मुरादाबाद : वादों के ‘वेंटीलेटर’ पर जूझ रही घायलों की जिंदगी, सेंटर पर नहीं हो सकी स्टाफ की तैनाती

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मुरादाबाद, अमृत विचार। वक्त के साथ वर्ष 2021 भी समाप्ति की ओर है, हर साल की तरह इस बार भी उम्मीद थी कि जिले में स्वास्थ्य सुविधाएं बेहतर हो सकेंगी। इसकी वजह है कि मुरादाबाद पश्चिमी यूपी का सबसे महत्वपूर्ण जिला है। इसके बाद भी बेहतर उपचार के लिए मरीज और तीमारदार दिल्ली और मेरठ …

मुरादाबाद, अमृत विचार। वक्त के साथ वर्ष 2021 भी समाप्ति की ओर है, हर साल की तरह इस बार भी उम्मीद थी कि जिले में स्वास्थ्य सुविधाएं बेहतर हो सकेंगी। इसकी वजह है कि मुरादाबाद पश्चिमी यूपी का सबसे महत्वपूर्ण जिला है। इसके बाद भी बेहतर उपचार के लिए मरीज और तीमारदार दिल्ली और मेरठ की दौड़ लगाने के लिए मजबूर हैं।

यह कहने में जरा भी गुरेज नहीं हैं कि जिले में पूरे साल सिर्फ वादों के वेंटीलेटर पर मरीजों की जिंदगी जूझती रही। ये मरीज अधिकतर सड़क हादसों में गंभीर रूप से घायल होने वाले यात्री थे। कई बार बेहतर उपचार न मिलने के कारण इन घायलों के परिजनों ने हंगामा भी किया। इसके बाद भी कोई काल के गाल में समा गया तो कोई जिंदगी भर के लिए अपाहिज हो गया। तमाम हो-हल्ला और राजनीतिक वादों के बाद ट्रॉमा सेंटर तो खुल गया।

जिला अस्पताल में इसके लिए भवन भी बना दिया गया। लेकिन, वह एक छलावा साबित हो रहा है। इसकी वजह है कि इस सेंटर में चार साल बीतने के बाद भी स्टाफ की तैनाती नहीं हुई है।

समय पर उपचार न मिलने पर रास्ते में दम तोड़ देते हैं घायल
सेंटर बनने के दौरान चार सर्जन व छह फार्मासिस्ट के साथ 14 पद सृजित किए गए थे। लंबा समय होने के बाद भी सभी पद रिक्त चल रहे हैं। गंभीर घायलों को दिल्ली या फिर मेरठ रेफर कर दिया जाता है। कई बार समय से उपचार न मिल पाने के कारण वे रास्ते में ही दम तोड़ देते हैं। अगर जिले की बात करें तो तीन साल में हुए 1532 हादसों में 1178 राहगीरों की जान जा चुकी है, जबकि 1065 से अधिक यात्री घायल हो चुके हैं।

जिला अस्पताल के सीएमएस डॉ. शिव सिंह ने बताया कि ट्रामा सेंटर चार साल पहले बन गया था। अभी इसका स्टाफ नियुक्त नहीं हो सका है। अभी दुर्घटना के मामले जिला अस्पताल की आपातकालीन सेवा में ही देखे जा रहे हैं। स्टाफ की तैनाती के लिए शासन को पत्र भेजा जा चुका है।

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