शाहजहांपुर : कल्लू-नज्जू गिरोह के सदस्य देवेंद्र फौजी को हत्या के प्रयास में 10 वर्ष की कैद
वर्ष 2000 की इस घटना में दो लोग हो गए थे घायल, 25 साल बाद आया फैसला
शाहजहांपुर, अमृत विचार: जनपद पीलीभीत के थाना बीसलपुर के गांव पटनिया उर्फ परनिया निवासी कल्लू-नज्जू गिरोह के सदस्य देवेंद्र उर्फ फौजी को हत्या के प्रयास में दोषी पाते हुए कोर्ट ने 10 वर्ष के कारावास की सजा और अर्थदंड से दंडित किया है।
फौजी के खिलाफ थाना परौर के गांव दहेलिया निवासी प्रधान गिरंद सिंह ने चार अप्रैल 2000 को रिपोर्ट दर्ज कराई थी कि फौजी ने उसके भाई बदन सिंह को आज से छह माह पूर्व कल्लू व नज्जू गिरोह ने अपहरण कर थाना मदनापुर के गांव महोनिया में हत्या कर दी थी। बदन सिंह का शव चचुआपुर की कटरी में मिला था। इस मामले में उसने कल्लू-नज्जू गिरोह के खिलाफ मदनापुर थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई थी, इसलिए गिरोह के सदस्य उससे व उसके परिवार से रंजिश मान रहे थे। चार अप्रैल 2000 को गिरंद व उसके चारों भाई, महिलाएं व बच्चे घर पर मौजूद थे, गांव मंझा निवासी साले जसवीर व भाई के साले थाना जलालाबाद के गांव पेना भुड़िया निवासी ओमेंद्र सिंह रिश्तेदारी में घर पर आए हुए थे। शाम 7:30 बजे जैसे ही सभी लोग खाना खाने को तैयार हुए तभी गिरोह के कल्लू निवासी पूरननगला, बचनू, कल्लू का भाई व नज्जू, महेश, दिनेश, खासदेव, बुल्लू, महेश, सुरेंद्र, देवेंद्र, भूरे व महावीर व अन्य तीन चार बदमाश दरवाजे पर आए और उसे वह उसके परिवार को गालियां देते हुए ताबड़तोड़ फायरिंग करने लगे, इसी दौरान गिरंद अपने भाइयों वीरपाल, सत्यपाल लाइसेंसी बंदूक, रायफल लेकर छत पर चढ़ गए और कोठरी की आड़ लेकर अपने बचाव में बदमाशों की तरफ फायर किए, गिरोह छत पर चढ़ने का प्रयास कर रहा था, फायरों की आवाज सुनकर गांव दहिलिया में लगी पुलिस की सुरक्षा गारद ने भी बदमाशों पर फायर किए, तब बदमाश अपने को घिरा समझकर भाग खड़े हुए।
बदमाशों की ओर से किए गए फायरों से ओमेंद्र व जसवीर के छर्रे लगे। पुलिस ने कल्लू , देवेंद्र आदि के खिलाफ मामले की रिपोर्ट दर्ज कर विवेचना के उपरांत न्यायालय में आरोप पत्र प्रेषित किया। अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश कक्ष संख्या 10 में मुकदमे की सुनवाई के दौरान गवाहों के बयान व शासकीय अधिवक्ता श्रीपाल वर्मा के तर्को को सुनने के बाद पत्रावली का अवलोकन कर न्यायाधीश पंकज कुमार श्रीवास्तव ने अभियुक्त देवेंद्र उर्फ फौजी को हत्या का प्रयास में दोषी पाते हुए उसे 10 वर्ष के कारावास की सजा और सात हजार रुपये के अर्थदंड से दंडित किया।
