बरेली: राधा-कृष्ण के वस्त्रों पर चढ़ी महंगाई, 10 से 15 प्रतिशत महंगे
बरेली, अमृत विचार। इस बार भी कोरोना काल की गाइडलाइन के अनुसार ही श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव मनाया जाएगा। कोरोना काल में जिस तरह से हर चीज के दाम बढ़े हैं, उसी तरह राधा-कृष्ण के वस्त्रों पर भी महंगाई का रंग चढ़ गया है। वस्त्र 10 से लेकर 15 प्रतिशत तक महंगे हो गए हैं। इससे …
बरेली, अमृत विचार। इस बार भी कोरोना काल की गाइडलाइन के अनुसार ही श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव मनाया जाएगा। कोरोना काल में जिस तरह से हर चीज के दाम बढ़े हैं, उसी तरह राधा-कृष्ण के वस्त्रों पर भी महंगाई का रंग चढ़ गया है। वस्त्र 10 से लेकर 15 प्रतिशत तक महंगे हो गए हैं। इससे आम आदमी को जन्माष्टमी मनाने के लिए जेब ढीली करनी पड़ेगी।
हालांकि, बाजार में मूर्ति और वस्त्रों की खरीदारी बढ़ गयी है। घरों को गुब्बारों और लाइटों से सजाने के लिए तमाम तरह की चीजें बाजार में सजी हुई हैं। कन्हैया के दीवाने बाजार से वस्त्र और आभूषण खरीदने पहुंच रहे हैं। शुक्रवार को कुतुबखाना, बड़ा बाजार समेत अन्य बाजार की दुकानों पर ग्राहकों की खासी भीड़ देखी गयी।
हम लोग सीजन पर ही दुकान लगाते हैं। वस्त्र और भगवान के आभूषण बेचते हैं। दुकान पर लोग वस्त्र और पालना खरीदने पहुंच रहे हैं। – अशोक दिवाकर, दुकानदार
हम जन्माष्टमी पर कान्हा जी के लिए वस्त्र और आभूषण खरीदने के लिए आए थे। दुकानों पर नई डिजाइन के वस्त्र और आभूषण खरीदे हैं। -उपासना, ग्राहक
आज से ही दुकानों पर ज्यादा ग्राहक आने शुरू हुए हैं। लोग कान्हा की पोशाक और आभूषण खरीदने आ रहे हैं। इस बार वस्त्रों पर 10 फीसदी मंहगाई बढ़ी है। -सोनू, दुकानदार
हमारी बर्तनों की दुकान है और हम भगवान की मूर्तियों और वस्त्रों को बेचते हैं। इस साल मूर्तियां लगभग 50 फीसदी महंगी हो गई हैं।-जगदीश सरन अग्रवाल
बदायूं, बरेली, पीलीभीत, शाहजहांपुर आदि जिलों के दुकानदार हमारे यहां से भगवान के सभी सामान लेकर जाते हैं। कुछ मूर्तियां यहीं तैयार कराते हैं और कुछ आगरा से मंगाते हैं। -अनुराग देवल, थोक विक्रेता
मूर्तियां नहीं बिकीं तो कर्ज में डूब जाएंगे मूर्तिकार
कोरोना काल में जो भी त्योहार मनाए गए, उसमें कारोबारियों को नुकसान ही हुआ है। राज्य सरकार ने सभी पाबंदियां हटा दीं तो मूर्तिकारों को भी लगा कि इस बार जन्माष्टमी पर मूर्तियों का कारोबार ठीकठाक हो जाएगा। इसलिए कुछ मूर्तिकारों ने बाजार से कर्ज तो कुछ ने पत्नी के जेवर गिरवी रखकर श्रीकृष्ण की मूर्तियां बनायी हैं। शहर में पीलीभीत रोड और मिनी बाईपास समेत अन्य स्थानों पर सड़क किनारे मूर्तियां बनाने वालों के डेरे हैं। ये लोग राजस्थान से आकर वर्षों से बरेली में रह रहे हैं।
पुश्तैनी काम है इसलिए इसे छोड़कर अन्य कोई काम भी नहीं कर पाते हैं। शुकवार को अमृत विचार के संवाददाता ने कई मूर्तिकारों से बात की तो वे परेशान दिखे। अपनी पीड़ा बताते हुए बताने लगे कि राधा कृष्ण की मूर्तियां तैयार की हैं लेकिन ग्राहक नहीं आ रहे हैं। मूर्तिकारों ने बताया कि पिछले साल से हम लोग घाटे में जा रहे हैं। सड़क के किनारे रहकर पूरे परिवार के साथ मूर्तियां बनाते हैं। अभी तक पिछले साल से भी कम मूर्तियां बिकी हैं। यही हालात रहे तो हम लोग कर्ज से डूब जाएंगे।
बताते हैं कि पिछले साल का कर्ज भी नहीं चुका पाए हैं। देनदार अपना पैसा मांग रहे हैं। अब ऐसे में उन लोगों को कर्ज कैसे चुकाएंगे। इस साल काम शुरू किया है तो उसके लिए भी कर्ज लेना पड़ा है। परिवार का गुजारा करना मुश्किल हो रहा है। अगर इस साल भी मूर्ति नहीं बिकीं तो हम लोगों के ऊपर बहुत कर्ज हो जाएगा।
हम करीब 15 सालों से मूर्ति बनाने का काम कर रहे हैं। पिछली साल से मूर्तियां कम बिक रही हैं। जिसके कारण दिक्कत हो रही है।- बाघाराम, सतीपुर चौराहा
हम पिछले 45 सालों से बरेली में रहकर मूर्ति बनाने का काम कर रहे हैं। हमारे परिवार में करीब 25 लोग हैं सभी मूर्तियों की आय पर निर्भर हैं। मूर्ति न बिकने के कारण हमारे ऊपर कर्ज हो गए है पिछले साल की बनी हुई मूर्तियां ही नहीं बिकी है। -संग्राम सिह, मूर्तिकार, मिनी बाईपास
हम पूरे परिवार के साथ बरेली में रहकर मूर्ति बनातें है। जन्माष्टमी को दो दिन ही बचे हैं लेकिन अभी तक एक भी मूर्ति नहीं बिकी है। ऐसे में खर्चा निकालना मुश्किल हो रहा है। -केसर, मूर्तिकार कुदेशिया फाटक
पिछले साल भी मूर्ति नहीं बिकी जिसमें जेवर गिरवी रखकर 20 हजार रूपए लिए थे जिन 2 फीसदी माह का ब्याज चल रहा है। इस साल के काम को शुरू करने के लिए पत्नी के कुंडल गिरवी रखें हैं तब जाके काम शुरू किया है। -सोनू, मूर्तिकार कुदेशिया पुल
