Muharram 2025: कर्बला के शहीदों की याद में निकला लुटा हुआ काफिला

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Published By Muskan Dixit
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लखनऊ, अमृत विचार: यौम-ए-आशूर के दूसरे दिन 11 मोहर्रम को पुराने लखनऊ के इमामबाड़ों में विभिन्न आयोजन किए गए। मुफ्तीगंज स्थित मीरन साहब के इमामबाड़े में यौम-ए-जैनुलआब्दीन मनाया गया। दरगाह हजरत अब्बास में मंजर-ए-कर्बला पेश किया। उधर इमामबाड़ा गुफरानमआब में 11 मोहर्रम की रात को यौम-ए-जैनब मनाया गया।

मीरन साहब के इमामबाड़े में शियों के चौथे इमाम हजरत जैनुलआब्दीन की याद में यौम-ए-जैनुलआब्दीन मनाया गया। दोपहर में हुई मजलिस को मौलाना हसन जहीर ने खिताब किया। मजलिस के फ़ौरन बाद यहां कर्बला का लुटा हुआ काफिला निकाला गया। इस लुटे हुए काफिले में 71 शहीदों के ताबूत थे। छह माह के हजरत लि असगर क झूला था। ऊंटों पर अमरियां लदी थीं। बड़ी संख्या में अलम जुलूस का हिस्सा थे।

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छोटे-छोटे बच्चे अपने सरों पर खाली बर्तन लेकर चल रहे थे और अलअतश हाय प्यास के नारे लगा रहे थे। जुलूस में हजरत इमाम हुसैन का घोड़ा जुलजनाह भी शामिल था। इस जुलूस में बड़ी संख्या में मातमदारों ने जंजीरों व कमा का मातम भी किया। दोपहर 2 बजे मजलिस शुरू हुई थी। लगभग 3 बजे जुलूस शुरू हुआ। जो आसपास के इलाकों से गुजरकर वापस मीरन साहब के इमामबाड़े में पहुंचा। इमामबाड़े में देर रात तक ताबूतों की जियारत के लिए लोगों का हुजूम उमड़ता रहा।

दरगाह हजरत अब्बास में मंजर-ए-कर्बला का आयोजन किया गया। दरगाह हजरत अब्बास के गेट से निकलकर जुलजनाह जब दरगाह परिसर में आया तो वहां मौजूद हजारों लोगों ने जोरदार मातम किया। आज यौम-ए-आशूर का दूसरा दिन था। हजरत इमाम हुसैन और उनके साथी यजीदी लश्कर ने शहीद कर दिये थे। अलम था लेकिन अलमदार नहीं था। जुलजनाह था लेकिन सवार नहीं था। मंजर-ए-कर्बला देखकर अजादारों ने खूब आंसू बहाए।

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इमामबाड़ा गुफरानमआब में मनाया गया यौम-ए-जैनब

मौलाए कायनात हजरत अली की बेटी हजरत जैनब की कुर्बानियों की याद में इमामबाड़ा गुफरानमआब में यौम-ए-जैनब का मनाया गया। मौलाना कल्बे जवाद ने मजलिस को खिताब किया। उन्होंने कहा कि कर्बला में हजरत जैनब का किरदार बहुत अहम था। उन्होंने अपने भाई इमाम हुसैन पर अपने दोनों बच्चे औन व मोहम्मद कुर्बान कर दिये। मौलाना ने इमाम हुसैन की शहादत के बाद हजरत जैनब और उनके घर वालों पर किये गए जुल्मों की दास्तान सुनाई तो अजादार खूब रोए। मजलिस के बाद हसन पुरिया की अंजुमन गुंचाए मजलूमिया ने नौहाख्वानी व सीनाजनी की।

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