कोर्ट को गुमराह करने पर 25 हजार का जुर्माना : अनुकंपा नियुक्ति के पुराने मामले में बार-बार याचिका दाखिल कर रहे वादी को हाईकोर्ट ने लगाई फटकार
प्रयागराज, अमृत विचार : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अनुकंपा नियुक्ति के लिए वर्षों पुराने दावे को बार-बार याचिका के माध्यम से प्रस्तुत कर न्यायिक प्रक्रिया का दुरुपयोग करने वाले वादी पर 25 हजार रुपए का जुर्माना लगाते हुए माना कि वादी वास्तविक याची नहीं है और उसने न्यायालय को बार-बार गुमराह करने की कोशिश की है। उक्त आदेश न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमशेरी की एकलपीठ ने हरिशंकर की याचिका खारिज करते हुए पारित किया।
याची ने अपने पिता की 2007 में सेवाकाल के दौरान मृत्यु के बाद अनुकंपा नियुक्ति का आवेदन किया था, जिसे वर्ष 2011 में खारिज कर दिया गया। इसके बावजूद उन्होंने उस आदेश को कभी चुनौती नहीं दी और 2016 से लेकर 2023 तक अलग-अलग आदेशों को आधार बनाकर याचिकाएं दाखिल करते रहे। कोर्ट ने कहा कि याची ने दो बार जानबूझकर आवश्यक तथ्यों को छिपाया और कोर्ट को गुमराह किया। अंत में कोर्ट ने याचिका को खारिज करते हुए स्पष्ट किया कि अब इस मामले को दोबारा खोलने का कोई औचित्य नहीं है। न्यायिक प्रक्रिया का दुरुपयोग करने पर याची पर 25 हजार रुपए का जुर्माना लगाया गया जो कोर्ट की अवमानना और समय की बर्बादी के खिलाफ कठोर संदेश है।
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