शाहजहांपुर: करोड़ों खर्च फिर भी ताले में बंद एमआरएफ सेंटर...जंक खा रही कूड़ा शोधन की मशीनें
शाहजहांपुर, अमृत विचार। शहर को साफ-सुथरा और स्वच्छ बनाने के दावों के बीच नगर निगम की लापरवाही सामने आई है। करीब दो करोड़ रुपये खर्च कर नगर निगम ने शहर के छह स्थानों—ककरा, चिनौर, अजीजगंज, खिलौली, अहमदपुर निवाजपुर और श्यामतगंज गौटिया—में मैटेरियल रिकवरी फैसिलिटी (एमआरएफ) सेंटर तो बनवा दिए, लेकिन महीनों बाद भी यह सेंटर केवल ताले झूलाने का काम कर रहे हैं।
करोड़ों रुपये की लागत से खरीदी गई मशीनें धूल फांक रही हैं और धीरे-धीरे उनमें जंग लगने लगा है। नगरायुक्त जल्द इन्हें सुचारू कराने का दावा तो कर रहे हैं, लेकिन यह कब सुचारू होंगे बताने वाला कोई नहीं है।
नगर निगम ने योजना बनाई थी कि शहर से प्रतिदिन निकलने वाले 130 मीट्रिक टन कूड़े का वैज्ञानिक निस्तारण किया जाएगा, लेकिन हकीकत यह है कि महज 10 टन कूड़े का ही प्रबंधन हो पा रहा है। ककरा स्थित डंपिंग ग्राउंड पर बने एमआरएफ सेंटर की 90 टन प्रतिदिन की क्षमता भी बेकार पड़ी है। यहां भी दूसरी यूनिट का निर्माण पूरा हो चुका है, मगर बिजली कनेक्शन न होने से ताला लगा है। इसी तरह अजीजगंज, चिनौर और अन्य सेंटरों पर भी मशीनें पहुंच चुकी हैं लेकिन बिजली कनेक्शन के इंतजार में वे महीनों से बेकार पड़ी हैं। शहर के 60 वार्डों का कूड़ा आज भी पुरानी व्यवस्था के भरोसे उठाया जा रहा है। नगर निगम बार-बार जल्द संचालन शुरू करने का दावा करता है, मगर यह दावे अब महज दिखावा लगते हैं। करोड़ों की योजनाओं का इस तरह फेल हो जाना प्रशासनिक लापरवाही का बड़ा उदाहरण बन चुका है।
फैक्ट फाइल:
6 स्थानों पर बने एमआरएफ सेंटर
प्रत्येक सेंटर पर लागत लगभग 35 लाख
कुल लागत 2.10 करोड़ (अनुमानित)
शहर में प्रतिदिन निकलने वाला कूड़ा करीब 130 मीट्रिक टन
वर्तमान में निस्तारण केवल 10 टन प्रतिदिन
नगरायुक्त डॉ. बिपिन कुमार मिश्र ने बताया कि हमारा प्रयास है कि इसी माह सभी एमआरएफ सेंटरों का संचालन शुरू हो जाए ताकि कूड़े का निस्तारण व्यापक स्तर पर हो सके।
