लखनऊ: रक्तदान शिविर में अमृत विचार ने किया ''अमृत'' का संग्रह

रक्तदान देश सेवा से कम नहीं,  21 लोगों ने किया रक्तदान

लखनऊ: रक्तदान शिविर में अमृत विचार ने किया ''अमृत'' का संग्रह

लखनऊ, अमृत विचार । मानव शरीर के लिए खून अमृत के समान होता है। कई बीमारियों या हादसे में घायल होने पर इसी रक्त रूपी अमृत की कमी से मानव जीवन संकट में पड़ जाता है। बॉर्डर पर तनाव चल ही रहा है। लोगों की जरूरतों को देखते हुए अमृत विचार ने शनिवार को 16-ए जॉपलिंग रोड स्थित कार्यालय में रक्तदान शिविर लगाकर इसी ''अमृत'' का ''संग्रह'' किया। अमृत विचार दैनिक समाचार पत्र ने चैतन्य वेलफेयर फाउंडेशन और बलरामपुर अस्पताल की ब्लड बैंक यूनिट की मदद से रक्तदान शिविर का आयोजन किया। इस शिविर में 21 लोग रक्तदान कर ''महादानी'' बने। उन्हें प्रमाणपत्र दिए गए। छह महादानियों को प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया। इस अवसर पर चिकित्सकों ने लोगों के अंदर से रक्तदान को लेकर भ्रांतियां दूर कीं।

अमृत विचार

सुबह 9:30 बजे रक्तदान शिविर की शुरुआत केजीएमयू के गेस्ट्रो सर्जरी विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. अभिजीत चंद्रा, बाबू सुंदर सिंह ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूट के चेयरमैन आनंद सिंह शेखर, बलरामपुर अस्पताल की डॉ. शुभी यादव, अमृत विचार समाचार पत्र के कार्यकारी संपादक अनिल त्रिगुणायत, जनरल मैनेजर त्रिनाथ शुक्ला और चैतन्य वेलफेयर एसोसिएशन की संस्थापक व मनोवैज्ञानिक ओम कुमारी सिंह ने दीप प्रज्ज्वलित कर की। इस मौके पर ओम सिंह ने बताया कि संस्था की स्थापना 2016 में की थी। तब से प्रत्येक वर्ष कम से कम 2 बार रक्तदान शिविर का आयोजन होता आ रहा है। संख्या गिनना थोड़ा मुश्किल है, लेकिन प्रत्येक शिविर में रक्तदाताओं की न्यूनतम संख्या 25 रहती है। शिविर में प्राप्त डोनर कार्ड से गरीब और जरूरतमंदों को निःशुल्क रक्त दिलाने के उद्देश्य से ही ये कैंप निरंतर करवा रही हूं। कार्यकारी संपादक ने भरोसा दिलाया कि अमृत विचार में आगे भी ऐसे शिविर आयोजित होते रहेंगे। इस मौके पर चैतन्य वेलफेयर से राज कुमार यादव, फ्लोरेंस पाठक, मोहम्मद इलियास और पवन मौजूद रहे।

खून की कमी से हर साल 30 लाख लोगों की होती है मौत

ओम सिंह नई

समाजसेवी ओम सिंह ने बताया कि आंकड़ों के मुताबिक देश में खून की कमी से हर साल 30 लाख से ज्यादा लोगों की मौत हो जाती है, जबकि इस कमी को मात्र एक फीसद आबादी रक्तदान कर पूरा कर सकती है। हैरानी की बात है कि विश्व की सबसे बड़ी आबादी वाला देश होने के बावजूद भारत रक्तदान में काफी पीछे है। देश में हर साल बीमारियों या गंभीर दुर्घटनाओं में घायल लोगों को करीब एक करोड़ बीस लाख यूनिट खून की जरूरत पड़ती है। इसमें से मात्र 90 लाख यूनिट रक्त ही उपलब्ध हो पाता है और करीब 30 लाख लोगों को समय पर खून नहीं मिल पाता है। आंकड़े बताते हैं कि रक्तदान के प्रति छोटी सी जागरूकता इस समस्या को पूरी तरह से खत्म कर सकती है।

मधुमेह रोगी भी कर सकते हैं रक्तदान

डा.शुभी

बलरामपुर अस्पताल की डॉ. शुभी यादव ने बताया कि अक्सर मधुमेह रोगी रक्तदान करने से पीछे हट जाते हैं, उनका मानना होता है कि वह रक्तदान नहीं कर सकते हैं जबकि यह पूरी तरह से सत्य नहीं है। अगर मरीज इंसुलिन नहीं ले रहा है और शुगर नियंत्रित है, दो सप्ताह से दवा में कोई बदलाव नहीं किया गया है तो वह सामान्य व्यक्ति की तरह ही रक्तदान कर सकता है। ठीक इसी तरह ब्लड प्रेशर के मरीजों के साथ भी है। हालांकि, हृदय रोगियों को रक्तदान नहीं करना चाहिए।

