पीलीभीत: नगर पंचायत की खींची लकीर पर पूरी कर दी जांच..जिम्मेदारों को बचाया
पीलीभीत, अमृत विचार। नगर पंचायत कलीनगर में टेंडर प्रक्रिया में खेल का मामला सुर्खियां बना तो फजीहत को देखते हुए जांच बैठाई गई। राज्यसभा सांसद की शिकायत पर कराई गई जांच में भी जिम्मेदारों को बचाने का काम कर दिया है। निविदाएं निरस्त करने तक जांच आख्या सीमित रह गई है।
जबकि एक फर्म के कूटरचित अभिलेख होने की बात भी खुलकर राज्यसभा सांसद के पत्र में लिखी हुई थी। मगर इस पर कोई सत्यापन नहीं कराया है। इतना जरूर जिस प्रमाण पत्र के फर्जी होने का आरोप लगाया गया था, उसे जांच आख्या में ये कहकर क्लीन चिट दी गई कि उस प्रमाण पत्र को अपलोड ही नहीं किया गया था। फिलहाल जांच बैठाए जाने के बाद लगाए जा रहे कयास सही साबित हुए हैं।
नगर पंचायत कलीनगर में स्वच्छ पेयजल योजना के तहत विभिन्न स्थानों पर सोलर वेस्ड वाटर कूलर की स्थापना कराई जानी है। ये काम 56.77 लाख रुपये से होना है। इसके लिए 21 मई 2025 को ई-निविदा आमंत्रित की गई थी। जिसमें चार फर्म एम-एम कंस्ट्रक्शन, पवन इंटरप्राइजेज, आरवीआर कंस्ट्रक्शन एंड सप्लायर्स, जीवी कंस्ट्रक्शन एंड सप्लायर्स ने विड डाली थी। पहले जीवी कंस्ट्रक्शन की विड अस्वीकृत की गई और फिर धांधली के आरोप लगाते हुए शिकायत की गई तो आनन-फानन में पांच जून को अन्य तीनों फर्म की विड भी अस्वीकृत कर दी गई थी। इस पूरे खेल को लेकर फर्जी अभिलेखों का इस्तेमाल करने का भी आरोप लगा था।
राज्यसभा सांसद मिथिलेश कुमार कठेरिया की शिकायत पर जांच कराई गई। कई दिनों तक टालमटोल चलती रही और अभिलेख ही नहीं मुहैया हो सके। फिर 24 घंटे में ही इस जांच को पूरा कर दिया गया है। आरोप था कि एमएम कंस्ट्रक्शन का श्रम विभाग से जुड़ा पंजीयन प्रमाण पत्र कूटरचित है, जिसका नंबर बरेली की एक अन्य फर्म के नाम पर पोर्टल पर दर्शा रहा है। राज्यसभा सांसद ने भी इस बिंदु को अपने पत्र में शामिल करते हुए जांच कराकर विधिक कार्रवाई का आग्रह किया था। पहले ईओ कलीनगर ने ने कूटरचित अभिलेखों के इस्तेमाल के आरोप लगने के बाद सत्यापन नहीं कराया था। उसी तरह से अब एसडीएम की ओर से दी गई जांच आख्या में भी इस इस बिंदु पर कोई खास पड़ताल नहीं की गई है।
पालिका जेई की भेजी आख्या पर ही बना दी गई पूरी रिपोर्ट
इस मामले में एडीएम वित्त एवं राजस्व ऋतु पूनिया ने एसडीएम सदर आशुतोष गुप्ता और नगरपालिका के अवर अभियंता सिविल को जांच दी थी। पहले तो कई दिनों तक जांच की शुरुआत नहीं हुई थी। इसके बाद अब तबादला आदेश जारी होने के बाद एसडीएम सदर ने जांच आख्या तैयार करके एडीएम को भेज दी है। मगर इसमें खास बात ये है कि ये पूरी जांच नगर पालिका के अवर अभियंता सिविल की ओर से भेजी गई आख्या पर ही आधारित रही है। इसमें टेंडर प्रक्रिया में समस्त चार फर्मों की विड अस्वीकार करने की कार्रवाई को सही बताया है। मगर, फर्म के कूटरचित अभिलेखों के इस्तेमाल से जुड़ी कोई जांच नहीं हुई है।
हर फर्म की वही कमियां दिखाई, जिनको निविदा निरस्त करते वक्त बताया
एसडीएम की ओर से भेजी गई जांच आख्या में चारों फर्मों की ओर से बरती गई कमियों को बयां किया गया है। जांच आख्या के अनुसार एमएम कंस्ट्रक्शन द्वारा अनुभव प्रमाण पत्र किसी भी विभाग का पंजीयन प्रमाण पत्र अपलोड नहीं किया गया, जोकि वांछनीय नहीं था। श्रम विभाग का पंजीकरण का प्रमाण पत्रद अपलोड नहीं किया गया जोकि बाद में कार्यालय में जमा किया जा सकता था। पवन इंटर प्राइजेज ने अनुभव प्रमाण पत्र किसी भी विभाग का पंजीयन प्रमाण पत्र अपलोड नहीं किया गया, साथ ही शर्तों का पालन नहीं किया गया। आरबीआर कंस्ट्रक्शन एंड सप्लायर्स और जीबी कंस्ट्रक्शन द्वारा भी शर्तों का पालन ना करने की बात जांच में कही गई है। हालांकि ये कोई नई बात नहीं रही। निविदा निरस्त करने के दौरान कलीनगर नगर पंचायत के जिम्मेदारों की ओर से यही हवाला दिया गया था। ऐसे में साफ है कि नगर पंचायत की खींची लकीर पर ही जिला स्तर पर शुरू कराई गई जांच सिमट गई।
एसडीएम सदर आशुतोष गुप्ता ने बताया कि नगर पंचायत कलीनगर से जुड़ी एक जांच प्राप्त हुई थी। इस संबंध में तकनीकी जांच के संबंध में अवर अभियंता सिविल नगर पालिका से जांच कराकर आख्या प्राप्त की गई। निविदाएं निरस्त की जा चुकी हैं। इसकी आख्या तैयार करके एडीएम वित्त एवं राजस्व को भेज दी गई है।
