15 गोलियों का सामना कर भी दुश्मनों पर फेंका ग्रेनेड, उड़ाए चिथड़े, जानिए कारगिल के परमवीर योगेंद्र की वीरता की कहानी
Kargil Vijay Diwas 2025: 26 जुलाई 1999 को भारत ने पाकिस्तान के नापाक इरादों को ध्वस्त कर कारगिल युद्ध में शानदार जीत हासिल की थी। इस युद्ध, जिसे ऑपरेशन विजय के नाम से जाना जाता है, में भारत और पाकिस्तान दोनों के कई सैनिकों ने अपनी जान गंवाई। तब से हर साल 26 जुलाई को भारत में कारगिल विजय दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस युद्ध में शामिल सभी भारतीय सैनिक देश के नायक हैं, लेकिन इनमें से एक ऐसे जवान थे जिन्होंने 15 गोलियां लगने के बावजूद दुश्मनों को परास्त कर दिया। उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर के योगेंद्र सिंह यादव को उनकी अदम्य वीरता और देश की रक्षा के लिए परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया। उन्होंने कई बार उस दिन की घटना का जिक्र किया, जब उन्होंने 15 गोलियां खाकर भी दुश्मनों को धूल चटाई थी। 18 ग्रेनेडियर्स रेजिमेंट में शामिल योगेंद्र को इस बात का जरा भी अंदाजा नहीं था कि सेना में भर्ती होने के तुरंत बाद उन्हें युद्ध के मैदान में उतरना पड़ेगा।
योगेंद्र सिंह यादव बताते हैं, "मई 1999 में मैं अपनी शादी के लिए छुट्टी पर घर आया था। शादी के दो दिन बाद मैंने एक सपना देखा, जिसमें दुश्मन हमारे तिरंगे को उखाड़कर ले जा रहे थे और हम उनके पीछे दौड़ रहे थे। सुबह जब मैं उठा, तो मैंने अपने परिवार को इस बारे में बताया। उन्होंने कहा कि तुम सीमा पर गोलियां चलाते हो, इसलिए ऐसा सपना आया होगा।"
उन्होंने आगे बताया, "दो महीने बाद, 4 जुलाई 1999 को जब मैं छुट्टियों से ड्यूटी पर लौटा, तो मेरा सपना सच हो गया। पाकिस्तानी सैनिकों ने हमारी चौकियों पर कब्जा कर लिया था। मैं उस समय 18 ग्रेनेडियर्स रेजिमेंट का हिस्सा था। हमें जम्मू-कश्मीर की टाइगर हिल पर देश की रक्षा के लिए तैनात किया गया। हजारों फीट की ऊंचाई और हथियारों से लैस दुश्मन सबसे बड़ी चुनौती थे। फिर भी, हमने चढ़ाई का फैसला किया। 21 जवानों की हमारी टुकड़ी जैसे ही आधे रास्ते तक पहुंची, दुश्मन ने ऊपर से हमला शुरू कर दिया। इसमें हमारे कुछ साथी शहीद हो गए। मैंने दुश्मनों का सामना करते हुए 15 गोलियां खाईं, जो मेरी बांह और शरीर के अन्य हिस्सों में लगीं। लेकिन मैं जीवित था। मेरे साथ मौजूद छह अन्य सैनिक शहीद हो चुके थे। मेरे आसपास भारतीय और पाकिस्तानी सैनिकों की लाशें बिखरी थीं। पाकिस्तानी सैनिकों ने हमारे सारे हथियार ले लिए, लेकिन मेरी जेब में रखा एक ग्रेनेड उन्हें नहीं मिला।"
योगेंद्र ने आगे कहा, "मैंने पूरी ताकत लगाकर वह ग्रेनेड निकाला और उसकी पिन खींचकर पाकिस्तानी सैनिकों की ओर फेंक दिया। ग्रेनेड एक सैनिक को लगा और उसके चिथड़े उड़ गए। फिर मैंने उनकी राइफल छीनी और ताबड़तोड़ फायरिंग शुरू कर दी, जिसमें पांच पाकिस्तानी सैनिक मारे गए। मेरा बहुत खून बह चुका था और मुझे होश बनाए रखने में मुश्किल हो रही थी। मैं पास के नाले में कूद गया और करीब 400 मीटर तक पानी के बहाव में बहता रहा। तभी भारतीय सैनिकों ने मुझे देख लिया और वहां से निकालकर इलाज के लिए भेज दिया।"
बता दें कि योगेंद्र सिंह यादव (वर्तमान में सूबेदार मेजर) को मात्र 19 साल की उम्र में परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया, जो भारत का सर्वोच्च सैन्य सम्मान है। भारतीय सेना की आधिकारिक वेबसाइट के अनुसार, "टाइगर हिल की बर्फीली चोटियों पर योगेंद्र ने अपनी वीरता से देश की रक्षा की। दुश्मनों ने उन्हें और उनके साथियों पर हमला किया और उनके शरीर के कई हिस्सों में गोलियां लगीं, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और दुश्मनों को मार गिराया।"
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