Bareilly : पहाड़ों की बारिश से नदियां उफनीं, कई गांवों में बाढ़ का खतरा

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Published By Monis Khan
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बहेड़ी, मीरगंज और फरीदपुर में बाढ़ चौकियां सक्रिय कराकर तटबंधों पर बढ़ाई गई निगरानी

बरेली, अमृत विचार। लगातार हो रही बारिश और उत्तराखंड के गौला बैराज से छोड़े गए 55 हजार क्यूसेक पानी ने तराई और रोहिलखंड के गांवों में चिंता बढ़ा दी है। किच्छा नदी का जलस्तर खतरे से ऊपर बह रहा है। वहीं, बहगुल, दोजोडा, रामगंगा और देवहा नदियां भी उफान पर हैं। बहेड़ी, मीरगंज, फरीदपुर और आंवला क्षेत्र के गांव बाढ़ की चपेट में आने लगे हैं।

खेतों में कटान और जलभराव से गन्ना व धान की फसलें डूब रही हैं। प्रशासन ने बाढ़ चौकियों को सक्रिय कर तटबंधों की निगरानी तेज कर अलर्ट जारी किया है। मंगलवार को तहसीलदार बहेड़ी भानु प्रताप सिंह ने अपनी टीम के साथ किच्छा नदी और आसपास के इलाकों का दौरा किया।

अधिकारियों के मुताबिक बहेड़ी में किच्छा नदी , मीरगंज में पश्चिमी बहगुल, दोजोडा नदी और फरीदपुर, मीरगंज, आंवला व नवाबगंज में रामगंगा और देवहा नदी प्रवाहित होती है। किच्छा नदी में पानी बढ़ने से बहेड़ी के गांव रतनपुर नौडांडी, रजपुरा, रिछोली, मुकरमपुर समेत दर्जनों गांव चपेट में है। यही हाल मीरगंज इलाके का है। रामगंगा, बहगुल नदी में लगातार जलस्तर बढ़ने से कटान हो रहा है।

नदी किनारे बसे गांव सुल्तानपुर, धर्मपुरा, मीरपुर,दुनका,बफरी अब्दुलनबीपुर, जुन्हाई आदि गांवों में गन्ना, धान की फसल जलमग्न हो गई है। लगातार बारिश और नदियों में छोड़े जा रहे पानी से हालात गंभीर होते जा रहे हैं। खेतों की फसलों के साथ किसानों की रोज़ी-रोटी पर भी खतरा मंडराने लगा है। ग्रामीणों ने प्रशासन से राहत और कटान रोकने के स्थायी इंतजाम की मांग की है।

देवहा नदी से किसानों की मुश्किलें बढ़ीं
सोमवार को नानक सागर और दूनी बैराज से छोड़े गए 41 हजार क्यूसेक से अधिक पानी ने देवहा नदी का जलस्तर अचानक बढ़ा दिया। भदपुरा क्षेत्र के बहीर जागीर, सिलरा, नवदिया और अमीरनगर गुलड़याई समेत दर्जनों गांव प्रभावित हुए हैं। किसानों की सैकड़ों बीघा जमीन नदी में समा चुकी है। पूरनलाल, श्रीराम, धर्मेंद्र और विवेक सिंह जैसे कई किसानों की करीब 40 बीघा जमीन जलधारा में बह गई। कटान की रफ्तार इतनी तेज है कि रोजाना उपजाऊ खेत बर्बाद हो रहे हैं।

सहायक अभियंता अमित किशोर ने बताया कि सभी तटबंध सुरक्षित हैं और उनकी लगातार निगरानी की जा रही है। बाढ़ चौकियों को सतर्क कर दिया गया है। हालांकि अभी जलस्तर खतरे के निशान से नीचे है, लेकिन गांवों में सतर्कता जरूरी है।

 

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