इलाहाबाद हाईकोर्ट ने डीआरटी में रिक्त पदों को तत्काल भरने का दिया निर्देश

प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रयागराज में ऋण वसूली न्यायाधिकरण (डीआरटी) में पीठासीन अधिकारी की कमी के कारण लंबित कामकाज न होने पर संज्ञान लेते हुए वित्त मंत्रालय, भारत सरकार से डीआरटी में रिक्त पदों को तत्काल भरने का निर्देश दिया।
कोर्ट ने स्वीकार किया कि वर्तमान मामले की तरह प्रयागराज डीआरटी की अक्षमता के कारण समान राहत की मांग करते हुए कई रिट याचिकाएं हाईकोर्ट के समक्ष दाखिल की जा रही हैं। यद्यपि तत्काल मामलों को अस्थायी रूप से डीआरटी, जबलपुर द्वारा निस्तारित किया जा रहा था, लेकिन 24 जून 2025 को यह अस्थायी व्यवस्था भी समाप्त हो गई और अब किसी भी मामले की सुनवाई नहीं हो रही है, भले ही वह कितना ही महत्वपूर्ण हो।
कोर्ट ने माना कि उपर्युक्त स्थिति चिंताजनक है और इस कारण मामलों की सुनवाई में अत्यधिक देरी हो रही है। अतः कोर्ट ने वित्त मंत्रालय और भारत के सहायक सॉलिसिटर जनरल (एएसजीआई) को इस संबंध में निर्देश जारी किए, साथ ही एएसजीआई को मामले की अगली सुनवाई यानी 29 जुलाई को व्यक्तिगत रूप से कोर्ट में उपस्थित होने का निर्देश दिया और विपक्षी बैंक को दो सप्ताह के भीतर अपना जवाबी हलफनामा दाखिल करने को कहा।
उक्त आदेश न्यायमूर्ति शेखर बी सराफ और न्यायमूर्ति प्रवीण कुमार गिरी की खंडपीठ ने यदुनंदन पांडेय की याचिका पर सुनवाई करते हुए पारित किया। याचिका में सरफेसाई अधिनियम, 2002 की धारा 14 के तहत पारित एक पक्षीय आदेश को चुनौती दी गई थी। इसके साथ ही बलपूर्वक वसूली के उपाय के खिलाफ भी संरक्षण की मांग की गई थी।