चित्रकूट: बिजलीकर्मियों की हड़ताल से जनजीवन अस्त-व्यस्त, पानी के लिए तरसे किसान   

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Published By Jagat Mishra
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चित्रकूट, अमृत विचार। बिजलीकर्मियों के कार्य बहिष्कार का आम आदमी की दिनचर्या पर बुरी तरह असर पड़ रहा है। आलम यह है कि फाल्ट होने के बाद घंटों बिजली गायब रह रही है और कोई सुनवाई नहीं हो रही। प्रशासन की कवायद और कर्मचारियों की वैकल्पिक नियुक्ति का असर भी नहीं नजर आ रहा। गांवों में तो हालत और भी ज्यादा खराब हैं। अंधकार तो है ही साथ ही ट्यूबवेल ठप पड़े होने से पलेवा आदि खेती के काम बाधित हैं। 

ऊर्जा निगमों के शीर्ष प्रबंधन पर हठधर्मिता और स्वेच्छाचारिता का आरोप लगाते हुए विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति की अगुवाई में बिजलीकर्मी 29 नवंबर से कार्य बहिष्कार पर हैं। इस हड़ताल ने जिले की बिजली व्यवस्था को चरमरा कर रख दिया है। मुख्यालय सहित गांव-कस्बों में त्राहि त्राहि की स्थिति है। 

गुरुवार शाम को रानीपुर भट्ट सब स्टेशन की लाइन में खराबी आने से अमानपुर, कपसेठी, बेड़ी पुलिया, विकासनगर, चकमाली आदि तमाम मुहल्लों और गांवों में बिजली ठप हो गई। यह शुक्रवार रात तक दुरुस्त नहीं हो पाई थी। उधर, भरतकूप फीडर से जुड़े गांवों में भी बिजली की दिक्कत की बात सामने आई है। यहां के लभग 450 ट्यूबवेल। लोढ़वारा फीडर में खराबी आने से 250। बरगढ़ पाठा जलकल का कटिया पेयजल योजना भी बिजली न होने से ठप है। इससे लगभग दो गांव-मजरों की जलापूर्ति ठप है। 

मानिकपुर में सुभाषनगर, शास्त्रीनगर में तीन दिन से लाइट नहीं है। रामनगर ब्लाक के हन्ना, गंज, सिरावल, हन्ना,गंज,सिरावल, टिकरा,पिपरौन, छीबो,सहित अन्य गांव अंधेरे की आगोश में डूबे। उधर, जिलाधिकारी अभिषेक आनंद ने लोगों की दिक्कतों को देखते हुए विभिन्न विभागों के कर्मचारियों की सब स्टेशनों पर वैकल्पिक तैनाती भी की है। पर इनको बिजली के संबंध में ज्यादा जानकारी न होने से व्यवस्थाएं पटरी पर नहीं आ रहीं। छीबों पावर हाउस में तैनात सिंचाई विभाग के सहायक अभियंता सिंचाई प्रथम भीखम चंद्र ने बताया कि बिजली बनाने की जानकारी नहीं है। ऐसे में वे बिजली तो बना नहीं पाएंगे हां, उपभोक्ताओं को समझाने का प्रयास जरूर करेंगे।  

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