रायबरेली: स्पेनिश भाषा में आल्हा-ऊदल पर हो रहा शोध, विदेशों में भी गूंजेगा बुंदेलखंडी राजाओं का शौर्य
सरेनी/ रायबरेली, अमृत विचार। बुंदेलखंडी लोक साहित्य आल्हा के वीर नायकों आल्हा ऊदल की वीरता पर दिल्ली के जेएनयू में शोधर्ती सुशील कुमार स्पैनिश भाषा मे शोध कर उनकी वीर गाथाओं को सात समंदर पार पहुंचाएंगे। सरेनी विकास खण्ड के लखनापुर निवासी एक सुशील कुमार दिल्ली के जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय से स्पैनिश भाषा और …
सरेनी/ रायबरेली, अमृत विचार। बुंदेलखंडी लोक साहित्य आल्हा के वीर नायकों आल्हा ऊदल की वीरता पर दिल्ली के जेएनयू में शोधर्ती सुशील कुमार स्पैनिश भाषा मे शोध कर उनकी वीर गाथाओं को सात समंदर पार पहुंचाएंगे।
सरेनी विकास खण्ड के लखनापुर निवासी एक सुशील कुमार दिल्ली के जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय से स्पैनिश भाषा और साहित्य में शोध कर रहे हैं। सुुशील ने इसी विश्वविद्यालय से स्नातक, परास्नातक व एमफिल की डिग्री हासिल की है। अब वह अपने बुंदेलखंड की शान आल्हा और ऊदल पर स्पेन के एक महाकाव्य ”एल कान्तार दे मियो सिद” के मध्य शोध कर रहे हैं।
आल्हा ऊदल की वीर गाथाएं देश के अनेक हिस्सो में गाई जाती है। महोबा क्षेत्र का कण-कण आल्हा-उदल की वीरता का गुणगान करता है। आज आल्हा गायन एक विधा के रूप में हमारे मध्य विद्यमान है। इसी कीर्तिमान को स्पेन तक पहुंचाने की दिशा में सुशील कुमार का योगदान साहित्य के क्षेत्र में मील का पत्थर साबित होगा। महत्वपूर्ण सिद्ध होगा | आने वाले समय मे ऐसी गौरव गाथाओं और लोक कथाओं को विदेशों तक पहुंचाने और इस दिशा में शोध कार्यो को आगे ले जाना उनकी प्राथमिकता में रहेगी।
सुशील ने बताया कि स्पैनिश भाषा में रोजगार के तमाम अवसर है, देश के प्रमुख विश्विद्यालयों मे स्पैनिश भाषा को सर्टिफिकेट, डिप्लोमा, और डिग्री पाठयक्रमों में सम्मिलित किया गया है तथा प्रमुख विद्यालयों मे भी यह भाषा द्वितीय भाषा के रूप में पढ़ाई जाती है।
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