शाहजहांपुर: कालोनाइजरों के झांसे में आकर अवैध कालोनी में फंसा रहे गाढ़ी कमाई
शाहजहांपुर, अमृत विचार। अपनी जेबें भरने के लिए तमाम कालोनाइजर भोली-भाली जनता को झांसे में लेकर उनकी गाढ़ी कमाई अवैध कालोनी में लगवा रहे हैं। जहां बसने के बाद जनता को मूलभूत सुविधाओं के लिए तरसना पड़ रहा है। कॉलोनाइजर आम आदमी को झूठ बोलकर आसानी से निशाना बना रहे हैं और मालामाल हो रहे हैं। अवैध कालोनी को सरकार से स्वीकृत बताकर लोगों को प्लाट बेचे जा रहे हैं। जानकारी के अभाव में लोग प्लाट खरीद भी रहे हैं। महानगर में इस समय 100 से ज्यादा अवैध कालोनी ऐसी हैं जो आबाद हो चुकी हैं और लगभग 50 बसाई जा रही हैं। कांट और पुवायां रोड पर सबसे ज्यादा अवैध कालोनी हैं।
अवैध कालोनी में कहीं पानी निकासी की उचित व्यवस्था नहीं तो कहीं संकरी सड़कें हैं। अवैध कालोनी में पार्क नहीं हैं। यहां बच्चे कहां खेलें और बुजुर्ग कहां टहलें। अब अवैध कालोनी में रहने वाले प्रशासन से सुविधाओं की मांग कर रहे हैं जबकि यह कालोनी का विकास करने वाले कालोनाइजर की जिम्मेदारी है। प्रशासन अवैध कालोनी को ध्वस्त कर रहा है। इसके बाद भी कॉलोनाइजर बाज नहीं आ रहे हैं।
बीते एक साल में सिटी मजिस्ट्रेट ने 40 से ज्यादा अवैध कालोनी को ध्वस्त करवा दिया। इसके बाद भी अवैध कालोनी काटने का सिलसिला रुक नहीं रहा है। बता दें कि कालोनी में रहने वालों को मूलभूत सुविधाएं जैसे सड़क, पार्क, पानी निकासी की व्यवस्था, गाड़ी मोड़ने की जगह आदि की सुविधा मिल सके इसके लिए विनियमित क्षेत्र का गठन किया गया था। अब तक यह जिम्मेदारी विनियमित क्षेत्र के कंधों पर थी, लेकिन अब यह काम शाहजहांपुर विकास प्राधिकरण कर रहा है। अब अनियोजित विकास को रोकना और शहर की सुंदरता को बिगड़ने से बचाने का जिम्मा एसडीए के कंधों पर है। ऐसा नहीं है कि विभाग अवैध भवनों पर कार्रवाई नहीं कर रहे हैं। लगातार कार्रवाई जारी है, लेकिन इसके बाद भी स्थिति काबू में नहीं आ पा रही है।
मानचित्र स्वीकृति के दौरान हो रहा खुलासा
प्लॉट खरीदने के बाद जब लोग ऋण आदि के लिए मकानों के मानचित्र स्वीकृत कराने जाते तो उन्हें पता चलता है कि कालोनी का लेआउट ही स्वीकृत नहीं है। ऐसे में मानचित्र नहीं पास हो पाएगा। एक बार सड़क, नाली टूटी तो दूसरी बार इन मूलभूत सुविधाओं के मिलने में अवैध का दाग आड़े आना तय है। कहीं पानी की निकास की व्यवस्था नहीं होती है तो कहीं घर तक गाड़ी नहीं जा पा रही है। सिर्फ लेआउट पास न होना ही आखिरी गड़बड़ी नहीं है। बल्कि बड़ी संख्या में रियल एस्टेट कारोबारी तो काश्तकारों से मौखिक अनुबंध पर प्लॉटिंग कर रहे हैं। जैसे-जैसे प्लॉट बिकता है, काश्तकारों को तय रकम देते हैं। ऐसे में बिना जमीन की रजिस्ट्री कराए या पंजीकृत अनुबंध कराए न तो ले-आउट पास हो सकता और न रेरा में पंजीकरण।
अवैध निर्माण पर चला था बुलडोजर
