिस पर प्रतिबंध लगाने की संस्तुति एनएमसी से किया है। जानकारों का मानना है कि कमेटी की इस लापरवाही से आरोपी केस से बरी हो जाएगा।
लखीमपुर खीरी के महाराज नगर निवासी सुरेंद्र की पत्नी आशा कार्यकर्ता पूनम मौर्य (32) का इलाज केजीएमयू के ईएनटी विभाग में डॉ. रमेश की देखरेख में चल रहा था। आरोप है डॉ. रमेश ने मरीज को खदरा के केडी अस्पताल में 25 अक्टूबर को भर्ती कराया था। बेहोशी देने दौरान हुई लापरवाही से महिला की हालत बिगड़ गई थी। डॉ. रमेश ने महिला को फिर केजीएमयू के शताब्दी फेज 2 में भर्ती कराया था। 9 नवंबर को इलाज दौरान महिला की मौत हो गई थी। केजीएमयू प्रशासन ने डॉ. रमेश को बर्खास्त कर दिया था। मामले की जांच के लिए कमेटी गठित हुई थी। जांच कमेटी ने बेहोशी देने वाले डॉक्टर को तलब किया था। आरोप है सीतापुर की एक सीएचसी पर कार्यरत डॉक्टर ने महिला को बेहोशी दिया था। बेहोशी का डॉक्टर बयान दर्ज कराने तक नहीं आया।
तीन सदस्यीय जांच कमेटी में बलरामपुर के ईएनटी सर्जन डॉ. एपी सिंह, डॉ. एके श्रीवास्तव व डॉ. सोमनाथ ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि केजीएमयू से बर्खास्त डॉ. रमेश व बेहोशी देने वाले डॉक्टर को दोषी मानते हुए एनएमसी को पत्र भेजकर कार्रवाई की संस्तुति किया है। अहम बात यह है विभाग पास बेहोशी देने वाले डॉक्टर का कोई भी रिकार्ड नहीं है। नतीजा एनएमसी बिना रिकार्ड किस आधार पर बेहोशी डॉक्टर पर कार्रवाई करेगी। सीएमओ डॉ. एनबी सिंह के मुताबिक, अस्पताल संचालक से बेहोशी डॉक्टर का रिकार्ड मांगा गया है। जिसके बाद साफ होगा बेहोशी का डॉक्टर सरकारी सेवा में कार्यरत है या नहीं।
