डिजिटल साक्षरता और सूचना जागरूकता में है गंभीर अंतर, लखनऊ विश्वविद्यालय में हुआ सूचना साक्षरता आंदोलन पर गहन अध्ययन
लखनऊ, अमृत विचार: देश में सूचना साक्षरता आंदोलन को आगे बढ़ाने में विश्वविद्यालय पुस्तकालयों की भूमिका बेहद अहम है। वहीं, डिजिटल साक्षरता और सूचना जागरूकता के बीच गंभीर अंतर पाया गया है। यह तथ्य लखनऊ विश्वविद्यालय में किए गए एक व्यापक अध्ययन में सामने आया है। उच्च शिक्षा में सूचना साक्षरता की दिशा में किए गए इस अध्ययन को रीता अवस्थी और डॉ. अंजलि गुलाटी ने संपन्न किया।
अध्ययन में बताया गया कि सूचना साक्षरता जानकारी को खोजने, मूल्यांकन करने और जिम्मेदारी से उपयोग करने की क्षमता 21वीं सदी की अनिवार्य दक्षता है, जो राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 से सीधे जुड़ी है। यह नीति डिजिटल साक्षरता, आलोचनात्मक सोच और नैतिक सूचना उपयोग को बढ़ावा देती है, ताकि विद्यार्थी स्वतंत्र और सूचित शिक्षार्थी बन सकें।
अध्ययन के पहले चरण में 51 विश्वविद्यालय पुस्तकालयों का संरचित सर्वेक्षण किया गया। निष्कर्षों से पता चला कि यद्यपि सूचना साक्षरता कार्यक्रम विशेषकर ओरिएंटेशन सत्र प्रभावी हैं, लेकिन इनमें भागीदारी कम है, विशेषज्ञता सीमित है और मानकीकृत नीति का अभाव है। शोधकर्ताओं का मानना है कि यदि पुस्तकालयों की भूमिका को सशक्त किया जाए तो सूचना साक्षरता आंदोलन को नई दिशा मिल सकती है।
