प्रकृति की नैसर्गिक छटा से भरपूर नैनीताल का रंगमंच

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Published By Muskan Dixit
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उत्तराखंड, अमृत विचारः नैनीताल का रंगमंच कुमाऊनी संस्कृति और सभ्यता का आईना, और भारतीय अतीत के साहित्य व सामाजिक जीवन का अदभुत रूप है। नैसर्गिक पर्वतीय क्षेत्र का आकर्षण 141 वर्ष पहले कला प्रेमी बंगाली कलाकारों को यहां खींचकर लाया था, जिन्होंने वर्ष 1884 में नाट्य मंचन का शुभारंभ किया। इसी के बाद वर्ष 1900 में इंडियन क्लब की स्थापना हुई और स्थानीय लोग भी नाट्य मंचन में हिस्सा लेने लगे। 1900 में ही इंडियन एमेच्योर क्लब और 1910 में फ्रेंड्स एमेच्योर ड्रामेटिक क्लब खुला। इस दौर में ज्यादातर धार्मिक नाटकों का मंचन हुआ करता था। आजादी के काफी बाद 1980 के दशक में युगमंच की स्थापना हुई। नैनीताल का प्रसिद्ध यह रंगमंच समूह उत्तराखंड के सांस्कृतिक इतिहास, भूगोल और नाट्य आंदोलन में योगदान दे रहा है।

नैनीताल का रंगमंच, सांस्कृतिक गतिविधियों का  महत्वपूर्ण हिस्सा रहा है। इसने क्षेत्र की कलात्मक विरासत को समृद्ध किया है। कई स्थानीय कलाकारों को अलग पहचान दिलाई है। इनमें ललित तिवारी को जहां बॉलीवुड की राह मिली, वहीं निर्मल पांडे ने बैंडिट क्वीन
में विक्रम मल्लाह का शानदार किरदार निभाया।  ज्ञान प्रकाश भी रंगमंच से टीवी धारावाहिक और बॉलीवुड में सक्रिय हैं, जबकि इदरीस मलिक रंगमंच के जरिए युवाओं की प्रतिभा निखार रहे हैं। मशहूर रंगकर्मी मिथिलेश पांडे कहते हैं कि नैनीताल के रंगमंच ने अभिनय ही नहीं बल्कि निर्देशन के साथ फिल्म मेकिंग और कला की अनेक वर्गों में प्रतिभाओं को स्थापित किया है। 

लेखक - अभिनेता ललित तिवारी

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