चिंतित करती घटनाएं
पिछले दिनों देश के कई राज्यों में सांप्रदायिक हिंसा की घटनाएं सामने आई हैं। फिलहाल स्थितियां नियंत्रण में हैं लेकिन लोग असहज महसूस कर रहे हैं। हिंदू और मुस्लिम संगठनों ने एक-दूसरे पर हिंसा भड़काने का आरोप लगाया है। सोमवार को उच्चतम न्यायालय में दाखिल याचिका में उत्तराखंड, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और दिल्ली में एक …
पिछले दिनों देश के कई राज्यों में सांप्रदायिक हिंसा की घटनाएं सामने आई हैं। फिलहाल स्थितियां नियंत्रण में हैं लेकिन लोग असहज महसूस कर रहे हैं। हिंदू और मुस्लिम संगठनों ने एक-दूसरे पर हिंसा भड़काने का आरोप लगाया है। सोमवार को उच्चतम न्यायालय में दाखिल याचिका में उत्तराखंड, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और दिल्ली में एक के बाद एक हुई हिंसा की जांच राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) से करवाने की मांग की गई है।
याचिकाकर्ता वकील ने कहा है कि कई राज्यों में हुई ऐसी घटनाएं सिर्फ संयोग नहीं हो सकतीं। इनके तार आपस मे जुड़े हो सकते हैं। सांप्रदायिक तनाव पैदा करना देश की संप्रभुता के लिए खतरा है। राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए सभी मामलों की साझा जांच एनआईए से करवाने की ज़रूरत है। निस्संदेह, हाल ही की हिंसा की घटनाएं परेशान करने वाली हैं।
ऐसा पहली बार नहीं है कि बहुसंख्यकों व अल्पसंख्यकों के त्योहार आसपास आएं हैं लेकिन इनको लेकर टकराव की घटनाएं विचलित करती हैं। सभी राज्यों में हिंसा का स्वरूप एक सा रहा है। चिंता यह है कि यदि इस प्रकार की घटनाएं सुनियोजित नहीं होती हैं तो दंगाइयों के हाथों में धारदार हथियार, बंदूक, पत्थर और पेट्रोल बम आदि अचानक कहां से आ जाते हैं?
आज के माहौल में देश में आज़ादी का अमृत महोत्सव मनाना बेमानी लगता है। आजादी के इतने वर्षों बाद भी हम धार्मिक सहिष्णुता का पाठ नागरिकों को क्यों नहीं पढ़ा पाए। इसकी बुनियाद में बढ़ती सामाजिक दूरी ही है। लोगों को इतना परिपक्व क्यों नहीं बना पाए कि वे सांप्रदायिक ध्रुवीकरण की कोशिशों को सिरे से खारिज कर सकें। बहुसंख्यक व अल्पसंख्यक समाज को इसे गंभीरता से लेना होगा कि किसी भी तरह का ध्रुवीकरण अंतत: सामाजिक समरसता के लिए घातक होता है।
इस बात का भी खयाल रखा जाना चाहिए कि ऐसी हिंसा से समाज का कमजोर वर्ग ही प्रभावित होता है। देश की प्रगति के लिए धार्मिक सहिष्णुता जरूरी है। यह देश एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र है। जब देश में विकास की प्राथमिकताओं की बात होती है तो फिर सांप्रदायिक आधार पर ध्रुवीकरण की जरूरत क्यों होती है? देश के सांप्रदायिक सौहार्द्र को खराब करने में राजनीतिक दलों की बड़ी भूमिका रही है।
अब हिंसा की घटनाओं को लेकर राजनीति भी शुरू हो गई है। जबकि इस तरह की घटनाओं को राजनीतिक रंग नहीं दिया जाना चाहिए। याद रखना चाहिए कि ध्रुवीकरण और सांप्रदायिक हिंसा से आर्थिक गतिविधियों को नुकसान पहुंचता है। ऐसी घटनाओं से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश की छवि खराब होती है।
