मुरादाबाद : ज्ञान के मंदिर में पर्यावरण संरक्षण का उद्देश्य साकार

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Published By Bhawna
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आतिथ्य सत्कार की अनूठी परंपरा, केंद्रीय विद्यालय में संजोई सुगंधित, मनोरम, पोषण, फल वाटिका

केंद्रीय विद्यालय में लगे पौधे।

मुरादाबाद,अमृत विचार। पहल अच्छी हो तो कारवां भी बनता है। कुछ ऐसी ही सोच लेकर केंद्रीय विद्यालय आए प्रधानाचार्य विजेश कुमार जब ज्ञान के मंदिर में पर्यावरण संरक्षण के मकसद को साकार करने के लिए बढ़े तो शिक्षक और छात्र भी उनके हमकदम बन गए। उन्होंने आतिथ्य सत्कार की अनूठी पहल के साथ ही पर्यावरण संरक्षण का मकसद ज्ञान के मंदिर में साकार किया। विद्यालय की पुष्प वाटिका में खुशबू और हरियाली है। 

मेरठ निवासी विजेश कुमार 2012 में केंद्रीय विद्यालय में चयनित हुए। अरुणाचल, असम से होकर मुरादाबाद पहुंचे हैं। यहां भी उन्होंने शिक्षा के साथ सामाजिक सरोकार को चरितार्थ किया। मुरादाबाद में आतिथ्य सत्कार की अनूठी परंपरा डाल कर पौधे लगाने की सार्थक सोच को शिक्षकों-छात्रों के सहयोग से साकार किया। विद्यालय के किसी छात्र का जन्मदिन हो या शिक्षकों के परिवार में मांगलिक या दुख का अवसर इस पर स्कूल में पौधे लगाकर यादगार बनाया जाता है। विद्यालय में आने वाले अतिथियों का सत्कार पौधे देकर किया जाता है। आज इस ज्ञान के मंदिर की बगिया में 5000 से अधिक पौधे पल्लवित पुष्पित हो रहे हैं। इसमें औषधीय गुण के साथ ही अपने सुगंध से मन मस्तिष्क पर जादू करने वाले भी फूल देने वाले पौधे यहां वाटिका की शोभा बढ़ा रहे हैं। 

खुशी हो या गम, पौधे लगाने का जोश नहीं होना चाहिए कम
ज्ञान के इस मंदिर में शिक्षकों के परिवार में भी कोई शुभ कार्य हो या गम का माहौल उसे यादों में संजोने के लिए पौधे लगाए जाते हैं। पांच साल के कार्यकाल में प्रधानाचार्य की सोच ने विद्यालय को रमणीक स्थल में परिवर्तित कर दिया है। वह आने वालों से पौधा लगाने की अपील कर पर्यावरण संरक्षण को मजबूती देने के अभियान को आगे बढ़ाते हैं।

नीम-पीपल से दे रहे स्वस्थ रहने का संदेश
विद्यालय परिसर में स्थापित पुष्प वाटिका में सुगंधित चंपा, चमेली, रात की रानी, हरसिंगार, परिजात, चांदनी के अलावा औषधीय गुण वाले रुद्राक्ष, नीम, पीपल, बरगद और विशिष्ट तौर पर चंदन आदि औषधीय पौधों का भंडार है। पांच वर्ष में इस विद्यालय में 5000 से अधिक पौधे लगाए गए हैं।

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