विवाह पंजीकरण नियम में होगा बदलाव, हाईकोर्ट ने यूपी सरकार को दिया निर्देश, फर्जी विवाह पर लगेगी रोक

Amrit Vichar Network
Published By Virendra Pandey
On

प्रयागराज, अमृत विचार। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने स्वप्रेरित रिट क्षेत्राधिकार का प्रयोग करते हुए राज्य सरकार को उत्तर प्रदेश विवाह पंजीकरण नियम, 2017 को 6 महीने के अन्दर संशोधित करने का निर्देश दिया, जिससे एक मजबूत विवाह पंजीकरण तंत्र अस्तित्व में लाया जा सके, जो विवाह की वैधता और पवित्रता सुनिश्चित करे।

कोर्ट ने इस बात पर जोर दिया कि निस्संदेह वयस्क होने पर प्रत्येक नागरिक को जीवन साथी चुनने या लिव-इन रिलेशनशिप में प्रवेश करने का मौलिक अधिकार है, लेकिन इस अधिकार का प्रयोग वैधानिक प्रावधानों को दरकिनार करके या संविधान के अनुच्छेद 21 का हवाला देकर सुरक्षा की मांग करते हुए न्यायालय में जाली और मनगढ़ंत दस्तावेज़ प्रस्तुत करके नहीं किया जा सकता है। राज्य और उसके तंत्रों की सामूहिक जिम्मेदारी बनती है कि दस्तावेजों के पूर्ण सत्यापन के लिए एक मजबूत तंत्र स्थापित कर विवाह संपन्न कराने और पंजीकरण में शामिल ट्रस्टों और सोसायटियों की कड़ी जवाबदेही सुनिश्चित की जाए। उक्त टिप्पणी न्यायमूर्ति विनोद दिवाकर की एकलपीठ ने शनिदेव सहित भगोड़े दम्पतियों द्वारा सुरक्षा की मांग करते हुए दाखिल 125 याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई करते हुए की।

कोर्ट ने विवाह पंजीकरण नियम, 2017 को संशोधित करने का निर्देश जाली दस्तावेजों के जरिए फर्जी विवाह पंजीकरण कराने में शामिल दलालों के एक संगठित रैकेट के उभरने के महीनों बाद दिया। कोर्ट ने महिला एवं बाल विकास विभाग के प्रधान सचिव को नियम, 2017 में कुछ संशोधन करने के निर्देश दिए जैसे, विवाह के धार्मिक रीति-रिवाजों, अनुष्ठानों का खुलासा अनिवार्य हो। विवाह अधिकारियों को आपत्तियां उठाने, संदेह के आधार पर आवेदनों को अस्वीकार करने का अधिकार हो। इसके साथ ही विवाह कराने वाली संस्थाओं को जवाबदेही के लिए आयु और निवास प्रमाण की छायाप्रति रखना अनिवार्य होगा। फर्जी आयु दस्तावेजों के उपयोग को रोकने के लिए पंजीकरण के साथ ऑनलाइन आयु सत्यापन प्रणाली को एकीकृत करना होगा और इसके साथ ही आयु और विवाह दस्तावेजों के सत्यापन के बाद ही विवाह अधिकारी विवाह पंजीकृत करें। उक्त नियमों के निर्माण तक कोर्ट ने स्टांप एवं पंजीकरण महानिरीक्षक को विवाह पंजीकरण से संबंधित कुछ विशिष्ट निर्देश जारी किए, जिनमें यूपी में विवाह पंजीकरण के लिए वर और वधू का आधार-आधारित प्रमाणीकरण, दोनों पक्षों और दो गवाहों का बायोमेट्रिक डेटा और फोटो, तथा डिजीलॉकर, सीबीएसई, यूपी बोर्ड, सीआरएस, पासपोर्ट, पैन, ड्राइविंग लाइसेंस और सीआईएससीई जैसे आधिकारिक पोर्टलों के माध्यम से सख्त आयु सत्यापन की आवश्यकता बताई। अगर ऑनलाइन रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं हैं, तो मूल प्रमाण पत्र या सीएमओ द्वारा जारी आयु प्रमाण का उपयोग किया जाए। सभी पक्षों के लिए पहचान, पता और आयु के लिए एक वैध आईडी अपलोड की जानी चाहिए। विवाह संपन्न कराने वाले व्यक्ति को पंजीकरण के समय शपथ-पत्र प्रस्तुत करना होगा। इसमें नाम, पिता का नाम, पता, आधार/आईडी, मोबाइल नंबर, फोटो, विवाह संपन्न कराने की घोषणा और समारोह का वीडियो (भागे हुए जोड़ों के लिए अनिवार्य) शामिल होना चाहिए। 

पंजीकरण के दौरान पुरोहित को रजिस्ट्रार के कार्यालय में शारीरिक रूप से उपस्थित होना होगा। विवाह का पंजीकरण केवल वहीं किया जा सकता है, जहां किसी एक पक्ष के माता-पिता सामान्यतः निवास करते हों। सहायक महानिरीक्षकों को कार्यान्वयन की देखरेख करनी होगी और मासिक अनुपालन प्रविष्टि भी दर्ज करनी होगी। उपरोक्त अंतरिम निर्देश विशेष रूप से घर से भागे हुए जोड़ों के विवाह के पंजीकरण पर लागू होंगे। कोर्ट ने यह भी बताया कि अगर विवाह पंजीकरण के समय पक्षकारों के परिवारों में से कोई भी एक सदस्य उपस्थित होता है तो विवाह अधिकारी उपरोक्त शर्तों में पूर्णतः या आंशिक रूप से राहत दे सकता है।

यह भी पढ़ें: IPL 2025: मुंबई इंडियंस को लगा झटका, रोहित शर्मा 5 रन बनाकर हुए आउट

संबंधित समाचार