मेरा शहर मेरी प्रेरणा : बरेली का औद्योगिक विकास तभी जब होगा ‘साफ्टवेयर टेक्नालॉजी पार्क’

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Published By Monis Khan
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निरंतर उन्नति कर रही बरेली में बीते एक दशक में चिकित्सा, शिक्षा व खाद्य प्रसंस्करण के क्षेत्र में काफी विकास हुआ है। इन क्षेत्रों में आगे भी खूब विकास होगा, साथ ही, इंजीनियरिंग व खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में भी इजाफा होगा, पर इसके लिए यहां ‘साफ्टवेयर टेक्नालॉजी पार्क’ की बहुत जरूरत है। ऐसा इसलिए है कि यहां के उद्यमियों व उद्यमों में कार्यरत श्रमिकों को समुचित डिजिटल तकनीक का जानकारी नहीं मिल पा रही है। 

अगर सरकार इसकी व्यवस्था करेगी, तो विकास की दौड़ में बरेली बहुत आगे होगी। इस शहर में पारंपरिक जरी जरदोजी व एग्रो आधारित प्लाईवुड का कारोबार भी बढ़ेगा। इंडियन इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के अध्यक्ष दिनेश गोयल का कहना है कि बुनियादी सुविधाओं में बगैर बदलाव के विकसित भारत का सपना पूरा नहीं हो सकेगा। उद्योगों के विकास पर फोकस करते हुए वे कहते हैं कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता यानी एआई के युग में उद्यमियों व उद्योगों में कार्यरत लोगों को बेहतर तकनीकी ज्ञान व प्रशिक्षण मिलेगा, तभी हम चीन व जापान जैसे देशों से प्रतिस्पर्धा की स्थिति में पहुंच पाएंगे। 

औद्योगिक विकास के लिए ‘डिटिजल नॉलेज’ वाले युवाओं की बहुत जरूरत है, ताकि उद्यमियों को ऐप समेत अन्य तकनीकी सुविधाएं मिल सकें। अध्यक्ष ने सवाल उठाते हुए कहते हैं कि मोबाइल के पार्ट बाहर से क्यों निर्यात कर रहे हैं। स्वदेश में क्यों नहीं तैयार किये जा रहे हैं। हमें लागत को कम कर ‘प्रतिस्पर्धी’ बनने की जरूरत है।

चीन व जापान से सीख लेने की जरूरत
भारत व चीन एक समय बराबर पर रहे हैं, पर बीते वर्षों में चीन ने अपनी ‘मेगा पॉलिसी’ के जरिये तरक्की की। उन्होंने उद्योगों के लिए संपूर्ण बुनियादी ढांचा बनाकर दिया। आईआईए के अध्यक्ष का कहना है कि हमें इन देशों से सीख लेने की जरूरत है। उद्योगों के बुनियादी ढांचे की ‘कास्ट’ अगर कम होगी, तभी उत्पाद सस्ते होंगे और हम चीन जैसे बाजार से प्रतिस्पर्धा कर सकेंगे। चीन में प्रति व्यक्ति उत्पादन सस्ता है। ‘वेंडरिंग’ सरल है। चीन में उत्पादों की अच्छी मार्केटिंग होती है। ऐसा भारत व उत्तर प्रदेश में भी होना चाहिए। उद्यमियों को वैश्विक बाजार से प्रतिस्पर्धा करने के लिए हर स्तर पर सुरक्षा की जरूरत है।

गांव-गांव के बजाय लगाए जायं एक जगह उद्योग
गांव-गांव के बजाय एक ही क्षेत्र में उद्योग लगाये जायं तो इससे बुनियादी खर्चा बचेगा और उत्पाद सस्ते होंगे। चारों से ओर से लगभग 250 किलोमीटर दूरी पर स्थित बरेली में अच्छे ‘फीचर’ डालने होंगे। प्रदेश के औद्योगिक विकास के विजन-2047 में बरेली की भूमिका अहम होगी। सांस्कृतिक व पर्यटन के क्षेत्र में यहां बहुत संभावनाएं हैं। पर एकीकृत विकास जरूरी है। सूचना तंत्र का विकास भी बहुत आवश्यक है। होटल मैनेजमेंट की तरह आईटीआई के छात्रों को उनके संस्थान में रोजगार देना उपलब्ध कराया जाना चाहिए। इससे उन्हें रोजगार मिलेगा, साथ ही, वे उद्योगों की जरूरत से अनुसार वे तैयार हो सकेंगे।

