बरेली: रिहायशी इलाकों में सियार और भेड़िये पैदा कर रहे खौफ
मोनिस खान, बरेली, अमृत विचार। जंगलों से निकलकर भेड़िये और सियार रिहायशी इलाकों में पहुंचकर लोगों में खौफ पैदा कर रहे हैं। रिहायशी इलाकों में इनकी बढ़ती संख्या डरावने वाली है। इनके झुंड रात में जानवरों के साथ इंसानों पर भी हमला कर रहे हैं। वन विभाग इसको बेहद हल्के में ले रहा है। जब कोई घटना होती है तब विभाग की टीम मौके पर तो पहुंचती है लेकिन इससे निपटने के लिए विभाग के पास भी कोई एक्शन प्लान नहीं है।
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बरेली मंडल में सियार और भेड़ियों की संख्या सामाजिक वानिकी में भयावह है। बरेली जनपद में 418 भेड़िया और 1350 सियार वन विभाग ने वन्य जीव गणना के दौरान चिन्हित किए गए। जहां बरेली में भेड़ियों की संख्या तो बदायूं में सियारों की संख्या अधिक है। पीलीभीत और शाहजहांपुर में भेड़ियों की संख्या शून्य है। आम तौर पर सियार और भेड़िया गन्ने के खेतों और ग्रामीण क्षेत्रों में मौजूद झाड़ियों में रहते हैं। इनका 10 से 15 की संख्या में हमेशा झुंड आता है।
बरेली में बहेड़ी, नवाबगंज, फरीदपुर, आंवला वन रेंज में इनकी संख्या सबसे अधिक है, लेकिन सिटी रेंज में भी भेड़ियों और सियारों की दस्तक से इनकार नहीं किया जा सकता। बीते दिनों पीलीभीत बाइपास रोड स्थित फाइक एंक्लेव में अपनी पोती को शाम में टहलाने निकली बुजुर्ग महिला पर सियार ने हमला कर दिया था। बाद में महिला को इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती करना पड़ा था।
वहीं आंवला के फरीदपुर ग्राम में एक 40 वर्षीय महिला पर सियार ने हमला किया था। इन सब घटनाओं के बावजूद वन विभाग द्वारा कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। गांव सिन्हा भुता ब्लॉक निवासी प्रेम शंकर ने बताया कि रात को सियार के हमले का खतरा अधिक रहता है। बीते दिनों मवेशियों और ग्रामीणों पर हमले की कई घटनाएं हो चुकी हैं। भुता ब्लॉक के ही नरेंद्र गंगवार निवासी गांव ककरा का कहना है कि वन विभाग के अधिकारियों को इस पर ठोस कदम उठाया जाना चाहिए।
बरेली मंडल में सियारों की संख्या
जनपद नर - मादा- बच्चे- कुल
बरेली 830 451 69 1350
बदायूं 839 675 305 1819
शाहजहांपुर 379 370 65 814
पीलीभीत 672 497 349 1518
बरेली मंडल में भेड़ियों की संख्या
जनपद नर मादा बच्चे कुल
बरेली 219 139 60 418
बदायूं 07 06 0 13
शाहजहांपुर 0 0 0 0
पीलीभीत 0 0 0 0
शिकार की तलाश में देते हैं रिहायशी इलाकों में दस्तक
जंतु विशेषज्ञों की मानें तो आम तौर पर सियार और भेड़िया अपने से ज्यादा वजन का शिकार करने में सक्षम होते हैं। बरेली कालेज में जंतु विज्ञान के प्रो. डा. राजेंद्र सिंह ने बताया कि सर्दियों और बरसात के मौसम में इनकी दस्तक रिहायशी इलाकों में इसलिए बढ़ जाती है क्योंकि अधिकतर शिकार बरसात और सर्दियों में छिपकर रहते हैं। सियार और भेड़िया मांसाहारी हैं, इसलिए भोजन की तलाश में रिहायशी इलाकों में आकर पालतू मवेशियों को अपना निवाला बनाते हैं। इन्हें झुंड में रहना अधिक पसंद होता है। कई बार यह इंसान के बच्चों तक को उठाकर ले जाते हैं।
अगर किसी क्षेत्र से सूचना मिलती है तो दिखवाया जाता है। सियार और भेड़िया अक्सर झुंड बनाकर झाड़ियों और छोटे-छोटे जंगलों में रहते हैं। केवल सर्दियां ही नहीं इनकी प्रवृत्ति आम तौर पर भी हिंस क होती है। फरीदपुर, नवाबगंज, बहेड़ी, पीलीभीत रोड आदि जगह पर इनकी संख्या अधिक है। -ललित कुमार वर्मा, मुख्य वन संरक्षक, रुहेलखंड जोन
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