लखनऊ: गन्ना पर्यवेक्षक संघ ने डिजिटल क्रॉप सर्वे से मुक्ति की उठाई मांग, कहा- नहीं है यह हमारा काम

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Published By Virendra Pandey
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लखनऊ, अमृत विचार। उत्तर प्रदेश गन्ना पर्यवेक्षक संघ के नवनिर्वाचित पदाधिकारियों ने राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के महामंत्री अतुल मिश्रा से गुरुवार को मुलाकात की और एग्री स्टैक योजना के तहत डिजिटल क्रॉप सर्वे कार्य से गन्ना पर्यवेक्षकों को मुक्त रखने के लिए सहायता करने की मांग उठाई है। संघ के पदाधिकारियों ने इस संबंध में मौजूदा समस्याओं से महामंत्री को अवगत कराया और इस मुद्दे को उठाने का अनुरोध किया।

अतुल-मिश्रा
इप्सेफ के महासचिव अतुल मिश्रा

 

जिस पर महामंत्री अतुल मिश्रा ने इस मामले पर मुख्य सचिव को पत्र लिखा, जिसमें मांग की गई है कि गन्ना पर्यवेक्षकों को डिजिटल क्रॉप सर्वे कार्य से मुक्त रखा जाए। उन्होंने कहा कि जब राजस्व विभाग के कार्य से लेखपालों को मुक्त करते हुए निजी सर्वेयरों से यह कार्य कराने का निर्देश है, तो ऐसे में गन्ना पर्यवेक्षकों को भी इस अतिरिक्त जिम्मेदारी से मुक्त रखना चाहिए। उन्होंने, मुख्य सचिव से गन्ना किसानों के हितों और पर्यवेक्षकों की कम संख्या को देखते हुए इस संबंध में तत्काल उचित निर्देश जारी करने का अनुरोध किया, ताकि विभाग और कर्मचारियों के बीच टकराव न हो। 

परिषद के महामंत्री अतुल मिश्रा ने बताया कि संघ के नवनिर्वाचित अध्यक्ष, महामंत्री और वरिष्ठ उपाध्यक्ष ने मुलाकात के दौरान बताया कि खरीफ फसल 2025 से शुरू होने वाले डिजिटल क्रॉप सर्वे का कार्य अब लेखपालों के स्थान पर पंचायती राज, ग्राम्य विकास, कृषि और गन्ना विभाग के कर्मचारियों (गन्ना पर्यवेक्षकों) को सौंपा जा रहा है। यह निर्णय उत्तर प्रदेश शासन के 30 जुलाई 2025 के आदेश के तहत लिया गया है, जिसमें प्राइवेट सर्वेयरों के साथ-साथ गन्ना पर्यवेक्षकों को भी इस कार्य में शामिल करने को कहा गया है।

गन्ना पर्यवेक्षकों की भूमिका

उत्तर प्रदेश गन्ना पर्यवेक्षक संघ के महामंत्री अमित सिंह ने बताया कि गन्ना पर्यवेक्षक गन्ना विकास विभाग में गन्ने की उन्नत और आधुनिक खेती को बढ़ावा देने के साथ-साथ किसानों की समृद्धि के लिए भी काम संचालित विभिन्न योजनाओं के क्रियान्वयन की मुख्य धुरी हैं। गन्ना विभाग का कार्य चीनी उद्योग से जुड़ा है, जो प्रदेश की आर्थिक समृद्धि और रोजगार सृजन में अहम भूमिका निभाता है। गन्ना पर्यवेक्षक गन्ना उत्पादन से लेकर चीनी मिलों तक आपूर्ति की पूरी प्रक्रिया में महत्वपूर्ण कार्य करते हैं। उन्होंने बताया कि वर्तमान में विभाग में कुल स्वीकृत पदों के सापेक्ष केवल 40 प्रतिशत गन्ना पर्यवेक्षक कार्यरत हैं, जिसके कारण उन पर पहले से ही अत्यधिक कार्यभार है। ऐसे में डिजिटल क्रॉप सर्वे जैसे अतिरिक्त कार्यों का बोझ डालना उनके लिए तर्कसंगत नहीं है। 

गन्ना पर्यवेक्षक संघ के अध्यक्ष देवेंद्र कुमार के मुताबिक फसल की खसरा पड़ताल का कार्य अभी तक राजस्व विभाग द्वारा किया जाता रहा है। उन्होंने उत्तर प्रदेश शासन की तरफ से साल 2023 में 30 अगस्त को जारी किये गये पत्रांक संख्या 951 का हवाला देते हुये बताया कि यह कार्य लेखपालों द्वारा ही किया जाना है। हालांकि, हाल के आदेश (30 जुलाई 2025) में इस कार्य को निजी क्षेत्र के सर्वेयरों, पंचायत सहायकों, ग्राम्य विकास के रोजगार सेवकों, कृषि विभाग के संविदा कर्मियों और गन्ना पर्यवेक्षकों को सौंपने का निर्णय लिया गया है। यह गन्ना किसानों के हितों और विभागीय कार्यों को प्रभावित कर सकता है। 

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