कानपुर: गर्मी से टमाटर को आहार मिला कम, आकार हुआ छोटा
.jpg)
गर्मी से पत्तियों के गिर जाने से 14 फीसदी प्रभावित हुई पैदावार,फसल के अंतिम चरण में वैज्ञानिकों ने फसल प्रबंधन पर दिया जोर
Weather impact on tomato crop : इस बार समय से पहले पड़ी तेज गर्मी ने टमाटर की फसल पर सीधा असर डाला है। अंतिम दौर पर पहुंच चुकी टमाटर की फसल इससे खासतौर पर प्रभावित हुई है। वैज्ञानिकों ने इसकी वजह गर्मी की वजह से टमाटर की पत्तियों का जल्द गिर जाना माना है। उनका कहना है कि पत्तियों के गिरने से टमाटर की फसल को उचिव आहार नहीं मिल सका।
बाजार में आने वाले अंतिम फसल के टमाटर अपने औसत आकार से छोटा आया है। आकार में छोटा होने के चलते उसे खरीदार भी कम मिले हैं। इस पर कृषि वैज्ञानिकों ने बताया कि नवंबर में बोया गया टमाटर मार्च के अंतिम सप्ताह और अप्रैल में समय से पहले पड़ी गर्मी से प्रभावित हुआ। समय से पहले बढ़े तापमान की वजह से टमाटर की पत्तियां सूख गई। इससे टमाटर की फसल को पत्तियों से मिलने वाला जरूरी आहार जैसे सूक्ष्म पोषक तत्व पूरी मात्रा में नहीं मिल सके। इसका प्रभाव टमाटर के आकार पर पड़ा। टमाटर 15 से 20 ग्राम प्रति फल छोटा व हल्का हो गया। फसल की बात की जाए तो कानपुर व आस-पास के क्षेत्र में इससे टमाटर की 12 से 14 फीसदी तक फसल इस बार प्रभावित हुई। सब्जी विज्ञान विभाग के सस्य वैज्ञानिक डॉ. राजीव ने बताया कि इस बार अप्रैल महीने के शुरुआती सप्ताह में औसत तापमान में काफी अधिकता रही। इससे टमाटर की फसल का प्रभाव बाजारों मे भी दिखा। यही वजह रही बाजारों में आई टमाटर की अंतिम खेप खरीदारों को पसंद नहीं आई।
पैदावार पर भी असर
बाजार में टमाटर की इस बार आवक भी पिछले सीजन के मुकाबले काफी कम हुई । थोक कारोबारियों ने बताया कि कानपुर मंडल में संकर प्रजाति का टमाटर औसत 4 सौ से 450 कुंटल प्रति हेक्टेयर व गैर संकर प्रजाति का टमाटर 2 सौ से 250 कुंटल प्रति हेक्टेयर पैदावार होती है। इसी अनुपात में टमाटर सीजन में बाजार में आता है। इस बार कानपुर के आस-पास के क्षेत्र से आने वाले टमाटर की आवक बाजार में 15 से 20 फीसदी कम हुई है। इसकी वजह से टमाटर बाजार में पिछले सीजन के मुकाबले महंगा बिका।
यह भी पढ़ें:- कानपुर : चिड़ियाघर आसपास 1 किमी रेड जोन घोषित, मुर्गी फार्मों के सैंपल लिए