पीलीभीत : जुआरी छोटू बोला-इंस्पेक्टर भी ले रहे थे पैसा…कुछ तो सोचना चाहिए था

Amrit Vichar Network
Published By Amrit Vichar
On

पीलीभीत, अमृत विचार। पूरनपुर में जुआरियों की धरपकड़ का गुडवर्क ही सोशल मीडिया पर वायरल ऑडियो पुलिस के लिए फजीहत का सबब बन गया है। सिपाही और जुआरी के रिश्तेदार के बीच 13 मिनट की बातचीत में साफ कहा गया है कि जुआरियों से प्रतिमाह डेढ़ से दो लाख रूपये पुलिस वसूलती थी। सीओ,इंस्पेक्टर और …

पीलीभीत, अमृत विचार। पूरनपुर में जुआरियों की धरपकड़ का गुडवर्क ही सोशल मीडिया पर वायरल ऑडियो पुलिस के लिए फजीहत का सबब बन गया है। सिपाही और जुआरी के रिश्तेदार के बीच 13 मिनट की बातचीत में साफ कहा गया है कि जुआरियों से प्रतिमाह डेढ़ से दो लाख रूपये पुलिस वसूलती थी। सीओ,इंस्पेक्टर और हल्का दरोगा से लेकर सिपाही तक सबका हिस्सा तय था। अब इस पूरे मामले में अधिकारी जांच के नाम पर पुलिस की साख बचाने में जुट गए हैं। अभी कार्रवाई के नाम पर सिर्फ एक सिपाही को बली का बकरा बनाया गया है।

पूरनपुर कोतवाली पुलिस और जुआरियों के बीच बातचीत के वायरल आडियो ने खाकी की कार्यशैली पर सवाल खड़े कर दिए है। पूरनपुर में लल्लन सिंह का तबादला होने के बाद वीरेंद्र विक्रम को सीओ बनाया गया। पुराने सीओ के जाते ही इसकी शिकायतें बढ़ी तो नए सीओ की देखरेख में पुलिस दबिश दी। अपना गुडवर्क बढ़ाचढ़ा कर बताने के लिए जुआरियों को पकड़ने की घटना को मुठभेड़ दिखा दिया। हालांकि बड़े पैमाने पर किए जा रहे धंधे के सापेक्ष कार्रवाई औपचारिकता मात्र ही नजर आई।

इसी बीच आरोपियों की गिरफ्तारी के बाद पुलिस और जुआरियों के बीच बातचीत के ऑडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गए। इन ऑडियो ने पुलिस विभाग के कई जिम्मेदारों की कलई खोलकर रख दी है। पूर्व सीओ,मौजूदा इंस्पेक्टर से लेकर दरोगा-सिपाहियों की धंधेबाजों से सेटिंग की बात खुलकर सामने आ गई। इसके एवज में डेढ़ से दो लाख रूपये प्रतिमाह पुलिस को देना की बात कही गई है। पकड़े गए जुआरियों को मुठभेड़ में दिखाकर उनका चालान कर दिया गया है। महकमें की साख बचाने के लिए अभी भी सख्त कदम नहीं उठाए जा सके हैं। जबकि सीधे तौर पर वसूली के आरोप पुराने सीओ,इंस्पेक्टर पर लगे है। यह बात वायरल ऑडियो में खुद निलंबित सिपाही ने भी कबूल की है।

गौकसी का भी वसूला जा रहा है पैसा
योगी सरकार में गौकसी रोकने के लिए तमाम सख्ती की जा रही है। शासन प्रशासन इसको लेकर कार्रवाई का दावा भी करता है। मगर नेपाल और उत्तराखंड सीमा से सटे जनपद में पूरी तरह से इसकी रोकथाम नहीं हो सकी है जिसके चलते गौकसी के मामले तेजी से बढ़ने लगे है। पूरनपुर कोतवाली इस धंधे के लिए लंबे समय से चर्चित है। इस बार भी जुए के मामले में वायरल हुई ऑडियो में पूरनपुर कोतवाल के इस अवैध धंधे को चालू रखने के एवज में मोटी रकम वसूलने की बात कही गई है।

