प्रधानमंत्री और सेना के खिलाफ पोस्ट करना शख्स को पड़ा भारी, हाईकोर्ट ने जमानत याचिका की खारिज, जानिये क्या कहा
प्रयागराज, अमृत विचार। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रधानमंत्री और भारतीय सेना तथा उसके अधिकारियों के खिलाफ सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक सामग्री पोस्ट करने वाले आरोपी को जमानत देने से इनकार करते हुए कहा कि यद्यपि हमारा संविधान प्रत्येक नागरिक को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार देता है, लेकिन यह स्वतंत्रता किसी व्यक्ति को भारत के प्रधानमंत्री, भारतीय सेना और उसके अधिकारियों के प्रति असम्मानजनक वीडियो और अन्य पोस्ट करने की अनुमति नहीं देती है।
ऐसे विचार एक ओर भारतीय नागरिकों के बीच में वैमनस्यता उत्पन्न करते हैं और दूसरी ओर अलगाववाद को बढ़ावा देते हैं, जो भारत की संप्रभुता, एकता और अखंडता को खतरे में डालता है। उक्त टिप्पणी न्यायमूर्ति अरुण कुमार सिंह देशवाल की एकलपीठ ने अशरफ खान उर्फ निसरत की जमानत याचिका खारिज करते हुए की, जिसके खिलाफ पुलिस स्टेशन सासनी, हाथरस में बीएनएस की धारा 152 और 197 के तहत मामला दर्ज किया गया था, क्योंकि उसने भारत-पाकिस्तान सैन्य टकराव के दौरान अपने फेसबुक आईडी पर संपादित वीडियो अपलोड किए। हालांकि याची के अधिवक्ता ने तर्क दिया कि याची निर्दोष है। उसने आपत्तिजनक पोस्ट अग्रेषित नहीं किए। अंत में कोर्ट ने निष्कर्ष निकाला कि गणमान्य व्यक्तियों के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी करके भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की आड़ में सोशल मीडिया का दुरुपयोग करना कुछ लोगों के समूहों के बीच फैशन बन गया है, जिसे समाप्त करने की सख्त आवश्यकता है।
यह भी पढ़ें : निजीकरण का विरोध : देश भर में बिजली कर्मियों ने किया प्रदर्शन
