विश्व में हिंदी अब आत्मविश्वास की भाषा बन चुकी है, एकेटीयू के 25 साल पूरे होने पर बोले ब्रजेश पाठक
लखनऊ, अमृत विचार: हिंदी समाहित करती है, इसका शब्दकोश लगातार बढ़ रहा है। भारत जिस तरह से दुनिया में अपनी कामयाबी के झंडे गाड़ रहा है उससे हिंदी अब आत्मविश्वास की भाषा बन गई है। उक्त बातें उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने एकेटीयू के स्थापना दिवस पर कही। डाॅ. एपीजे अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय में शनिवार को सिल्वर जुबली वर्ष एवं 25वां स्थापना दिवस धूमधाम से मनाया जा रहा हैं। कार्यक्रम में सिल्वर जुबली लोगो काॅम्प्टीशन के विजेताओं को पुरस्कृत किया गया। इसके अलावा विश्वविद्यालय के गोद लिये गये पांच आंगनबाड़ी केंद्रों की कार्यकत्रियों को प्रशस्ति पत्र दिया गया। साथ ही गोद लिये गये स्कूलों और आईईटी में छात्रों की ओर से संचालित परमार्थ के 25-25 बच्चों को किट दिया गया। साथ ही इंट्रा यूनिवर्सिटी स्पोट्र्स टूर्नामेंट के विजेताओं और प्रतिभागियों को प्रमाणपत्र दिये गये।
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इस मौके पर कुलपति प्रो. जेपी पाण्डेय ने विश्वविद्यालय की 25 वर्षों की यात्रा पर प्रकाश डाला। कहा कि यह एक भावनात्मक करने वाला दिन है। कहा कि विश्वविद्यालय के इस 25वें साल में नैक ने पहली बार मूल्यांकन किया और ए ग्रेड मिला। उत्तर भारत में परीक्षा प्रणाली को डिजिटलाइजेशन करने और डिजीलॉकर को शुरू करने वाला पहला विश्वविद्यालय है। कई मामलों में यह विश्वविद्यालय अन्य संस्थानों के लिए रोल मॉडल है।
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि शामिल हुए विधायक बीकेटी विधानसभा योगेश शुक्ला ने कहा कि यह विश्वविद्यालय न केवल शैक्षणिक रूप से छात्रों को सबल कर रहा है बल्कि सामाजिक सरोकारों में भी अपना योगदान दे रहा है। यहां न केवल युवाओं को दिशा दी जा रही है बल्कि गांव के स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को बुलाकर कार्यक्रम का हिस्सा बनाने से उनके मन में भी आगे बढ़ने की ललक जगाई जा रही है।
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कार्यक्रम में कार्यवाहक कुलसचिव केशव सिंह ने विश्वविद्यालय के 25 सालों की प्रगति आख्या प्रस्तुत की। इसके अलावा निदेशक आईईटी प्रो. विनीत कंसल, निदेशक कैश प्रो. वीरेंद्र पाठक एवं डीन एफओएपी प्रो. वंदना सहगल ने भी 25 सालों की यात्रा पर प्रकाश डाला। इस दौरान विश्वविद्यालय के 25 वर्षों पर आधारित डॉक्यूमेंट्री फिल्म भी चलायी गयी। इसके पहले कार्यक्रम की शुरुआत 25 पौधों के रोपण से हुई।
