आउटसोर्स कर्मियों की हुंकार! अनिश्चितकालीन कार्य बहिष्कार का ऐलान, प्रबंधन-बिजली कर्मी आमने-सामने
लखनऊ, अमृत विचार। ऊर्जा निगमों के निजीकरण के विरोध में आउटसोर्स कर्मी 17 जून से अनिश्चितकालीन कार्य बहिष्कार शुरू करेंगे। विद्युत संविदा कर्मचारी महासंघ उप्र के घटक संगठनों की मंगलवार को हुई बैठक में यह निर्णय लिया गया। बैठक में निजीकरण वापस लिए जाने समेत छंटनी किए गए संविदा कर्मियों को वापस रखने, आयु सीमा बढ़ाकर 60 वर्ष किए जाने, श्रमिकों को 22 हजार व लाइनमैन, उपकेंद्र परिचालक व कंप्यूटर आपरेटर को 25 हज़ार रुपये वेतन दिए जाने और सेवाकाल में मृत्यु की दशा में आश्रित को बीस लाख रुपये की बीमा राशि उपलब्ध किए जाने की मांग की गई।
बैठक की अध्यक्षता महासंघ के प्रांतीय अध्यक्ष आरएस राय ने की। बैठक में विद्युत संविदा मजदूर संगठन उप्र के प्रभारी पुनीत राय, विद्युत संविदा कर्मचारी संघ उप्र के अध्यक्ष मो कासिफ, केस्को संविदा कर्मचारी संगठन कानपुर के महामंत्री दिनेश सिंह भोले, निविदा संविदा कर्मचारी सेवा समिति के प्रांतीय अध्यक्ष विनोद कुमार, विद्युत निविदा संविदा कर्मचारी सेवा संघ उप्र के महामंत्री अमित खारी, मुदस्सिर राजपूत, शाहरुख खान, सोनू जाटव, मलिक पांडेय, सुरेंद्र शर्मा, अनुराग श्रीवास्तव, बृजपाल शर्मा, विमलेश कुमार, परवेंद्र आदि लोग शामिल हुए।
29 मई से अनिश्तिकालीन कार्य बहिष्कार
ऊर्जा निगमों के निजीकरण के विरोध में बिजली कर्मी 29 मई से अनिश्तिकालीन कार्य बहिष्कार शुरू करेंगे। विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति उत्तर प्रदेश के पदाधिकारियों की बैठक में यह निर्णय लिया गया। इस बीच, शक्ति भवन के सामने चल रहा नियमानुसार कार्य आंदोलन जारी रहा। आंदोलन के दौरान शक्ति भवन का प्रवेश द्वार सारा दिन बंद रहा।
संघर्ष समिति के आह्वान पर प्रदेश के सभी जिलों व परियोजना मुख्यालयों पर बिजली कर्मियों ने विरोध प्रदर्शन किया। संघर्ष समिति के पदाधिकारियों ने कहा कि 21 मई से सभी जिलों व परियोजना मुख्यालयों पर अपरान्ह दो बजे से शाम पांच बजे तक विरोध प्रदर्शन किया जाएगा। विरोध प्रदर्शन का यह कार्यक्रम 28 मई तक चलेगा।
नई बिजली दरों के प्रस्ताव पर प्रबंधन व बिजली कर्मी आमने-सामने
राज्य विद्युत नियामक आयोग में दाखिल किये गये संशोधित बिजली दरों के प्रस्ताव पर उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन प्रबंधन व बिजली कर्मी आमने-सामने आ गए हैं। विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति उत्तर प्रदेश ने कहा कि पावर कॉरपोरेशन ने फर्जीवाड़ा कर झूठे आंकड़े प्रस्तुत किया है और घाटा दिखाकर दरें बढ़ाने का प्रयास किया जा रहा है, जबकि कॉरपोरेशन प्रबंधन ने कहा कि भ्रामक व मनगढ़ंत आरोप लगाकर जनता में भ्रम फैलाने की कोशिश की जा रही है।
कॉरपोरेशन के मुख्य अभियंता (वाणिज्य) डीसी वर्मा व मुख्य महाप्रबंधक (वित्त) सचिन गोयल ने बताया कि कॉरपोरेशन की ओर से जो भी आंकड़े प्रस्तुत किये जाते हैं वे सभी आंकड़े विभाग में कार्यरत अभियंताओं के जरिये ही बनाये जाते हैं। इस तरह अपने खुद के सहयोगियों या सहकर्मियों द्वारा प्रस्तुत किये गये आंकड़ों को गलत, बढ़ा-चढ़ाकर या फर्जी बताना कहां तक सही है। यह पूरी तरह भ्रामक और असत्य आरोप है। कारपोरेशन ने जो भी आर्थिक लेखा जोखा प्रस्तुत किया है, वह पूरी तरह सही व तथ्यपरक है।
संघर्ष समिति के संयोजक शैलेंद्र दुबे ने कहा है कि कॉरपोरेशन की ओर से जारी बयान में संघर्ष समिति की ओर से पूछे गए किसी भी प्रश्न का उत्तर नहीं दिया गया है। कुछ दिन पहले कॉरपोरेशन में वार्षिक राजस्व आवश्यकता में 9206 करोड़ रुपए का घाटा बताया था, अब इसे पुनरीक्षित कर 19,000 करोड़ रुपए का घाटा किस आधार पर बताया जा रहा है।
ऊर्जा मंत्री कह चुके हैं लाइन हानियां घटीं
संघर्ष समिति ने कहा कि बैलेंस शीट में एटीएंडसी हानियां 16.5 प्रतिशत दर्शाई गई हैं। ऊर्जा मंत्री एके शर्मा ने भी कई बार सोशल मीडिया पर हानियां 41 प्रतिशत से घटकर 16.5 प्रतिशत रह जाने की बात कह चुके हैं, अब किस आधार पर कॉरपोरेशन इसे ज्यादा बता रहा है। उन्होंने कहा कि कॉरपोरेशन आम जनता पर 30 प्रतिशत महंगी बिजली का भार थोपना चाह रहा है।
कॉरपोरेेशन का नया प्रस्ताव तथ्यों से परे-उपभोक्ता परिषद
उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने कहा कि पावर कॉरपोरेशन की ओर से नई बिजली दरों का पेश किया गया संशोधित प्रस्ताव तथ्यों से परे है। परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि 54 लाख उपभोक्ताओं को एक बार भी बिजली बिल का भुगतान नहीं किये जाने की बात कही जा रही है, जबकि कॉरपोरेशन ने इन्हें सौभाग्य योजना के तहत निशुल्क बताकर कनेक्शन जारी कर दिये थे। ऐसे उपभोक्ताओं के 75 प्रतिशत बिजली बिल गलत आ रहे हैं।
ये भी पढ़े : E-NAM से जुड़ी 37 मंडी, कृषि बाजार में डिजिटलीकरण से सीधे होगा कारोबार
