लखनऊ विश्वविद्यालय में छात्रों की जीत: प्रशासन ने वापस लिया फीस वृद्धि और अलोकतांत्रिक फरमान
लखनऊ: लखनऊ विश्वविद्यालय में समाजवादी छात्र सभा के नेतृत्व में हुए जोरदार विरोध प्रदर्शन के बाद प्रशासन को छात्र हितों के पक्ष में बड़ा फैसला लेना पड़ा। छात्रों का कहना है कि कुछ दिन पहले विश्वविद्यालय प्रशासन ने महिला छात्रावास आवंटन को लेकर एक अलोकतांत्रिक और दमनकारी आदेश जारी किया था, जिसमें कहा गया था कि बिना छात्रावास प्रबंधक की अनुमति के सोशल मीडिया पर कुछ भी साझा करने पर निष्कासन तक की कार्रवाई हो सकती है। इसके साथ ही छात्रावास की फीस में 2,000 रुपये की वृद्धि का भी प्रस्ताव था।
छात्रों के विरोध ने दिखाया असर
समाजवादी छात्र सभा ने इस अलोकतांत्रिक आदेश और फीस वृद्धि के खिलाफ आवाज बुलंद की। संगठन ने दो दिन पहले अधिष्ठाता छात्र कल्याण (DSW) कार्यालय के घेराव की घोषणा की थी। इस घोषणा के बाद प्रशासन ने त्वरित कार्रवाई करते हुए 29 जुलाई को फीस वृद्धि का फैसला वापस ले लिया। इसके अलावा, पूर्व निर्धारित DSW घेराव के दौरान प्रशासन ने मौके पर ही छात्रावास आवंटन के लिए जारी अंडरटेकिंग लेटर को रद्द कर दिया और पुरानी प्रक्रिया के तहत ही पुरुष और महिला छात्रावासों में आवंटन करने का निर्णय लिया।
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छात्र सभा के नेताओं ने जताया आभार
समाजवादी छात्र सभा, लखनऊ विश्वविद्यालय इकाई के अध्यक्ष प्रिंस कुमार ने कहा, "प्रशासन छात्रों की मजबूरी को अवसर के रूप में देखकर उन पर अनुचित नियम थोपने की कोशिश कर रहा था। लेकिन हमारे संगठित विरोध ने प्रशासन को छात्र हित में फैसला लेने के लिए मजबूर किया। हम प्रशासन के इस कदम का स्वागत करते हैं और उनका आभार व्यक्त करते हैं।"
छात्र हितों के लिए प्रतिबद्ध: अभिषेक श्रीवास्तव
प्रदर्शन में लोहिया वाहिनी के राष्ट्रीय सचिव और शोध छात्र अभिषेक श्रीवास्तव भी शामिल थे। उन्होंने कहा, "समाजवादी छात्र सभा छात्रों के अधिकारों और हितों की रक्षा के लिए हमेशा प्रतिबद्ध है। यह जीत छात्रों के एकजुट संघर्ष का नतीजा है।"
इन छात्र नेताओं ने निभाई अहम भूमिका
प्रदर्शन में समाजवादी छात्र सभा के प्रदेश सचिव अक्षय यादव, सतीश चंद्र, छात्र नेता अविनाश यादव, इकाई उपाध्यक्ष आदित्य पांडे, रोहित यादव, शिवा जी यादव, धर्मेंद्र, नीतीश, अनमोल राय, रुद्रवीर, प्रभात, शिव पूजन, विकास पटेल, अक्षत, सूर्यांश आर्यन, प्रशांत पाल, रघुवंश, अखिलेश यादव, अभिषेक मिश्रा, आयुष यादव, मुकुल, शिवम पाल, आशीष यादव, अगस्त यादव, विशाल सहित कई छात्र मौजूद रहे।
यह प्रदर्शन न केवल छात्रों की एकजुटता का प्रतीक बना, बल्कि प्रशासन को यह भी स्पष्ट कर दिया कि छात्र हितों के खिलाफ कोई भी फैसला बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
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