CSJM University के बाहर सपाईयों ने प्रो. विनय पाठक के खिलाफ दिया धरना, बोले- लुटेरे कुलपति को सरकार का संरक्षण प्राप्त

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Published By Kanpur Digital
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कानपुर में सपाईयों ने विश्वविद्यालय गेट पर दिया धरना।

कानपुर में सपाईयों ने विश्वविद्यालय गेट पर प्रो. विनय पाठक के भ्रष्टाचार के मामले में धरना दिया। सपाईयों ने लुटेरे कुलपति पर सरकार का संरक्षण प्राप्त होने का आरोप लगाया।

कानपुर, अमृत विचार। CSJMU University के कुलपति प्रो. विनय कुमार पाठक के भ्रष्टाचार के मामले में समाजवादी पार्टी ने मोर्चा खोल दिया। सपा ने विवादों में घिरे कानपुर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर विनय पाठक का पोस्टर जारी कर विश्वविद्यालय गेट पर विरोध में धरना दिया। जानकारी पाकर अधिकारियों ने विश्वविद्यालय गेट पर भारी पुलिस फोर्स तैनात कर दिया। 

आर्यनगर विधानसभा के विधायक अमिताभ बाजपेई ने युवाओं का आइकॉन बताया। साथ ही प्रो. विनय पाठक को अपने हाथों में चरण पादुका लेकर प्रोफेसर पाठक के लिए फरार बताया। कहा कि इसी पादुका चरण खड़ाऊ भरोसे विश्वविद्यालय को चलाया जा रहा।

इतना ही नहीं, प्रो. विनय पाठक को राष्ट्रपति भी बता दिया। इसी लिए कोई कार्यवाही नही होगी। समाजवादी कार्यकर्ताओं ने कहा प्रो पाठक तुसी ग्रेट हो, हजारों करोड़ रुपए कमाने वाला कुलपति ग्रेट हो, और तमाम आरोप लगाते हुये सपाई विश्वविद्यालय गेट पर धरना दे रहे। सपाईयों ने सरकार पर तंज कसते हुये प्रो पाठक के फोटो पर पैसों का हार चढ़ाया। कहा कि सबसे बड़े फ्रॉड कुलपति की जय हो।

दो माह से ज्यादा समय से लापता प्रो. विनय पाठक का 4 लाख रुपये का वेतन कानपुर विश्वविद्यालय ने पास किया। सपाईयों ने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के करीबी होने के कारण प्रो. विनय पाठक की गिरफ्तारी नहीं हो रही। लुटेरे कुलपति को सरकार का संरक्षण प्राप्त है। मौके पर सपा के आर्यनगर से सपा विधायक अमिताभ बाजपेई, कैंट विधायक हसन रूमी समेत सपा कार्यकर्ता मौजूद रहे। 

यह था मामला

बता दें कि विश्वविद्यालय में परीक्षा संबंधी कार्य करने वाली डिजीटेक्स टेक्नोलॉजी इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के मालिक डेविड मारियो डेनिस ने 30 अक्टूबर को आगरा के प्रभारी कुलपति रहे प्रो. विनय पाठक पर कमीशनखोरी पर आरोप लगाकर मुकदमा दर्ज कराया था। आरोप था कि एजेंसी के भुगतान के लिए वह 1.41 करोड़ रुपये प्रो. पाठक के कहने पर सहयोगी अजय मिश्रा को दिए हैं और अभी 10 लाख और मांग रहे हैं। 

एसटीएफ प्रो. पाठक के (जनवरी से सितंबर) कार्यकाल में भ्रष्टाचार और कमीशनखोरी की जांच कर रही है। इसमें टीम ने 50 दिन में अहम दस्तावेज और साक्ष्य जुटाए हैं। प्रो. पाठक के कार्यकाल में हुए भ्रष्टाचार की गवाह के तौर पर एसटीएफ ने चार के कोर्ट में बयान दर्ज करवा दिए हैं। इसमें विश्वविद्यालय के तीन वरिष्ठ प्रोफेसर हैं।

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