अपहरण के मामलों में पुलिस अधिकारियों की जवाबदेही तय होनी चाहिए: इलाहाबाद हाईकोर्ट

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Published By Deepak Mishra
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प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपहरण के मामलों में पुलिस की उदासीनता पर कड़ा रूख अपनाते हुए कहा कि पुलिस अधिकारी अक्सर अपनी छवि बड़ी बनाने के लिए प्रयासरत रहते हैं, लेकिन वे जनता की शिकायतें सुनने और उनका समाधान करने से बचते प्रतीत होते हैं।

कोर्ट ने कहा कि अपहरण के मामलों में पुलिस अधिकारी आमतौर पर उदासीनता दिखाते हैं, क्योंकि अधिकारियों की कोई व्यक्तिगत जिम्मेदारी तय नहीं की जाती है। जवाबदेही की कमी और निष्क्रियता के कारण अक्सर अपहरण की घटनाएं हत्या में बदल जाती हैं। 

कोर्ट ने माना कि अगर अपहृत व्यक्ति का शीघ्र पता न लगाने के कारण पीड़ित की हत्या हो जाती है तो प्रथम दृष्टया अपहरण की जिम्मेदारी उस पुलिस अधिकारी पर तय की जानी चाहिए, जिसके अधिकार क्षेत्र में अपहरण की रिपोर्ट दर्ज की गई थी और जिसकी निष्क्रियता के कारण पीड़ित को बरामद न किया जा सका, जिसके बाद घातक परिणाम सामने आए। 

उक्त टिप्पणी न्यायमूर्ति जे जे मुनीर और न्यायमूर्ति अनिल कुमार (दशम) की खंडपीठ ने नितेश कुमार की याचिका पर सुनवाई करते हुए की, साथ ही प्रदेश सरकार और अन्य विपक्षियों को नोटिस जारी करते हुए वाराणसी के पुलिस आयुक्त को सुनवाई की अगली तारीख यानी 12 जून तक या उससे पहले एक व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है, जिसमें यह बताया जाए कि अपहृत व्यक्ति को अब तक बरामद क्यों नहीं किया जा सका है। 

याची द्वारा अपने भाई के लापता होने पर वर्तमान याचिका दाखिल की गई जिसमें यह दावा किया गया कि वाराणसी के संबंधित पुलिस अधिकारी उसके भाई का पता नहीं लग पा रहे हैं या पता लगाने के लिए तत्परता नहीं दिखा रहे हैं।

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