निजीकरण के विरोध में सांसदों-विधायकों को भेजा पत्र, बिजली कर्मियों ने Privatization के दस्तावेज सार्वजनिक करने की मांग

Amrit Vichar Network
Published By Muskan Dixit
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लखनऊ, अमृत विचार: विधानमंडल के मानसून सत्र के पूर्व विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति उप्र ने रविवार को प्रदेश के सभी सांसदों व विधायकों को पत्र भेजकर पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम व दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण का दस्तावेज सार्वजनिक करने व निजीकरण का निर्णय निरस्त कराने की मांग की।

भेजे गए पत्र में संघर्ष समिति ने आरोप लगाया है कि निजीकरण की सारी प्रक्रिया अपारदर्शी व संदेह के घेरे में है। पत्र में आंकड़े देकर बताया गया है कि घाटे के नाम पर पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम को बेचा जा रहा है, पर वास्तव में यह दोनों निगम घाटे में नहीं हैं। पावर कॉरपोरेशन प्रबंधन सब्सिडी की धनराशि व सरकारी विभागों का बिजली राजस्व का बकाया घाटे के मद में दिखा रहा है। सब्सिडी व सरकारी विभागों का बिजली राजस्व का बकाया जोड़ने के बाद दोनों निगम मुनाफे में हैं। वर्ष 2024-25 में पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम 2253 करोड़ रुपये के मुनाफे में है और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम 3011 करोड़ रुपये के मुनाफे में है।

संघर्ष समिति ने आरोप लगाया है कि निजीकरण के लिए तैयार किए गए दस्तावेज के अनुसार पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम व दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम को मात्र 6500 करोड़ रुपये की रिजर्व प्राइस के आधार पर बेचा जा रहा है, जबकि इन दोनों निगमों की परिसंपत्तियों का मूल्य लगभग एक लाख करोड़ रुपये है।

निगमों की परिसंत्तियों को एक रुपये लीज पर देने की तैयारी

पत्र में कहा गया है कि विडंबना है कि वर्ष 2024-25 में इन दोनों निगम ने कुल 5264 करोड़ रुपये का मुनाफा कमाया है और इन्हें मात्र 6500 करोड़ रुपये की रिजर्व प्राइस पर बेचने की साजिश है। इन दोनों निगमों की 42 जिलों की अरबों-खरबों रुपये की जमीन मात्र एक रुपये की लीज पर निजी घरानों को सौंपी जाएगी। संघर्ष समिति ने लिखा है कि इलेक्ट्रिसिटी एक्ट की धारा-131 के अनुसार सरकारी क्षेत्र के विद्युत वितरण निगम को किसी निजी क्षेत्र को बेचने के पहले उसकी परिसंपत्तियों का सही मूल्यांकन किया जाना और उसका ‘रेवेन्यू पोटेंशियल’ निकाला जाना जरूरी है। संघर्ष समिति ने कहा है कि इन दोनों वितरण निगमों की परिसंपत्तियों का मूल्यांकन किये बिना इन निगमों को बेचने के लिये किस आधार पर 6500 करोड़ रुपए की रिजर्व प्राइस तय की गई है।

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