Bareilly: डिजिटल अरेस्ट...दहशत ऐसी कि बार-बार पूछने पर भी पत्नी को कुछ नहीं बताया

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Published By Monis Khan
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बरेली, अमृत विचार। साइबर ठगों ने मानव तस्करी में शामिल होने का झांसा देकर आईवीआरआई कैंपस में रहने वाले सेवानिवृत्त वैज्ञानिक शुकदेव नंदी को पांच दिन तक डिजिटल अरेस्ट रखने के साथ ही जेल भेजे जाने की कार्रवाई का डर दिखाकर जमकर धमकाया। साइबर ठग के जाल में फंसे सेवानिवृत्त वैज्ञानिक इस कदर दहशत में आ गए कि साथ में रह रहीं पत्नी को भी कुछ नहीं बताया। साइबर ठग के इशारे पर कमरे से बाहर निकलते और बैंक जाकर रकम ट्रांसफर कराते और फिर वापस आकर खुद को कमरे में कैद कर लेते।

पुलिस के अनुसार हद तो यह हो गई कि साइबर ठग ने 1.29 करोड़ रुपये अपने खातों में ट्रांसफर कराने के बाद धमकाकर सिक्योरिटी मनी के रूप में 30 लाख रुपये और मांगे। डरे-सहमे शुकदेव ने एसबीआई से पर्सनल स्वीकृत कराया। जो बैंक से पास भी हो गया। इसी बीच, उनके दिमाग में आया तो उन्होंने बेंगलुरू पुलिस के कंट्रोल रूम में फोन कर ठगाें के बताए अफसर के बारे में जानकारी की तो वहां से बताया गया कि इस तरह का कोई सीबीआई अफसर नहीं है। इसके बाद उन्हें ठगे जाने का अहसास हुआ। इस तरह पर्सनल लोन की 30 लाख की रकम बच गई।

दरअसल, ठग ने फोन कर खुद को सीबीआई अधिकारी बता कर आईवीआरआई के सेवानिवृत्त वैज्ञानिक शुकदेव नंदी को पांच दिन तक डिजिटल अरेस्ट रखा। इसी बीच आईवीआरआई के सेवा निवृत्त वैज्ञानिक शुकदेव नंदी से अलग-अलग माध्यमों से 1.29 करोड़ रुपये अपने बताए हुए बैंक खातों में ट्रांसफर करा लिए। साइबर ठग के डर में वह पांच दिन तक कमरे में ही रहे। ठग ने सीआईडी सीरियल के दया नायक की तर्ज पर इन्हें डराया। ठगों ने उन्हें इस कदम डरा दिया कि वह हमेशा कमरे में ही बंद रहते थे। साइबर ठग जब उनसे पैसों की मांग रखते तो वह उनकी मांग को पूरा करने के लिए चुपके से कमरे से बाहर निकलते और सीधा बैंक जाते और ठग के बताए गए बैंक खाते में रुपये जमा करा कर आकर फिर से कमरे में ही कैद हो जाते थे। इस दौरान उन्हें परेशान और कमरे में कैद देखकर बार -बार पूछने के बाद भी पत्नी को भी कुछ बताने को तैयार नहीं थे।

बैंक मैनेजर के पूछने पर बोले प्लाट खरीद रहा हूं...
सेवानिवृत्त वैज्ञानिक शुकदेव नंदी ने जब बैंक में जाकर एक साथ ही 1.10 करोड़ रुपये आरटीजीएस करने के लिए फार्म भर कर दिया तो बैंक मैनेजर को गड़बड़ी का शक हुआ। बैंक मैनेजर ने इतनी बड़ी रकम एक साथ भेजने का कारण पूछते हुए इसे न भेजने के लिए भी आगाह किया। इस पर वह नाराज होने लगे और प्लाट खरीदने की बात कहकर रुपये ट्रांसफर करते चले गए। हैरानी की बात यह है कि ठग ने सिक्योरिटी के नाम पर 30 लाख रुपये जमा करने को कहा। अपनी गिरफ्तारी तय मानकर बेहद डरे शुकदेव नंदी ने स्टेट बैंक ऑफ इंडिया से 30 लाख रुपये के पर्सनल लोन के लिए अप्लाई कर दिया। बैंक से लोन पास भी हो गया। पर्सनल लोन की रकम उनके खाते में भी आ गई। इसी बीच वह बेंगलुरु पुलिस से संपर्क किए तो पता चला कि वह ठगी के शिकार हो गए हैं।

