बरेली: 37 दिन बाद खुला बाजार, सड़कें जाम, सामाजिक दूरी दरकिनार, देखें तस्वीरें
बरेली,अमृत विचार। कोरोना संक्रमण दर कम होने के 37 दिन बाद सोमवार को बाजार खुले तो सड़कें जाम हो गयीं। सन्नाटे के आगोश में डूबे शहर में चहल-पहल बढ़ी तो बाजार खिलखिलाए तो नजर आए लेकिन उमड़ी भीड़ आगामी दिनों के लिए खतरे का संकेत भी देती नजर आई। राज्य सरकार ने आंशिक लाकडाउन हटाने …
बरेली,अमृत विचार। कोरोना संक्रमण दर कम होने के 37 दिन बाद सोमवार को बाजार खुले तो सड़कें जाम हो गयीं। सन्नाटे के आगोश में डूबे शहर में चहल-पहल बढ़ी तो बाजार खिलखिलाए तो नजर आए लेकिन उमड़ी भीड़ आगामी दिनों के लिए खतरे का संकेत भी देती नजर आई।
राज्य सरकार ने आंशिक लाकडाउन हटाने के बाद साफ तौर पर निर्देश दिये हैं कि बाजार खुलने के दौरान व्यापारियों को कोविड नियमों का पालन करना है लेकिन बाजार खुलने के दौरान सामाजिक दूरी का पालन नहीं हुआ। सबसे अधिक भीड़ श्यामगंज, कुतुबखाना और बासमंडी में दिखी। कोविड प्रोटोकॉल दूर-दूर तक नजर नहीं आया।
बाजार की सड़कों के साथ चौराहे भी जाम रहे। लोग आपस में सटकर गुजरते दिखे। बटलर प्लाजा में तो तमाम दुकानदार मास्क भी नहीं पहने हुए थे। कई दुकानों के अंदर ग्राहकों की भीड़ दिखी। पिछले साल भी अनलॉक प्रक्रिया शुरू होने के बाद बाजारों में कुछ ऐसे ही हालात देखने को मिले थे।
श्यामगंज बाजार
दुकानें खुलते ही भीड़ टूट पड़ी जिससे बाजार में जाम की स्थिति रही। ऑटो, हाथ ठेलों की रेलमपेल मची हुई थी। सोशल डिस्टेंसिंग कहीं नजर नहीं आ रही थी। लोगों को एक- दूसरे से सटकर आगे बढ़ना पड़ रहा था। तमाम लोग तो मास्क भी नहीं लगाए थे।

पटेल चौराहा
यहां ट्रैफिक का दबाव इस कदर था कि जाम के झाम में फंसे लोगों के पसीने छूट गए। रविवार को प्रशासन ने सख्ती की बात कही थी, लेकिन चौराहे पर कोई पुलिस कर्मी नहीं दिखा। जिसका जहां मन हुआ वहां वाहन मोड़ दिया। देर शाम तक कुछ इसी तरह की स्थिति चौराहे पर देखने को मिली।

आलमगिरीगंज
बाजार में स्थिति बेहतर देखने को मिली। यहां ग्राहकों की आवाजाही तो बनी हुई थी, लेकिन भीड़ जैसी स्थिति देखने को नहीं मिली। अपने प्रतिष्ठानों के भीतर व्यापारी कोविड प्रोटोकॉल के नियमों का पालन करते दिखाई दिए।

नावल्टी चौराहा
शहर के प्रसिद्ध इस रेस्टोरेंट पर भी कोविड गाइडलाइन की जमकर धज्जियां उड़ीं। कई ग्राहक तो ऐसे भी दिखे, जिन्होंने मास्क तक नहीं लगाया था। दुकान मालिक भी कोरोना जैसे त्रासदी से बेखबर दिखा। कोविड सुरक्षा के लिहाज से कोई इंतजाम नहीं दिखे।

बांसमंडी
तस्वीरें देखकर लोगों की बेपरवाही का अंदाजा स्वयं लगाया जा सकता है। व्यापारियों ने दुकानों के बाहर माल सजाकर रोड घेर रखी है। भीड़ को नियंत्रण करने के लिए पुलिस प्रशासन की तरफ से भी कोई इंतजाम नहीं है। भीड़ का दबाव बढ़ा तो रोड जाम हो गया।

बटलर प्लाजा
चौकी चौराहा स्थित मोबाइल मार्केट पूरी तरह से जाम थी। लोग पैदल निकलने के लिए भी रास्ता तलाश रहे थे। यहां की दुकानों में खूब भीड़ बनी हुई थी। सोशल डिस्टेंसिंग तो दूर की बात, कइयों के चेहरे पर मास्क तक नजर नहीं आ रहे थे।

व्यापारियों के खिले चेहरे
“महामारी के चलते दुकान में ग्राहकों के बैठने की सीटें कम कर दी हैं, ताकि भीड़ जमा न हो सके। हमें अपने साथ-साथ ग्राहकों की सुरक्षा का भी ख्याल रखना होगा।” -हरीश अरोरा, इलेक्ट्रानिक कारोबारी
“दुकान में आने वाले ग्राहक भी सुरक्षित रहें, इसका पूरा ख्याल रखा जा रहा है। अब दोबारा से कोरोना न फैले, सुरक्षा के लिहाज से इसके पूरे बंदोबस्त किए गए हैं।” -संजीव मित्तल, हार्डवेयर व्यापारी
“बड़ी त्रासदी के दौर से हम सब गुजरे हैं। आगे ये स्थिति न बने, इसलिए सुरक्षा के सभी उपाय अपनाए जा रहे हैं। सतर्कता से कारोबार कर रहे हैं।” -राजेश जसौरिया, महानगर महामंत्री, उप्र उद्योग व्यापार मंडल
“सभी व्यापारी भाइयों से अपील की है कि वह दुकानों पर भीड़ न लगने दें। जो मास्क न लगाए, उसे सामान न दें। खुद भी बिना मास्क के दुकान पर न बैठे।” -जफर बेग, प्रदेश उपाध्यक्ष, उद्योग व्यापार प्रतिनिधि मंडल।
साफ सफाई में निकल गया पूरा दिन
एक महीने से अधिक समय से अधिकांश कारोबारियों की दुकानें बंद हैं। बड़े-बड़े शोरूमों पर ताले लटके हैं। लाकडाउन के दौरान जिला प्रशासन से संचालकों को किसी तरह की छूट नहीं मिली थी। सोमवार को छूट मिलने के बाद प्रतिष्ठानों में पहुंचे तो हालात बदतर नजर आए। धूल से दुकानें पटीं थीं। जगह-जगह जाला लगा था। लिहाजा, पूरा दिन साफ सफाई में ही निकल गया। कई बड़े शोरूम संचालकों की मानें तो एक से दो दिन तो व्यवस्थाएं दुरुस्त करने में लगेगा। इसके बाद ही काम चालू हो पाएगा।