हार्ट अटैक का भी खतरा कम करता है रक्तदान

डॉ. अभिजीत

केजीएमयू के डॉ. अभिजीत चंद्रा ने बताया कि रक्तदान को लेकर समाज में ऐसी मानसिकता बनी हुई है कि रक्तदान करने के बाद शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है। लेकिन ऐसा बिल्कुल नहीं होता। रक्तदान करने से किसी भी तरह का नुकसान नहीं है बल्कि फायदे बहुत हैं। इससे हार्ट अटैक का खतरा भी कम हो जाता है, अन्य बीमारियां भी समय से पकड़ में आ जाती हैं। एक बार जब हम रक्तदान करते हैं तो हमारा पुराना रक्त अस्थि मज्जा नया रक्त बनाने के लिए उत्तेजित हो जाता है जो शरीर के लिए मजबूत और अधिक उपयोगी होता है। 18-55 साल के उम्र वाले कोई भी हेल्दी व्यक्ति रक्तदान कर सकता है। उन्होंने बताया कि प्रदेश में रक्तदान में सुधार हुआ है। रक्तदान के लिए विशेष रूप से युवा आबादी की मानसिकता में बदलाव के साथ-साथ बुजुर्ग आबादी की प्रेरणा की आवश्यकता है। बच्चों को रक्तदान के फायदे बताने की जरूरत है ताकि वे रक्तदान के प्रति अपनी आशंकाओं को दूर कर सकें।

रक्तदान के फायदे

1- हार्ट अटैक की संभावनाएं कम होती हैं। क्योंकि रक्तदान से खून का थक्का नहीं जमता, इससे खून कुछ मात्रा में पतला हो जाता है और हार्ट अटैक का खतरा कम हो जाता है।

2- वजन कम करने में मदद मिलती है। इसीलिए हर साल कम से कम 2 बार जरूर रक्तदान करना चाहिए।

3- शरीर में एनर्जी आती है। क्योंकि दान के बाद नए ब्लड सेल्स बनते हैं, जिससे शरीर में तंदरूस्ती आती है।

4- लिवर से जुड़ी समस्याओं में राहत मिलती है। शरीर में ज़्यादा आयरन की मात्रा लिवर पर दबाव डालती है और रक्तदान से आयरन की मात्रा बैलेंस हो जाती है।

5- आयरन की मात्रा को बैलेंस करने से लिवर हेल्दी बनता है और कैंसर का खतरा भी कम हो जाता है।

इन लोगों ने किया रक्तदान

निर्मल सैनी, पवन कुमार सिंह, श्रवण सिंह, शिवकुमार, विनय सिंह, विजय सिंह, मानव सिंह, प्रदीप पात्रा, सनी कुमार, डॉ. विनय सिंह, आशीष मिश्रा, शिव शंकर सिंह, अक्षत लहरी, आशुतोष कुमार सिंह, सीबी अग्रवाल, अमित मेहरोत्रा, ऋचा मेहरोत्रा, यश रस्तोगी, हरिओम शुक्ला, संतोष और विजय रोहिरा

रक्तदान कराने वाली मेडिकल टीम

डॉ. शुभी यादव
डॉ. मोहित
रुचि मिश्रा
मंजू वर्मा
अमरनाथ यादव
सुनीता
दीप चंद्र
आदित्य

जागरूक होकर बचा सकते हैं लोगों की जान

केजीएमयू स्थित गेस्ट्रो सर्जरी विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. अभिजीत चंद्रा ने कहा कि रक्तदान सिर्फ खून देना ही नहीं, यह समाज में सबसे बड़ा पुण्य का काम है। इससे लोगों की जिंदगी बचती है। लोगों को इसके प्रति अभी और भी जागरूक होने की जरूरत है।

बाबू सुंदर सिंह ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूट के चेयरमैन आनंद शेखर सिंह ने कहा कि खून देकर आप किसी को नई जिंदगी देते हैं। आपको पता ही नहीं होता है कि आपका खून किसे मिलेगा। यह एक पुनीत कार्य है। सभी को ऐसे आयोजनों में बढ़चढ़कर हिस्सा लेना चाहिए।

भाजपा कार्यकर्ता ममता सिंह गौरी ने कहा कि खुद की देखरेख न कर पाने के कारण महिलाएं एनीमिया की शिकार हो जाती हैं। उन्हें खून की जरूरत पड़ती है। ऐसे में लड़कियों और महिलाओं को ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है। आज के शिविर में कई लड़कियां रक्तदान के लिए आईं थीं, लेकिन हीमोग्लोबिन कम होने के कारण नहीं दे सकीं।

