Kanpur: आईडीएच में छाया न पानी, रह गए मात्र तीन बेड, सीएमओ और जीएसवीएम के प्राचार्य ने जाना अस्पताल का हाल, कही ये बात...

Kanpur: आईडीएच में छाया न पानी, रह गए मात्र तीन बेड, सीएमओ और जीएसवीएम के प्राचार्य ने जाना अस्पताल का हाल, कही ये बात...

कानपुर, अमृत विचार। जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज का संक्रामक रोग अस्पताल (आईडीएच) सिर्फ नाम का अस्पताल रह गया है, यहां मरीजों को मूलभूत सुविधाओं तक से वंचित रहना पड़ रहा है। गर्मी के मौसम में मरीजों को धूप में लाइन लगानी पड़ रही है। ऐसा इसलिए है क्योंकि कार्डियोलॉजी संस्थान द्वारा निर्माण कार्य कराने में मरीजों की सुविधाओं का ध्यान नहीं रखा जा रहा है। पानी की सुविधा नहीं है और न ही शौचालय की व्यवस्था है। वाहन से आने व जाने में भी मरीजों को काफी तकलीफ हो रही है। 30 बेड का अस्पताल तीन बेड का रह गया है। 

गोल चौराहा के पास दीना नाथ पार्वती बागला संक्रामक रोग अस्पताल में फ्लू ओपीडी संचालित होती है, इसके अलावा एंटीरैबिज, टिटनेस, चिकनपॉक्स, डिप्थीरिया व खसरा आदि संक्रामक रोगों का इलाज होता है। यहां के एआरटी सेंटर में एचआईवी, एचसीवी व एड्स के मरीजों का भी इलाज किया जाता है। अब इस संक्रामक अस्पताल को ध्वस्त करने का काम एलपीएस कार्डियोलॉजी संस्थान द्वारा किया जा रहा है, क्योंकि इस जगह पर कॉर्डियोलॉजी अपनी डे-केयर एंड इमरजेंसी का निर्माण करेगा। 

डे-केयर के निर्माण कराने के लिए कार्डियोलॉजी ने संक्रामक रोग अस्पताल को रेजिडेंशियल टाइप भवन में शिफ्ट कर दिया है, जिसकी वजह से मरीजों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। जानकारी होने पर शुक्रवार को सीएमओ डॉ.हरिदत्त नेमी, जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य प्रो. संजय काला, हैलट अस्पताल के प्रमुख अधीक्षक डॉ.आरके सिंह व कैंपस प्रभारी डॉ.संतोष बर्मन मौके पर पहुंचे और स्थिति देखी। निरीक्षण के दौरान सीएमओ नाखुश नजर आए। उन्होंने बताया कि जिलाधिकारी को रिपोर्ट देंगे, ताकि मरीजों को राहत मिल सके। 

30 बेड का अस्पताल रह गया तीन बेड का

सीएमओ ने बताया कि जानकारी मिली है कि संक्रामक रोग अस्पताल में 30 बेड की सुविधा थी और एआरटी सेंटर संचालित है। ओपीडी में दो सौ से तीन सौ मरीज इलाज के लिए आते हैं, लेकिन कार्डियोलॉजी संस्थान अब संक्रामक अस्पताल की जगह पर अपना एक अस्पताल तैयार करा रहा है, जिसकी वजह से संक्रामक रोग अस्पताल को एक भवन में शिफ्ट किया गया है। यहीं पर संक्रामक रोगी भी भर्ती हैं और ओपीडी का भी संचालन हो रहा है। मरीजों को इस गर्मी के मौसम में धूप में लाइन में लगनी पड़ रही है। पानी की सुविधा नहीं है और न ही शौचालय की व्यवस्था है। 30 बेड का अस्पताल तीन बेड का रह गया है। 

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