ठग ने कहा, मैं सीबीआई अफसर दया नायक बोल रहा हूं...
ठग ने खुद को सीबीआई अफसर दया नायक बताते हुए शुकदेव को फोन उठाते ही डिजिटल अरेस्ट कर लिया। साथ ही दूसरी तरफ से भी वही कहानी दोहराई गई और कहा गया कि उनके अकाउंट में अवैध रुपया आया है। झांसे में आए शुकदेव ने 18 जून को बैंक जाकर अपने अकाउंट से 1.10 करोड़ रुपये आरटीजीएस के जरिये ठग के बताए हुए खाते में ट्रांसफर भी कर दिए। ठगों ने जब उनके दूसरे खातों की जानकारी मांगी तो उन्होंने ग्रामीण बैंक का खाता नंबर भी बता दिया। इसमें से एक लाख रुपये लौटाकर ठगों ने और भरोसा जीत लिया।

दूसरी बार में शुकदेव ने भेजे 19 लाख रुपये
साइबर ठग के कहने पर आईवीआरआई के सेवानिवृत्त वैज्ञानिक ने 19 जून को दूसरे खाते में 10 लाख रुपये भेज दिए और नौ लाख रुपये 20 जून को एक अन्य बैंक खाते में ट्रांसफर कर दिए। जब साइबर ठगों ने और रुपयों की मांग की तो शुकदेव ने बैंक से पर्सनल लोन भी लिया। उन्होंने कॉल करने वाले दोनों नंबरों को गूगल पर खंगाला, लेकिन कुछ भी नहीं मिला। बेंगलुरु पुलिस से संपर्क के बाद समझ आया कि उनके साथ बड़ा साइबर फ्रॉड हो गया है। वैज्ञानिक इस कदर सदमे में रहे कि उन्होंने परिवार से लेकर किसी परिचित तक से इसका जिक्र तक नहीं किया। सप्ताह भर बाद उन्होंने साइबर क्राइम थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई है। साइबर पुलिस ने कुछ रुपये को फ्रीज करा दिया है। अन्य खातों में गए रुपयों की जांच कर रही है। जल्द ही उसे भी फ्रीज कराएगी।

खुद को अधिकारी बता कर लगाया मानव तस्करी का आरोप
आरोप है कि ठग ने उनसे कहा कि उनके आधार कार्ड से कई सिम निकालकर धोखाधड़ी करने के साथ ही मानव तस्करी जैसे गंभीर अपराध किए गए हैं। उसने कहा कि उनके यहां सदाकत खां नाम का एक युवक गिरफ्तार किया गया है। जिसने उनके नाम पर सिम लिया है। इससे वैज्ञानिक और बुरी तरह से डर गया। शुकदेव नंदी जनवरी में सेवानिवृत्त हुए थे। जिन्हें छह माह के लिए यहां परिसर में रहने की अनुमति मिली है। हालाकि, अब 30 जून को आवास उनको खाली करना पड़ेगा। इसके बाद वह बंगाल चले जाएंगे।

कैसे करे अपना बचाव
-पुलिस कभी भी डिजिटल अरेस्ट पुलिस नहीं करती।
- अनजानों से व्हाट्सएप काल या वीडियो काल पर बात न करें।

-किसी भी अंजान लिंक पर क्लिक न करें।

-ऑनलाइन नौकरी का सत्यापन जरूर करें।

-पैसा दोगुना करने के लालच में बिलकुल न फंसे।

-निवेश सिर्फ उन्हीं में करें जिस कंपनी को जानते हो।

-ठगी होने के बाद फौरन सूचना 1930 पर साइबर पुलिस को दें।

-अनजान नंबरों से आने वाले कॉल या मैसेज पर भरोसा न करें।

-निजी जानकारी न दें बैंक डिटेल, आधार नंबर या कोई और पर्सनल डेटा शेयर न करें।

-दबाव में न आएं कॉलर धमकी दे तो परेशान न हों। ठग डर का ही फायदा उठाते हैं।

साइबर क्राइम इंस्पेक्टर नीरज कुमार ने बताया कि सेवानिवृत्त वैज्ञानिक ठगी का शिकार हुए हैं। उनकी तहरीर पर रिपोर्ट दर्ज कर कुछ रुपयों को फ्रीज करा दिया गया है। साथ ही उस खाते से अन्य खातों की चेन जोड़ी जा रही है। इससे और भी रुपयों को फ्रीज कराया जा सके। डर या लालच में आकर अपनी मेहनत की कमाई न गवाएं। पुलिस कभी भी किसी को डिजिटल अरेस्ट नहीं करती।

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