समाजसेवी आलोक निगम ने कहा कि अक्सर देखा गया है कि किसी को खून की जरूरत पड़ने पर उसके अपने लोग ही पीछे हट जाते हैं। शिविरों में दान में मिलने वाला खून ही ऐसे लोगों की जान बचाने में मदद करता है। साथ ही रेयर ग्रुप का खून भी शिविरों से ही मिलता है।

यूपी पुलिस के सब इंस्पेक्टर जीतेंद्र सिंह ने कहा कि रक्तदान को लेकर जागरूकता बढ़ रही है। शिविर लगाने का अमृत विचार और चैतन्य वेलफेयर फाउंडेशन का एक सराहनीय प्रयास है। ज्यादा से ज्यादा लोगों को रक्तदान करना चाहिए। पुलिस परिवार की ओर से भी शिविर लगाए जाते हैं।

ये हैं महादानी, सेवा सम्मान से नवाजे गए

पवन सिंह अब तक 40 बार रक्तदान कर चुके हैं। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि जरूरत पड़ने पर अपने ही लोग मरीज से दूरी बना लेते हैं। ऐसे में शिविरों से मिला खून ही उनकी जिंदगी बचाता है। रक्तदान कर एक अलग ही सुखद अनुभूति होती है। युवाओं को आगे आना चाहिए।

समाजसेवी प्रदीप पात्रा अब तक 18 बार रक्तदान कर चुके हैं, इस अवसर पर उन्होंने कहा कि रक्तदान करने से आप स्वस्थ रहेंगे, नया रक्त बनेगा, आपको भी खुशी महसूस होगी, आपके रक्त से किसी का जीवन बच सकता है। हालांकि, बीते कुछ सालों में रक्तदान को लेकर जागरूकता बढ़ी है।

28 बार रक्तदान कर महादानी बने जीतेंन्द्र सिंह ने कहा कि हमारे खून से किसी की जिंदगी बचती है, यह सोच हमें रक्तदान के लिए प्रेरणा देती है। रक्तदान करके हमें बहुत खुशी मिलती है। हम दूसरों को भी इसके प्रति जागरूक करते हैं।

30 बार रक्तदान कर महादानी बने विकी कनौजिया ने कहा कि हमें सोचना होगा कि खून किसी मशीन में नहीं बनता है। हमारे शरीर से ही निकला खून किसी जरूरतमंद की जान बचाता है। रक्तदान से शरीर में कोई नुकसान नहीं है, बल्कि स्वास्थ्य को लेकर कई लाभ हैं।

7 बार रक्तदान कर चुके विजय सिंह ने कहा कि अमृत विचार में रक्तदान शिविर का आयोजन सराहनीय पहल है। खून की जरूरत को हम समझते हैं। खुद ही रक्तदान करने के साथ ही दूसरों को भी जागरूक करते हैं।

समाजसेवी मोहित शर्मा ने कहा है कि हमारा खून से किसी को जिंदगी मिलती है, इससे खुशी की और क्या बात हो सकती है। जरूरतमंदों की सेवा करना इससे बेहतर और कोई माध्यम नहीं है। युवाओं को इसके प्रति ज्यादा जागरूक होने की जरूरत है।

अब तक यश रस्तोगी ने 13 बार रक्तदान किया है, इस अवसर पर उन्होंने कहा कि हम 13 साल से अपने जन्मदिन पर रक्तदान करते हैं। आज भी मेरा जन्मदिन है। रक्तदान करके हमें बहुत खुशी मिलती है। दूसरों को भी जागरूक करता हूं।

दंपती ने एक साथ किया रक्तदान

महानगर निवासी अमित मेहरोत्रा पत्नी ऋचा मेहरोत्रा के साथ रक्तदान करने पहुंचे थे। अमित दूसरी और ऋचा ने पहली बार रक्तदान किया। ऋचा ने बताया कि शुरुआत में उसे बहुत डर लग रहा था। पति के हौसला बढ़ाने पर वह राजी हुईं। रक्तदान करके बहुत खुश हैं, अब यह सिलसिला चलता रहेगा।

13 लोग नहीं कर सके रक्तदान, मायूस होकर लौटे

रक्तदान करने पहुंचे 13 लोग रक्तदान नहीं कर सके। इन्हें उच्च रक्तचाप, कम वजन और हीमोग्लोबिन कम होने की समस्या थी। इस पर बलरामपुर अस्पताल की डॉ. शुभी यादव ने खानपान को लेकर जागरूक किया।

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