बरेली: कोषागार कार्यालय में व्यवस्था को लगी 'ठंड', फर्श पर बैठ फार्म भर रहे पेंशनर

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Published By Vishal Singh
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जीवित प्रमाण जमा करने कोषागार आ रहे पेंशनरों को झेलनी पड़ रहीं दुश्वारियां

कलेक्ट्रेट स्थित कोषागार कार्यालय में जीवित प्रमाण पत्र जमा करने के लिए आने वाले पेंशनरों की समस्याएं कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। गुलाबी सर्दी के बीच

बरेली, अमृत विचार। कलेक्ट्रेट स्थित कोषागार कार्यालय में जीवित प्रमाण पत्र जमा करने के लिए आने वाले पेंशनरों की समस्याएं कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। गुलाबी सर्दी के बीच व्यवस्था को ही 'ठंड' लग गई है। कोषागार दफ्तर के सामने चंद बेंच ही पड़ी हैं। ऐसे में काफी संख्या में पेंशनरों के आने से उनके लिए बैठने की व्यवस्था नहीं हो पा रही है। मजबूरी में फर्श पर बैठकर वह फार्म भर रहे हैं। पेंशनरों को हो रही समस्या को देखकर भी जिम्मेदार मुंह फेर ले रहे हैं।

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कलेक्ट्रेट स्थित कोषागार में इन दिनों जीवित प्रमाण पत्र जमा करने के लिए सुबह से शाम तक पेंशनरों की भीड़ लग रही है। वह अपने जीवित होने का प्रमाण पत्र भरने के बाद हस्ताक्षर कर जमा कर रहे हैं। वैसे तो प्रमाण पत्र अब साल के किसी भी माह में जमा किया जा सकता है। जिस माह में जमा करेंगे आने वाले साल में उसी माह में दोबारा जमा करना होता है, लेकिन नवंबर में संख्या ज्यादा होती है।

ऐसा ही हाल इन दिनों कोषागार दफ्तर के सामने देखने को मिल रहा है। विभागीय आंकड़ों के अनुसार, जिले में करीब 22000 पेंशनर हैं। 400 से 500 पेंशनर रोजाना प्रमाण पत्र जमा करने के लिए आ रहे हैं। अधिक संख्या में आने से उनके लिए बैठने की कोई व्यवस्था नहीं है। सोमवार को भी काफी संख्या में महिला, पुरुष पेंशनर कोषागार के सामने फर्श पर बैठकर फार्म भर रहे थे। पास में ही जिम्मेदार अफसरों के दफ्तर हैं।

पहले दरी और कुर्सी की होती थी व्यवस्था
कोषागार दफ्तर से जुड़े जानकारों की माने तो ऐसा इस बार हुआ है कि पेंशनरों की समस्या की काेई सुध लेने वाला नहीं है
, जबकि इससे पहले ऐसा नहीं होता था। बताते हैं कि 50 से 60 कुर्सियां और दरी बिछवा दी जाती थी, जिससे जिन्हें कुर्सी पर बैठना होता था वह कुर्सी पर बैठ जाते थे बाकी दरी पर बैठ जाते थे।

जीवित प्रमाण पत्र जमा करने के लिए कोषागार दफ्तर आया था। यहां बैठने की कोई व्यवस्था नहीं है। इसलिए फर्श पर बैठकर फार्म भर रहा हूं-धर्म सिंह, पेंशनर

फार्म तो भरना ही है। बैठने के लिए कुर्सी और बेंच नहीं हैं तो जमीन में ही बैठकर भर रहा हूं। यह दिक्कत इस बार हुई है। पहले व्यवस्था हो जाती थी-अजब सिंह, पेंशनर

अरे बेटा मेरी कौन सुनता है। क्या किसी को दिख नहीं रहा कि हम लोग जमीन पर बैठकर फार्म भर रहे हैं, लेकिन क्या करूं मजबूरी है-श्यामलाल, पेंशनर

पेंशनरों को कोई दिक्कत नहीं हो रही है। उनके बैठने के पर्याप्त इंतजाम हैं। अंदर हाल भी है, लेकिन ठंड की वजह से हाल में कोई जाता नहीं है। पर्याप्त कुर्सी, बेंच हैं। अब कोई अचानक इतनी संख्या में आ जाएंगे तो कहां से व्यवस्था की जाएगी-पारसनाथ गुप्ता, सीटीओ।

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