Bareilly: नदियों के कटान रोधी कार्य अधूरे, फिर बाढ़ से जूझेगी हजारों की आबादी

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Published By Monis Khan
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कटान रोधी कार्य 15 जून तक होने थे पूरे, बाढ़ खंड का जून के अंत तक काम पूरा करने का दावा

बरेली, अमृत विचार। जिले में बाढ़ नियंत्रण कार्यों में लापरवाही से दर्जन भर से अधिक गावों की हजारों की आबादी इस बार फिर खतरे में आ सकती है। नदियों के किनारे कटान रोकने के लिए बोल्डर स्पर निर्माण से लेकर अन्य बाढ़ सुरक्षात्मक कार्य शुरू हुए एक महीने से अधिक का समय हो चुका है, लेकिन पूरे अभी तक नहीं हुए हैं।

सबसे अधिक बाढ़ प्रभावित गांवों में 15 करोड़ रुपये से सुरक्षात्मक कार्य कराए जा रहे हैं। इन कार्यों को 15 जून तक पूरा हो जाना था। बाढ़ खंड के अधिकारी का कहना है कि इस माह के अंत तक काम पूरा कर लिया जाएगा। लेकिन, स्थिति को देखते हुए महीने के अंत तक काम पूरा होना मुश्किल लगा रहा है।

जिले में रामगंगा, किच्छा, बहगुल, देवहा समेत अन्य नदियां जनपद के करनपुर, गहबरा, बिहारीपुर समेत दर्जनों गांवों में हर साल बारिश के दौरान तबाही मचाती हैं। पिछले साल बारिश ने नदियों पर वर्षों पूर्व बनाए गए मजबूत बांध को कई स्थानों पर क्षतिग्रस्त किया था। वहीं, आबादी क्षेत्र में भी नदी के पानी ने काफी नुकसान पहुंचाया था। किसानों की सैकड़ों बीघा फसल कटान के साथ पानी में समा गई थी। माना जा रहा था कि बारिश के बाद बांध की मरम्मत के साथ अन्य ठोकरें बनाई जाएंगी, लेकिन समय रहते यहां कोई कार्य नहीं कराया गया।

इसके चलते एक बार फिर जिले के कई गांव के अस्तित्व पर संकट छाया है। फरीदपुर, बहेड़ी और मीरगंज में कटानरोधी कार्य की सुस्त चाल से ग्रामीण सबसे ज्यादा चिंतित हैं। बताया जाता है कि फरीदपुर के गुर्जर गोटिया मजरा बेहरा गांव को रामगंगा नदी अपने आगोश में लेने को तैयार है। गांव से कुल 40 मीटर की दूरी पर नदी बह रही है। इसी तरह 27 गांवों के पास नदियों की धार पहुंच गई है। पिछले दिनों गांव बेहरा के प्रधान ने डीएम से बाढ़ खंड विभाग से बांध बंधवाने की गुहार लगाई थी। इसमें कहा गया था कि समय रहते बचाव कार्य नहीं हुए तो गांव में बने सरकारी अंत्येष्टि स्थल, पंचायत भवन, खाद्यान्न भवन, गोशाला व अन्य सरकारी भवनों को रामगंगा नदी के कटान से भारी नुकसान हो सकता है, लेकिन हालात जस के तस ही हैं। अधिकारी कर्मचारियों की ड्यूटी के साथ निगरानी का दावा कर रहे हैं।

किच्छा नदी मचाती है तबाही, इस बार नाकाफी हैं इंतजाम
बरेली/शेरगढ़ : किच्छा नदी का जलस्तर बढ़ने पर बहेड़ी के गांव नगरिया कला, कबरा किशनपुर, बरीपुरा, रजपुरा, कस्बापुर, मोहम्मदपुर, कमालपुर मीरपुर, धर्मपुरा, बैरमनगर, बैरमनगर समेत बड़ी संख्या में गांव प्रभावित होते हैं। पिछले साल भी किसानों की हजारों बीघा जमीन भू-कटान में समा गई थी। यहां के तमाम किसानों को आज तक मुआवजा नहीं मिला है। इस साल भी कोई बाढ़ से बचाव को लेकर केवल कुछ ही जगहों पर खानापूरी की गई है। कबरा किशनपुर के ग्रामीण बताते हैं पूर्व में हुई तबाही के बाद भी इस बार खतरे वाले स्थान के बजाय अन्य स्थानों पर बाढ़ नियंत्रण कार्य कराए गए हैं, वह भी अधूरे हैं। पिछले साल हुई तबाही का मंजर फिर आंखों के सामने आ रहा है। दर्जनों गांव के लोगों को बाढ़ का डर सताने लगा है।

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