सिपाही बोला छोटू भाई इसमें मेरी गलती क्या है ?
पकड़े गए एक जुआरी के रिश्तेदार से की जा रही बातचीत में निलंबित किया गया सिपाही रोहित सब कुछ साफ बोल रहा है। जब एक आरोपी के पकड़े जाने को लेकर नाराजगी जताई गई तो सिपाही ने यहां तक कह दिया कि सेटिंग उसके माध्यम से हुई थी। अब अधिकारी तो बच जाएंगे, मगर उसकी नौकरी चली जाएगी। सिपाही बोला छोटू भाई ये बताओ मेरी गलती क्या है।

इंस्पेक्टर बोले-गौकसीकरने वालों की साजिश
सिपाही और जुआरी के बीच बातचीत का ऑडियो वायरल होने के बाद संगीन आरोपों में घिरे पूरनपुर इंस्पेक्टर हरीश वर्धन सिंह का कहना है कि निलंबित किए गए सिपाही की आरोपियों से दोस्ती थी। उस पर विभागीय कार्रवाई की जा चुकी है। पूरे मामले की जांच एएसपी कर रहे हैं। सिपाही के मोबाइल की कॉल डिटेल भी निकलवाई जाएगी। मेरे ऊपर लगाए गए आरोप निराधार हैं। गौकसी करने वालों पर कार्रवाई की, इसलिए अब गौकसी के धंधेबाज पुलिस को बदनाम करने की साजिश रचने में जुटे हैं।

एक माह पहले ढाबा मालिक से वसूली में हुई थी फजीहत
पूरनपुर में पुलिस पर वसूली के आरोप लगना कोई नई बात नहीं है। अभी एक माह पहले ही एक ढाबा मालिक को धमकाकर वसूली की गई थी। पुलिस ने डोडा बरामदगी का डर दिखाकर वसूली की थी। इसमें भी सिपाहियों पर एफआईआर हुई थी। हालांकि बाद में पुलिस ने ढाबा मालिक से अपने पक्ष में लिखवा लिया था। इससे पहले मार्च 2020 में असम हाईवे के पास की एक राइस मिल में जुए की सूचना पर दबिश दी गयी थी। इनमें कुछ रसूखदार भी बताए गए थे। दबिश के बाद भगदड़ में एक जुआरी को चोट भी आ गयी थी। इस मामले में पुलिस पर मौके से मिले ढाई लाख रुपये का गोलमाल करने का आरोप लगा था। काफी फजीहत भी हुई। पहले मामले से अनभिज्ञता जताई गई, बाद में एसपी ने जांच बैठाई। मगर समय के साथ पूरा मामला ही दबा दिया गया।

