प्रयागराज : पीड़िता से विवाह करने पर आपराधिकता स्वत: रद्द हो जाती है
प्रयागराज, अमृत विचार : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पोक्सो अधिनियम के तहत दोषी ठहराए गए आरोपी को जमानत देते हुए कहा कि दोषी का कृत्य नि:संदेह न केवल अवैध है बल्कि अनैतिक भी है, लेकिन कोई भी अपराध बाद में घटित हुए घटनाक्रमों से प्रभावित होता है। कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के विभिन्न फैसलों का हवाला देते हुए माना कि पोक्सो अधिनियम के तहत कारित अपराध के अभियुक्त को इस आधार पर रिहा कर दिया गया था कि उसने अभियोक्त्री के साथ विवाह कर लिया था।
इस प्रकार कोर्ट ने वर्तमान मामले में पाया कि आरोपी ने पीड़िता से न केवल विवाह किया, बल्कि विवाह से उन्हें एक पुत्र भी है और वे एक खुशहाल परिवार के रूप में रह रहे हैं, जिससे अभियुक्त का आपराधिक अभियोजन स्वत: रद्द हो जाता है। उक्त आदेश न्यायमूर्ति राजीव मिश्रा की एकलपीठ ने मयंक उर्फ़ रामशरण की आपराधिक अपील को स्वीकार करते हुए पारित किया, जिसे दिसंबर 2024 में पोक्सो कोर्ट, फिरोजाबाद द्वारा आईपीसी की धारा 376 और पोक्सो अधिनियम की धारा 5 (जे) (ii)/6 के तहत दोषी ठहराया गया था। उस पर आरोप था कि 18 वर्ष से कम आयु की पीड़िता के साथ उसने अनैतिक संबंध बनाए। हालांकि ट्रायल कोर्ट की कार्यवाही के दौरान अपीलकर्ता ने हिंदू रीति-रिवाजों के अनुसार पीड़िता से विवाह कर लिया। इस कारण अपराध की आपराधिकता समाप्त हो गई।
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