बुझ गया घर का एकलौता चिराग, अरौल हादसे में एक साथ उठी दो घरों में चिताएं, शव देखकर परिजनों में कोहराम 

Amrit Vichar Network
Published By Anjali Singh
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कानपुर, अमृत विचार। अरौल हादसे में अपनों के मौत की खबर पर बुधवार को तीनों के परिजन पोस्टमार्टम हाउस पहुंचे तो कोहराम मच गया। तीन बहनों में एकलौता शशि जिसकी शादी की तैयारी में परिजन रिश्ते की तलाश में थे, उसे कफन में देखकर चीख पड़े। वहीं शौकी चौधरी ने चार वर्षीय एकलौते पोते अनुराग का शव देखा तो खुद को संभाल नहीं सके। परिजनों ने सहारा दिया। बोले, मेरे बेटे का सबकुछ उजड़ गया। उसका एकलौता बेटा चला गया, पत्नी का एक पैर नहीं रहा। आईसीयू में वह अपने बेटे को देखने के लिए तड़प रही है। 

कैसे बताए उसे उसका लाडला नहीं रहा। सिसकारियों के बीच परिजन पोस्टमार्टम से शव लेकर बिहार रवाना हुए। वहीं अनुराग का शव नजीराबाद में ही दफनाया गया। बिल्हौर के अरौल स्थित लखनऊ-आगरा एक्सप्रेस वे पर सोमवार रात हुए हादसे में बालक समेत तीन जाने गई थी। खबर पाकर उनके परिजन मंगलवार देर रात तक शहर आए। बुधवार को पोस्टमार्टम हाउस पहुंचने पर चीख-पुकार मच गई। 

हादसे में 25 वर्षीय नसीम, 26 वर्षीय शशि और चार वर्षीय बालक अनुराम की जान गई। शशि के चचेरे भाई अंकुर गिरी ने बताया कि वह तीन बहनों में एकलौता भाई था। पिता धर्मेंद्र की कई साल पहले मौत हो चुकी है। मां उषा देवी बहनों के साथ गांव में रहती हैं। शशि गुवाहाटी में एक पेपर मिल में सुपरवाइजर था। बहनों की शादी के साथ परिवार की जिम्मेदारी उसी के कंधों पर थी। अंकुर के अनुसार वह नौकरी के लिए साऊदी जाना चाहता था। 

इसलिए मेडिकल के लिए 10 दिन पहले गुवाहाटी से निकला था। मेडिकल के बाद बिहार के मीरपुर शिवान घर होते हुए काम पर जाना चाहता था, इसलिए बस से आ रहा था। वहीं पोते अनुराग शव देखकर बाबा शौकी चौधरी खुद को संभाल नहीं सके। फफक पड़े। आंखों से आंसू छलकते रहे। परिजनों ने ढांढस बधाने का प्रयास किया, मगर उनकी चीखों ने सभी को रुला दिया। बोले कि मेरा तो घर उजड़ गया। बहू भी जिंदगी से लड़ रही है। बेटे अजय का एकलौता चिराग चला गया। जो गोद में खेल कर बड़ा हुआ, आज उसकी अर्थी गोद में उठानी पड़ रही है। बहू गुड्डी को कैसे बताए उसका बेटा अब उसके साथ नहीं खेलेगा। 

शौकी के बड़े बेटे संजय ने पिता को संभाला, लेकिन कुछ ही देर में खुद भी पिता से लिपट कर रोने लगे। कहा, गुड्डी बेटे को पूछ रही है, उसे अभी तक बताया नहीं गया है। कैसे बताए कि अनुराग का नजीराबाद कब्रिस्तान में अंतिम संस्कार कर दिया है। वहीं हादसे में जान गवाने वाले पूर्वी चंपारण के डुमरिया घाट दंगलपुर गांव निवासी बीटेक इलेक्ट्रीकल के प्रथम वर्ष के छात्र नसीम के परिजन शव देखकर बिलख पड़े। 

नसीम के पिता सोहेल अहमद साऊदी में होने के कारण नहीं आ सके। बड़ा भाई वसीम, मामा असजद अली, फूफा जाने आलम पोस्टमार्टम पहुंचे। होनहार भाई का शव देखकर वसीम बेसुध हो गया। बताया कि उसके कॉलेज में छुटि्टयां शुरू थीं और उसके दोस्त की बहन की शादी थी, इसलिए घर आ रहा था। आने से पहले उससे फोन पर बात हुई थी। बताया था कि शादी के लिए नई जैकेट ली है। क्या पता था जैकेट पहन नहीं सकेगा। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में तीनों की मौत अधिक खून बहने के कारण होने की पुष्टि हुई है। 

अजय ने कहा होटल में शराब परोसी जाती है 

चार वर्षीय अनुराग के पिता अजय ने बताया कि आगरा तक बस बहुत बढ़ियां आई थी। आगरा के बाद एक होटल पर नाश्ता करके जब बस चली तो दूसरा चालक स्टेयरिंग पर था। वह ठीक नहीं था। अजय के अनुसार वह नशे में था। अजय ने हाईवे के होटलों व ढाबों पर सवाल उठाया, जहां बसें रुकती हैं। उसने कहा कि सवारी बसें रोकने पर होटलों व ढाबों में चालक का स्वागत शराब, गांजा, बीड़ीं व सिगरेट से होता है। जब बस ढाबे पर रुकी वहां भी शराब पी गई थी। जिससे यह हादसा हुआ। 

आज शादी में पहुंचना था और बेटे की अर्थी उठी 

अजय ने बताया कि उसकी मां की तबियत ठीक नहीं है, इसलिए सोचा था कि दिल्ली लाकर इलाज कराएंगे। 19 नवंबर को मामा लखींदर चौधरी के बेटे की शादी भी थी। इसलिए पूरे परिवार के साथ गांव के लिए निकले थे। सोचा था शादी के बाद मां को लेकर लौट आएंगे। लेकिन किस्मत की मार देखिए, गांव ही नहीं पहुंच पाए। पत्नी आईसीयू में भर्ती है और शादी वाले दिन ही बेटे की अर्थी उठी।

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