लखनऊ : देश में हजारों मरीज हर साल अंगों की प्रतीक्षा में दम तोड़ रहे, जागरूकता से बचेगी जान
.jpg)
लखनऊ, अमृत विचार। अंगदान को लेकर जागरुकता बढ़ी है। लेकिन जरूरतमंदों की लिस्ट अधिक लंबी है। इस दिशा में अभी और काम करने की जरूरत है। देश में हजारों मरीज हर साल अंगों की प्रतीक्षा में दम तोड़ देते हैं। अंगदान के प्रति लोगों में जागरूकता फैलाकर हम कई जिंदगियां बचा सकते हैं। यह बातें पीजीआई नेफ्रोलॉजी विभाग के अध्यक्ष डॉ. नारायण प्रसाद ने कही।

डॉ. नारायण प्रसाद केजीएमयू के ब्राउन हाल में डीन स्टूडेंट वेलफेयर प्रो. (डॉ.) आरएएस कुशवाहा और आलम्बन एसोसिएट्स चैरिटेबल ट्रस्ट के सहयोग से अंगदान जागरूकता एवं स्वास्थ्य भविष्य के लिए योग विषय पर बुधवार को आयोजित कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा सड़क दुर्घटना के शिकार होने के बाद एक फीसदी भी ब्रेन डेड के केसों में अगर उनके परिजन अंग दान को लेकर आगे आएं तो न जाने कितनी जिंदगियां बचाई जा सकती हैं। उन्होंने कहा कि अंग नष्ट न करके उससे किसी को जिंदगी जरूर देना चाहिए। इस अवसर पर मुख्य अतिथि के तौर पर सांसद बृजलाल ने अंगदान को महादान बताया है।
केजीएमयू की कुलपति प्रो. सोनिया नित्यानंद ने कहा कि अंगदान एक पुण्य कार्य है जो मृत्यु के बाद भी जीवन देने का माध्यम बनता है। समाज को इस दिशा में आगे आना चाहिए, और विश्वविद्यालय इसमें सहयोग के लिए सदैव तत्पर रहेगा।
केजीएमयू के डीन स्टूडेंट वेलफेयर प्रो. (डॉ.) आरएएस कुशवाहा ने बताया कि इस वर्ष 21 जून को 11वां अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाया जायेगा है, इस दिन की थीम है एक पृथ्वी, एक स्वास्थ्य के लिए योग। यही वजह है आम लोगों में स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता के लिए लगातार कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है। इसी कड़ी में अंगदान के प्रति लोगों में जागरूकता लाने के लिए इस कार्यक्रम का आयोजन किया गया है। उन्होंने बताया कि अंगदान से कई लोगों की जिंदगिंयों को बचाया जा सकता है,लेकिन उसके लिए जरूरी है कि शरीर को स्वस्थ रखा जाये। जिससे हमारा शरीर किसी गंभीर बीमारी का शिकार न हो। उन्होंने कहा कि योग न केवल शरीर को स्वस्थ करता है बल्कि अंगदान के बाद शरीर की रिकवरी को भी तेज करता है। योग अपनाकर हम दाता और प्राप्तकर्ता दोनों को सशक्त बना सकते हैं।
एसजीपीजीआई के चिकित्सा अधीक्षक और सोटो के संयुक्त निदेशक डॉ. राजेश हर्षवर्धन ने कहा कि सरकारी प्रयासों के साथ जब सामाजिक संगठनों की भागीदारी जुड़ती है, तो जागरूकता अभियान अधिक प्रभावशाली बनता है।
केजीएमयू में स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग (क्वीनमेरी) की डॉ. सुजाता देव ने कहा अंगदान कठिन फैसला है। परिवारीजनों को तमाम तरह की मानसिक पीड़ा झेलनी पड़ती है। लेकिन परिवारीजनों के फैसला कई मरीजों की जान बचा सकता है। डॉ. सुजाता देव ने कहा कि किडनी, लिवर, कॉर्निया व दिल समेत दूसरे अंग दान किए जा सकते हैं। इन अंगों से जुड़ी बीमारियों से पीड़ितों को खासी दुश्वारियां झेलनी पड़ रही है। अंगदान से मरीजों की दिक्कतें काफी हद तक दूर हो सकती हैं। अंगदान प्राप्तकर्ताओं के जीवन की गुणवत्ता में सुधार कर सकता है। अंगदान करने वाले व्यक्ति के परिवार को यह जानकर सांत्वना मिल सकती है कि उनके प्रियजन का दान दूसरों के जीवन को बचाने या बेहतर बनाने में मदद कर रहा है। अंगदान एक सामाजिक जिम्मेदारी है। अंगदान करके व्यक्ति समाज को वापस लौटाता है। दूसरों के जीवन में सकारात्मक योगदान देता है। केजीएमयू यूरोलॉजी विभाग के डॉ. विश्वजीत सिंह ने कहा कि मृत्यु के बाद अंगदान करके भी हम समाज की सेवा कर सकते हैं। इसके लिए हमें सामाजिक मिथकों को तोड़कर सही जानकारी देनी होगी।
डॉ. नरेंद्र देव ने कहा कि अंगदान अनुसंधान और शिक्षा के लिए भी महत्वपूर्ण है। दान किए गए अंगों का उपयोग नई चिकित्सा तकनीकों और उपचारों को विकसित करने के लिए किया जा सकता है। कार्यक्रम में डॉ. संतोष कुमार, पूर्व मुख्य आयकर आयुक्त एवं ट्रस्ट के अध्यक्ष संदीप कुमार समेत अन्य डॉक्टर मौजूद रहे।