लगभग 14 महीने पहले शहर के ककरा में नदी किनारे बसी कालोनी और खन्नौत नदी के किनारे भू-माफियाओं ने कृषि योग्य खेती पर अवैध प्लाटिंग करना शुरू कर दिया था। प्रशासन ने अवैध निर्माण का संज्ञान लेकर अवैध प्लाटिंग करने वाले भू-माफियाअें को चिन्हित कर उनको अवैध निर्माण तोड़ने का नोटिस दिया था। भू-माफियाओं ने नोटिस का जवाब तक नहीं दिया था। इसके बाद तत्कालीन सिटी मजिस्ट्रेट आशीष कुमार सिंह और नगर निगम की टीम भारी पुलिस बल के साथ बुलडोजर लेकर न्यू सिटी कालोनी पहुंची और करीब एक दर्जन अवैध निर्माण पर बुलडोजर चलवा दिया। अवैध निर्माण तोड़ने की कार्रवाई शुरू होते ही भू-माफियाओं में हड़कंप मच गया था।
250 लोगों को जारी हुआ था नोटिस
20 फरवरी 2020 को प्रशासन ने गर्रा और खन्नौत नदी को खोखला करने वाले 250 लोगों को नोटिस जारी किया था। बाद में कुछ मामलों में कार्रवाई हुई और कुछ मामले ठंडे बस्ते में पड़ गए। इसी तरह के तमाम मामले पहले भी सामने आते रहे हैं, जिनमें अवैध कब्जों को लेकर शिकायत की गई। शुरूआत में कार्रवाई में तेजी देखने को मिली लेकिन बाद में प्रकरण ठंडे बस्ते में पड़ गया। बीते दिनों खन्नौत नदी में प्लाटिंग किए जाने की शिकायत की गई थी, लेकिन बाद में प्रकरण ठंडे बस्ते में पड़ गया। प्रकरण की जांच की गई या नहीं यह बात भी अभी तक स्पष्ट नहीं हो सकी है।
रेलवे पुल तक हो रहा विस्तार
शहर का पुराना मोहल्ला लोधीपुर खन्नौत नदी से काफी फासले और ऊंचाई पर बसा है, लेकिन पिछले कुछ वर्षों में इसका विस्तार खतरनाक तरीके से सड़क और रेलवे पुल तक हो रहा है। इसकी शुरुआत करीब डेढ़ दशक पहले एक राजनीतिक दल के पदाधिकारी ने नदी की जमीन पर मकान और दुकानें बनाकर की। फिर बाकी जमीन कब्जाने के लिए योजनाबद्ध तरीके से काम होता गया। बाद में उसकी देखा-देखी अन्य तमाम लोगों ने भी वहां मकान खड़े कर लिए। क्षेत्र के व्यापारी ने अवैध कब्जों के खिलाफ कई साल तक आवाज भी उठाई, लेकिन सिस्टम की बदहाली के कारण उनकी एक नहीं सुनी गई।
तटबंध के पास बसा दी कॉलोनी
करीब ढाई दशक पहले मानकों को अनदेखा करके खन्नौत नदी के बिल्कुल किनारे तटबंध के पास एक कालोनी विकसित की गई। अब इसी कॉलोनी में कई माननीयों के आवास बने हैं। इसलिए कॉलोनी की वैधता को लेकर सरकारी सिस्टम भी कोई सवाल खड़े नहीं करता। एक दशक पहले खन्नौत में आई बाढ़ के दौरान कॉलोनी के तमाम मकान कई दिन तक पानी से घिरे रहे। अब इसी कॉलोनी के आसपास के तटीय इलाकों मेें भी धड़ल्ले से मकान बनाए जा रहे हैं।
सिटी मजिस्ट्रेट प्रवेंद्र कुमार ने बताया कि महानगर में काटी जा रहीं अवैध कालोनी को ध्वस्त करने की कार्रवाई की जा रही है। जनता से अपील है कि अवैध कालोनी में प्लाट न खरीदें। क्योंकि अवैध कालोनी में प्लाट खरीदने वालों के मकान का नक्शा पास नहीं होता है। तमाम अन्य सुविधाएं भी अवैध कालोनी वालों को नहीं मिल पाती हैं।
