पीलीभीत: युवक की मौत के बाद भी डॉक्टर करते रहे इलाज ! निजी अस्पताल के बाहर हंगामा
पीलीभीत, अमृत विचार। सड़क हादसे में घायल हुए युवक की इलाज के दौरान मौत के बाद निजी अस्पताल में जमकर हंगामा हुआ। परिवार वालों ने मृत को जिंदा बताकर इलाज के नाम पर रुपये ऐंठने समेत कई गंभीर आरोप लगाए। भाकियू नेता भी असपताल पहुंचे और परिवार को ढांढस बंधाते हुए कार्रवाई कराने का आश्वासन दिया। हंगामे की सूचना पर पहुंची पुलिस घटना की जानकारी कर रही है।
पूरनपुर कोतवाली क्षेत्र के ग्राम चाट फिरोजपुर के रहने वाले राजेंद्र ने बताया कि करीब चार दिन पहले उनका छोटा भाई 30 वर्षीय विष्णु पुत्र प्रेमराज अपनी ससुराल जाने के लिए बाइक से निकला था और हादसे में घायल हो गया था। इसकी जानकारी मिलने पर पहले घायल भाई को पूरनपुर सीएचसी ले गए और वहां से मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया गया था। मेडिकल कॉलेज में हालत गंभीर होने पर रेफर किया गया तो वह घायल भाई विष्णु को माधोटांडा रोड पर स्थित एक निजी अस्पताल में ले गए। आरोप है कि भर्ती करने से पहले ही चिकित्सक ने 35 हजार रुपये और फिर ऑपरेशन के नाम पर एक लाख रुपये जमा करा लिए। इसके बाद कई बार में तीन लाख से अधिक रुपये अस्पताल वह दे चुके थे। मरीज को वेंटिलेटर पर रखा गया था, लेकिन उसे परिवार को दिखाया नहीं जाता था।
मंगलवार दोपहर बाद अस्पताल वालों ने विष्णु की हालत गंभीर बताते हुए बरेली के एक निजी अस्पताल रेफर करने की बात कहते हुए बाहर निकाला। परिवार का आरोप है कि इस दौरान मरीज को देखने नहीं दिया जा रहा था। परिवार वालों से अभद्रता शुरू कर दी। बाद में जब परिवार ने मरीज को देखने की जिद की और देखा तो उनका कहना है कि विष्णु मृत हालत में था। परिजन का आरोप है कि निजी अस्पताल में मृत होने के बावजूद उनके भाई विष्णु को वेंटिलेटर पर रखकर इलाज के नाम पर रुपये ऐंठते रहे।उनका यह भी कहना है कि सिर का ऑपरेशन के नाम पर फीस ली गई लेकिन शव पर कोई भी ऑपरेशन से जुड़ा निशान नहीं है।
कुछ ही देर में परिवार वाले आक्रोशित हो गए और तमाम रिश्तेदार व ग्रामीण भी जमा हो गए। अस्पताल के बाहर ही शव रखकर हंगामा शुरू कर दिया। इसकी जानकारी मिलने पर भारतीय किसान यूनियन के तमाम कार्यकर्ता भी पहुंच गए और परिवार से जानकारी की। हंगामे की सूचना मिलने पर सुनगढ़ी पुलिस मौके पर पहुंची।परिवार के लोगों को कार्रवाई का आश्वासन देकर शांत कराया गया। परिजन ने अस्पताल प्रबंधन पर सख्त कार्रवाई की मांग की है। पुलिस मामले की जांच कर रही है।
जमीन गिरवी रखकर जुटाई थी रकम
मृतक के भाई राजेंद्र ने बताया कि वह अपने भाई का इलाज कराने के लिए निजी अस्पताल पहुंचे थे। यहां पर इलाज शुरू करने से पहले ही रकम जमा करने का दबाव बनाया जा रहा था। ऐसे में रातोंरात अपनी तीन बीघा जमीन को गिरवी रखकर तीन लाख रुपये जुटाए थे, जोकि समस्त रुपये अस्पताल प्रबंधन को दे चुके हैं। इसके अलावा उनके अन्य रिश्तेदारों ने भी अपने स्तर से रुपये इलाज के लिए दिए थे। उन्होंने कहा कि मृत होने की जानकारी अस्पताल प्रबंधन ने नहीं दी और सिर्फ रुपये लेते रहे। मंगलवार को रेफर करने से पहले भी रुपये जमा करने की बात कही गई थी और करीब 40 हजार रुपये और ले लिए थे। विष्णु की मौत के बाद परिवार में कोहराम मचा रहा। मृतक की पत्नी गर्भवती है। उसका भी रोकर बुरा हाल रहा।
मेडिकल कॉलेज की असिस्टेंट प्रोफेसर के पति का है निजी अस्पताल
बताते हैं कि जिस निजी अस्पताल में घायल विष्णु की मौत के बाद हंगामा हुआ है। वह मेडिकल कॉलेज से ही रेफर होने के बाद इस अस्पताल में पहुंचा था। ये निजी अस्पताल मेडिकल कॉलेज की नॉन बॉड पर कार्यरत एक असिस्टेंट प्रोफेसर के पति का ही है। हंगामे के दौरान इसे लेकर भी सवाल उठाए जाते रहे। इधर, हंगामे के काफी देर बाद तक मौके पर स्वास्थ्य विभाग की टीम नहीं पहुंच सकी थी।
इंस्पेक्टर सुनगढ़ी पवन कुमार पांडेय ने बताया कि माधोटांडा रोड पर पीलीभीत न्यूरो केयर एंड सर्जिकल हॉस्पिटल में मरीज की मौत के बाद हंगामे की सूचना मिली थी। इस पर पुलिस मौके पर पहुंची और जानकारी की है। परिवार से वार्ता की जा रही ह। तहरीर मिलने पर नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी।
