Swachh Survekshan Rural-2025 : ग्रामीण बताएंगे गांवों में क्या आया बदलाव, App पर फीडबैक के जरिये जिलों की रैंकिंग

Amrit Vichar Network
Published By Anjali Singh
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लखनऊ, अमृत विचार : प्रदेश में स्वच्छ भारत मिशन के तहत ग्रामीण इलाकों में कराए गए कार्यों से स्वच्छता और वातावरण में क्या बदलाव आया यह ग्रामीण बताएंगे। उनके फीडबैक पर जिले की रैंकिंग निर्धारित की जाएगी। फीडबैक लेने के लिए इस बार केंद्र ने 'स्वच्छ सर्वेक्षण ग्रामीण-2025' एप विकसित किया है। 15 जून से शुरू हुए इस अभियान में 9 जुलाई तक 1,87,280 ग्रामीण फीडबैक दे चुके हैं। 15 अगस्त तक फीडबैक लिए जाएंगे।

इस अभियान में ग्रामीणों से एप डाउनलोड करके साफ-सफाई, ठोस एवं तरल अपशिष्ट प्रबंधन, व्यक्तिगत शौचालय, दृश्यमान स्वच्छता के 13 बिंदुओं पर उनकी हां या न में राय मांगी गई है। एप के अलावा पंचायत भवन, आंगनबाड़ी केंद्र, प्राथमिक विद्यालय, ब्लॉक व मुख्यालय के कार्यालयों पर स्कैनर चस्पा किए हैं। 

इसे मोबाइल से स्कैन करते ही फीडबैक का पेज खुल जाता है। इससे भी आते-जाते हुए ग्रामीण फीडबैक दे रहे हैं। इसी अभियान में केंद्र से स्थलीय निरीक्षण करने टीमें आएंगी। जो गांवों में स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण के कार्यों स्थिति परखेंगी और ग्रामीणों से बात करेंगी। टीम के निरीक्षण और फीडबैक के अंकों को जोड़कर जनपद की रैंक बनाई जाएगी।

फीडबैक देने में ये 19 जिले पीछे

गौतमबुद्ध नगर 361 फीडबैक, इसी तरह अमेठी 373, कानपुर नगर 465, हापुड़ 517, बागपत 551, अलीगढ़ 572, महोबा 578, भदोही 692, कानपुर देहात, 717, अयोध्या 722, चित्रकूट 735, बदायूं 792, शामली 821, कन्नौज 835, गाजियाबाद 883, फर्रुखाबाद 984, फिरोजाबाद 984 व बलिया 991 फीडबैक

इन बिंदुओं पर देना है फीडबैक

- सभी घरों में शौचालय की सुविधा है

- कोई ऐसा क्षेत्र जहां खुले में शौच किया जाता है
- शौचालय का मल नाला, नाली या खुले में तो नहीं डाला जाता

- ठोस कचरे की परिवहन क्या व्यवस्था है
- डोर-टू-डोर कचरा सग्रहण की आवृत्ति क्या है

- ठोस अपशिष्ट प्रबंधन के संबंध में गांव की समग्री स्थिति का मूल्यांकर कैसे करेंगे
- घरों से निकलने वाले गंदे पानी के निपटाने की व्यवस्था

- तरल अपशिष्ट प्रबंधन के संबंध में गांव की समग्री स्थिति का मूल्यांकर कैसे करेंगे
- कोई आवासीय क्षेत्र जहां खुले में कूड़ा फेंका जाता हो

- खुल में कचरा जलाने की कोई घटना हुई है
- पांच वर्ष में गांव की स्वच्छता में क्या बदलाव देखा

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