सोशल मीडिया पर वायरल ऑडियो के प्रमुख अंश
छोटू- नमस्ते भाई मैं छोटू बोल रहा हूं।
सिपाही- हां बता;
छोटू- अरे यार क्या मामला है ये यार।
सिपाही- अरे यार कुछ नहीं यार पड़ी लकड़ी हो गई। सबसे बात थी, सब कुछ था। मेरी बात सुन। सीओ साहब से बात थी, उधर बात थी तू मेरी गलती बता तुम्हारी गलती थी।
छोटू- तुम्हारी कोई गलती नहीं। सीओ साहब से बात थी, इंस्पेक्टर साहब से बात थी।
सिपाही- सुनो सुनो मेरी बात सुनो।
छोटू- हां।
सिपाही- पिछले सीओ चले गए, ये वाले सीओ ने रेड डाल दी, बता किसकी गलती है।
छोटू- तुम्हारी गलती नहीं है, लेकिन इंस्पेक्टर साहब को देखना चाहिए था।
सिपाही- फिर वही बात बड़े भाई। मैं तो अभी भी तुम्हारे साथ खड़ा हूं।
छोटू- अरे तुम तो मेरे साथ हो, मगर यूसुफ वाला मामला तो देख लो।
सिपाही- यूसुफ वाला कौन सा।
छोटू- अरे पापा यूसुफ भी बंद हैं न, वही बच जाते, तालिब बगैराह बंद हो जाते।
सिपाही- मेरे भाई सुन, सीओ साहब तो चले गए। उन्हें भी कुछ सोंचना चाहिए था न।
छोटू- डेढ़ लाख दो लाख रूपये महीना जो भी जा रहे थे। अब देखो बेइज्जती वाला मामला है।
सिपाही- बेइज्जती तो मेरी खुद है। मेरी तो नौकरी ही दाव पर रखी है।
छोटू- चलो छूटकर तो आ जाएंगे, जुए का केस है, मगर अब बता रहे हैं मुठभेड़ में रखेंगे।
सिपाही- मैं तो भाई खरा आदमी हूं। मेरी गलती बता। सुन कल तालिब भाई आए थे। हल्के वाले दरोगा, जो भी सिपाही पकड़ने गया, उनसे भी बात थी।
छोटू- चलो सीओ साहब बदल गए थे, दरोगा इंस्पेक्टर पूरा डिपार्टमेंट पैसे ले रहा था। इंस्पेक्टर साहब, दरोगा की तो गलती है।
सिपाही- मेरी जीषान भाई से बात हुई, उन्हें पता है पूरी बात बाद में सिपाही फंसता है। हम फंस रहे हैं।
छोटू- भाई पिता जी बच जाते बस, पैसे जा रहे थे। इतनी बड़ी रकम कौन देता है। तुम्हे भी फांस दिया, हमें भी।
सिपाही- तुम मेरी बात सुन तालिब भाई छूटकर आएं, उनसे पूछिए उसने दिए पैसे, अपने हाथ से दिए। सीओ साहब को दिए जिसे भी दिए, मेरे सामने दिए। मैं तो फंस रहा हूं, मेरी तो नौकरी गई ही है। मैं तो सामने कह दूं, हां दिए हैं।
छोटू- नहीं भाई तुम्हारी नौकरी नहीं जाएगी। तुम्हारी तो फिर लग जाएगी।
सिपाही- अरे मेरी गलती बता बस, एक रूपये का भी गुनाहगार हूं।
छोटू- इंस्पेक्टर साहब जब पैसा ले रहे थे, फिर भी उसके बाद ये पकड़ गया। अब गाय कट रही, उसका पैसा ले रहे हैं इंस्पेक्टर साहब। हर जगह इनके काम ऐसे हैं। पडडा देखो खुलेआम कटवा रहे हैं ये। इंस्पेक्टर साहब को तो सोंचना चाहिए था न। इंस्पेक्टर साहब गए और लोगों को पकड़ लाए, जब पैसा आ रहा।
सिपाही- सुन ये क्या साथ में गए थे पकड़ने। अरे सुन फंसा तो मैं ही हूं।
छोटू- चलो सीओ साहब चेंज हो गए, इंस्पेक्टर साहब थे, हल्के के दरोगा थे। इन लोगों को बताना चाहिए था। पैसे भी दे रहे थे, बताना चाहिए था न।
सिपाही-इंस्पेक्टर सीओ का मामला था दरोगा-सिपाही क्या करता। अब मैने परसों उनको बोला था सीओ साहब चेंज हो गए। छोटू भाई अधिकारी अपनी गर्दन बचाता है, सिपाही फंसता है।
छोटू- बड़े चालाक हैं इंस्पेक्टर साहब, नाम देखो हर्षवर्धन;
सिपाही- अरे उन्होंने पटेल पर मुकदमा लिखा दिया था, हम किस खेत की मूली हैं।
छोटू- चलो अभी देख रहे हैं भाई जान। इंस्पेक्टर साहब से बात हुई।
सिपाही- अरे अब कौन कबूल देगा हम ले रहे थे। सब लेते थे।
छोटू- तुम्हारी गलती नहीं है, अब देखो मुठभेड़ दिखा रहे हैं। अभी देखते हैं फिर बात करते हैं।
सिपाही- किसी से कोई बात हुई।
छोटू- नहीं, किससे बात करें; है कोई।
सिपाही- कोई अपना बंदा हो तो उससे बात कर लो।
छोटू- चलो फिर बात करने के बाद बताते हैं।

इस मामले पुलिस अधीक्षक पीलीभीत दिनेश कुमार का कहना है कि मामाले में एक सिपाही को निलंबित किया जा चुका है। एएसपी पूरे मामले की जांच कर रहे हैं। प्रकरण को गंभीरता से लिया गया है। जांच रिपोर्ट मिलने के आगे कार्रवाई होगी।

संबंधित समाचार