उद्यमियों को उपलब्ध नहीं कराया जा रहा डाटा 
विकास के लिए ‘नियोजित प्लान’ की जरूरी है तो उसके लिए समुचित डाटा भी होना चाहिए। बरेली में उद्योगों के पास विकास के लिए समुचित डाटा नहीं है। सरकार भी डाटा उपलब्ध नहीं करा रही है। बरेली में विकास के 35000 करोड़ के एमओयू हुए, जिसमें सात हजार करोड़ के कार्य लागू हो सके हैं। बाकी फिलहाल नजर नहीं आ रहा है, जबकि जीएसटी देने के मामले में प्रयागराज मंडल पहला है तो बरेली पांचवें स्थान पर है।

परिवहन के लिए शुरू किये जायं रिवर पोर्ट
आईआईए के अध्यक्ष का कहना है कि मान्यताप्राात औद्योगिक संगठनों में कार्यालयों में सरकार को ‘नॉलेज बैंक’ स्थापित करना चाहिए, साथ ही, माल की बेहतर परिवहन व्यवस्था के लिए राज्य सरकार को ‘रिवर पोर्ट’ शुरू करना चाहिए। अध्यक्ष ने कहा कि उन्होंने राज्य सरकार को इस सिलसिले में सुझाव दिये गये हैं। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वाराणसी में रिवर पोर्ट शुरू करने की बात कही है। इससे माल के परिवहन व्यवस्था में सुधार आएगा। उन्होंने कहा कि विदेशों में उद्यमियों को प्राथमिकता देने के लिए राज्य सरकार को नोडल एजेंसी बनानी होगी। साथ ही, हमें विभाग के उद्योगों के कार्यालयों को सुसज्जित करना होगा।

साफ्टेवयर टेक्नालॉजी पार्क में होनी चाहिए बड़ी कंपनियां 
जैसे प्रदेश के लिए ‘साफ्टेवयर टेक्नालॉजी पार्क’ का महत्व ज्यादा है, उसी तरह बरेली में यह पार्क बनाना होगा। इसके आपरेशन सिस्टम में बड़ी कंपनियों को आना होगा, ताकि ‘जॉब’ में आने वाले युवाओं को बेहतर प्रशिक्षण दिया जा सके और इसका लाभ सभी लोगों को मिल सके। आईआईए के अध्यक्ष का कहना है कि आज हमें छोटे उद्योगों में तकनीकी सिस्टम को चलाने के लिए ‘वर्क फोर्स’ की जरूरत है, पर वह उपलब्ध नहीं है। युवा एनसीआर या अन्य बड़े शहरों में चले जा रहे हैं। जो ‘स्किल’ पैदा हो रहा है, उसका लाभ नहीं मिल पा रहा है। इसके लिए जरूरी है कि हम उन्हें स्थानीय उद्योग से जोड़कर रखें।

तो अच्छा हो सकता था प्लास्टिक उत्पादन 
बरेली हमेशा से केमिकल व सिंथेटिक उद्योग के लिए जानी जाती है, इस कारण इसके पुराने जानकार भी यहां उपलब्ध हैं, आज अगर बुनियादी ढांचा होता, तो अच्छा प्लास्टिक उत्पादन हो सकता था। इन चीजों का ‘क्लस्टर’ दे पाते। उनका कहना है कि मेडिकल उपकरण बहुत सा पार्ट केमिकल पर आधारित है, उन चीजों का उत्पादन कर सकते हैं। पूरे प्रदेश में भेज सकते हैं, इसके लिए डाटा सेंटर, कंसल्टेंट व तकनीकी ज्ञान रखने वाले लोगों की जरूरत है।

उद्योगों के विकास के लिए मीडिया की अहम भूमिका
उद्योगों के विकास में मीडिया की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है। मीडिया पारदर्शिता के साथ जागरूकता फैलाने का कार्य करता है। इसी से चीजें आगे बढ़¬ रही है। उन्होंने कहा कि क्रांति तो इसी से आ सकती है। वीडियो व प्रिंट मीडिया के स्वरूप को लेकर उन्होंने कहा कि डिजिटल तो जरूरी है, पर प्रिंट बहुत जरूरी है, क्योंकि ‘प्रिंट मीडिया’ ही सही तथ्य प्रस्तुत करता है।

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