PM मोदी, RSS पर विवादित कार्टून बनाने वाले शख्स को सुप्रीम कोर्ट ने लगाई फटकार, गिरफ्तारी पर लगाई रोक
दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और RSS कार्यकर्ताओं के कथित आपत्तिजनक कार्टून सोशल मीडिया पर साझा करने के आरोपी एक कार्टूनिस्ट को दंडात्मक कार्रवाई से संरक्षण प्रदान किया। हालांकि, न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया और न्यायमूर्ति अरविंद कुमार की पीठ ने चेतावनी दी कि अगर वह सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक पोस्ट डालते रहे, तो राज्य सरकार कानून के तहत उनके खिलाफ कार्रवाई करने के लिए स्वतंत्र है।
पीठ ने अपमानजनक सोशल मीडिया पोस्ट पर आदेश पारित करने पर विचार करते हुए कहा, ‘‘हमें इस बारे में कुछ करना होगा।’’ कथित अपमानजनक ऑनलाइन पोस्ट पर नाराजगी जताते हुए पीठ ने कहा, ‘‘लोग किसी को भी, कुछ भी कह देते हैं।’’ कार्टूनिस्ट हेमंत मालवीय ने तीन जुलाई को मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय द्वारा उन्हें अग्रिम जमानत देने से इनकार करने के आदेश को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी।
वकील और RSS कार्यकर्ता विनय जोशी द्वारा दायर एक शिकायत पर मई में इंदौर के लसूड़िया थाने में मालवीय के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था। जोशी ने आरोप लगाया कि मालवीय ने सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक सामग्री अपलोड करके हिंदुओं की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाई और सांप्रदायिक सद्भाव बिगाड़ा। मालवीय की ओर से वकील वृंदा ग्रोवर ने 14 जुलाई को कोविड-19 महामारी के दौरान 2021 में बनाए गए एक कार्टून से संबंधित मामले पर दलील पेश कीं।
उन्होंने कहा, ‘‘यह अरुचिकर हो सकता है। मैं कहना चाहूंगी कि यह अशोभनीय है। मैं यह भी कहने को तैयार हूं, लेकिन क्या यह अपराध है? माननीय न्यायाधीश ने कहा है, यह आपत्तिजनक हो सकता है, लेकिन यह अपराध नहीं है। मैं सिर्फ कानून की बात कर रही हूं। मैं किसी भी चीज़ को सही ठहराने की कोशिश नहीं कर रही हूं।’’ ग्रोवर ने कथित आपत्तिजनक पोस्ट को हटाने पर सहमति जताई।
न्यायमूर्ति धूलिया ने तब कहा, ‘‘हम इस मामले में चाहे जो भी करें, लेकिन यह निश्चित रूप से अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का दुरुपयोग है।’’ मध्य प्रदेश की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल के एम नटराज ने कहा कि ऐसी ‘चीजें’ बार-बार की जाती हैं। जब ग्रोवर ने कहा कि कुछ परिपक्वता होनी चाहिए, तो नटराज ने कहा, ‘‘यह केवल परिपक्वता का सवाल नहीं है। यह इससे कहीं अधिक है।’’
प्राथमिकी में कई ‘आपत्तिजनक’ पोस्ट का ज़िक्र है, जिनमें भगवान शिव पर कथित रूप से अनुचित टिप्पणियों के साथ-साथ कार्टून, वीडियो, तस्वीरें और मोदी, आरएसएस कार्यकर्ताओं व अन्य लोगों के बारे में टिप्पणियां शामिल हैं। उच्च न्यायालय में मालवीय के वकील ने दलील दी थी कि उन्होंने केवल एक कार्टून पोस्ट किया था, लेकिन अन्य फेसबुक उपयोगकर्ताओं द्वारा उस पर पोस्ट की गई टिप्पणियों के लिए उन्हें जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता।
प्राथमिकी में उन पर हिंदुओं की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने और आरएसएस की छवि धूमिल करने के इरादे से अभद्र और आपत्तिजनक सामग्री पोस्ट करने का आरोप लगाया गया है। पुलिस ने आरोपी के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता की धारा 196, 299 और 352 के साथ-साथ सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 67-A के तहत मामला दर्ज किया था।
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