रिटायर्ड आईएएस सूर्य प्रताप सिंह की गिरफ्तारी पर हाईकोर्ट ने लगाई रोक

Amrit Vichar Network
Published By Amrit Vichar
On

विधि संवाददाता लखनऊ। हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने रिटायर्ड आईएएस अधिकारी सूर्य प्रताप सिंह को बड़ी राहत देते हुए, उनके खिलाफ उन्नाव जनपद के कोतवाली थाने में दर्ज मुकदमे में गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है। यह रोक पुलिस द्वारा जांच पूरी करने के बाद दाखिल रिपोर्ट अथवा अग्रिम सुनवाई तक रहेगी। वहीं सूर्य प्रताप …

विधि संवाददाता
लखनऊ। हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने रिटायर्ड आईएएस अधिकारी सूर्य प्रताप सिंह को बड़ी राहत देते हुए, उनके खिलाफ उन्नाव जनपद के कोतवाली थाने में दर्ज मुकदमे में गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है। यह रोक पुलिस द्वारा जांच पूरी करने के बाद दाखिल रिपोर्ट अथवा अग्रिम सुनवाई तक रहेगी। वहीं सूर्य प्रताप सिंह की ओर से उनके अधिवक्ता ने न्यायालय को आश्वासन दिया कि वह भविष्य में ट्विट करते समय सावधानी बरतेंगे।

यह आदेश न्यायमूर्ति रमेश सिन्हा व न्यायमूर्ति जसप्रीत सिंह की खंडपीठ ने सूर्य प्रताप सिंह की याचिका पर पारित किया। याची का कहना है कि उन्होंने 13 मई 2021 को एक ट्विट किया था जिसमें गंगा में बहते शवों की तस्वीर थी। उनके खिलाफ दर्ज एफआईआर में कहा गया है कि याची द्वारा अपने ट्विट के साथ लगाए गए फोटोग्राफ्स 13 जनवरी 2014 के थे जिसे उसने हाल का बताकर नफरत फैलाने और तनाव पैदा करने के उद्देश्य से इस्तेमाल किया।

याची की ओर से दलील दी गई कि उसे जैसे ही एहसास हुआ कि उक्त फोटोग्राफ्स का दुरूपयोग हो सकता है, उसने तत्काल अपना ट्विट डिलीट कर दिया। कहा गया कि याची के खिलाफ आईपीसी की धारा 153, 465 व 505, महामारी अधिनियम की धारा 21, आपदा प्रबंधन अधिनियम की धारा 54 व आईटी एक्ट की धारा 67 के तहत एफआईआर दर्ज की गई है।

कोर्ट के सामने दी गई ये दलील

दलील दी गई कि एफआईआर के किसी भी तथ्य से उक्त धाराओं में मुकदमा नहीं बनता। कहा गया कि इसी आरोप में वाराणसी के लंका थाने में भी उसके खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है। याची के अधिवक्ता ने सर्वोच्च न्यायालय द्वारा 30 अप्रैल को की गई टिप्पणी का भी उल्लेख किया जिसमें शीर्ष अदालत ने कहा था कि रिपोर्टिंग करने अथवा अपनी शिकायत सोशल मीडिया पर पोस्ट करने के लिए किसी के खिलाफ एफआईआर नहीं की जा सकती।

न्यायालय ने याची पक्ष की दलीलें सुनने और भविष्य में उसके द्वारा सावधानी बरतने के आश्वासन को देखते हुए, अंतरिम राहत का आदेश पारित किया। साथ ही न्यायलाय ने एफआईआर खारिज किये जाने की मांग पर राज्य सरकार से छह सप्ताह में जवाब तलब भी किया है।

 

संबंधित समाचार