पीलीभीत: चोला मंडलम फाइनेंस कंपनी के प्रबंधक समेत सात पर एफआईआर

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पीलीभीत, अमृत विचार। चोला मंडलम फाइनेंस कंपनी के प्रबंधक, रिकवरी व कलेक्शन कर्मचारी समेत सात लोगों के खिलाफ धोखाधड़ी और अमानत में खयानत की धाराओं में एफआईआर दर्ज की गई है। जिसमें किश्त की रकम दिए जाने के बाद भी कार को खिंचवाने के आरोप लगाए गए हैं। पुलिस ने कार स्वामी से मिली शिकायत …

पीलीभीत, अमृत विचार। चोला मंडलम फाइनेंस कंपनी के प्रबंधक, रिकवरी व कलेक्शन कर्मचारी समेत सात लोगों के खिलाफ धोखाधड़ी और अमानत में खयानत की धाराओं में एफआईआर दर्ज की गई है। जिसमें किश्त की रकम दिए जाने के बाद भी कार को खिंचवाने के आरोप लगाए गए हैं। पुलिस ने कार स्वामी से मिली शिकायत पर इस मामले को पुलिस ने पहले जांच के नाम पर टाल दिया था। अब कोर्ट के आदेश पर कार्रवाई की गई।

बीसलपुर कोतवाली क्षेत्र के गांव कितनापुर निवासी जुम्मा खां ने दर्ज कराई रिपोर्ट में बताया कि उन्होंने एक कार साढ़े पांच लाख रुपये में खरीदी थी। डेढ़ लाख रुपये कैश दिए गए थे, जबकि चार लाख रुपये का चोला मंडलम इंवेस्टमेँट एंड फाइनेंस कंपनी से लोन कराया था। कंपनी का पीलीभीत मुख्यालय पर कार्यालय है। फाइनेंस कंपनी के कलेक्शन कर्मचारी मुकेश कुमार को वह लगातार किश्त की रकम देते आ रहे हैं। छह अक्टूबर 2021 को ड्राइवर कार लेकर काम से कचहरी की तरफ गया था।

इस बीच कंपनी के रिकवरी विभाग के कर्मचारी अमित मिश्रा चार अज्ञात साथियों को लेकर आए और उनकी कार खींचकर ले गए। ड्राइवर को एक रसीद देकर यह बताया गया कि लोन की किश्त जमा नहीं की गई है। इसकी जानकारी मिलने पर वह चोला मंडलम कंपनी के पीलीभीत स्थित कार्यालय पर गए। यहा बताया गया कि जुलाई और दिसंबर माह की किश्त जमा नहीं की गई है, जबकि किश्त की रकम पीड़ित कंपनी के कर्मचारी मुकेश को दे चुके थे। मगर, उसने इन रुपयों को कंपनी में जमा नहीं कराया।

प्रबंधक नीरज झा ने यह कहा कि दोनों किश्त जमा करने के बाद गाड़ी छोड़ दी जाएगी। किसी तरह रकम की व्यवस्था कर दोबारा कंपनी के कार्यालय गए तो प्रबंधक ने किश्तें जमा करने से ही इनकार कर दिया। कर्मचारी को पहले दी गई किश्त की रकम भी वापस नहीं की। कई चक्कर लगाने के बाद भी कोई सुनवाई नहीं हुई। घटना की तहरीर कोतवाली पुलिस को दी गई। मगर, पुलिस ने जांच के नाम पर टाल दिया। इसके बाद एसपी कार्यालय में भी शिकायत की, लेकिन वहां भी सुनवाई नहीं हो सकी। अंत में न्याय पाने के लिए पीड़ित ने कोर्ट की शरण ली।

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