कोहरे का कहर: अब बचाव न किया तो फसलों को होगा नुकसान
अमृत विचार, लखनऊ। लगातार तापमान गिरने से फसलों पर विपरीत प्रभाव पड़ रहा है और पाला पड़ने पर संभावना बढ़ गई है। तीन-चार दिन तक मौसम इसी तरह रहा तो नुकसान होगा। ऐसे में अब लापरवाही भारी पड सकती है। इसलिए किसानों को फसलों का बचाव करना होगा। कृषि विज्ञान केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक व अध्यक्ष डॉ. अखिलेश कुमार दुबे के अनुसार गन्ना, केला, आलू व अन्य सब्जियों की किसान सिचाई करें।
इससे खेतों में नमी बनी रहने से तापमान का असर नहीं पड़ेगा। यदि दलहनी व तिलहनी के पौधों में फूल निकलने लगे हैं तो हल्की सिंचाई करें। देर से गेहूं बोने वाले किसान भी सतर्कता बरतें। यदि 20-21 दिन की फसल हो गई है तो सिंचाई करदें। खेतों पर सुबह-शाम धुआं भी करें। इससे कीट-राेग नहीं लगेंगे।
सब्जियों में डालें सल्फर
ऐसी स्थिति में किसान खासकर मटर व अन्य सब्जियों के पौधों में सल्फर घुलनसील 300 ग्राम 150 लीटर पानी में मिलाकर एक एकड़ में छिड़काव करें। यदि आलू की फसल की है तो धूप निकलने के दौरान मेटालैक्जिल के साथ मैंकोजेब 200 ग्राम 200 लीटर पानी में घोलकर छिड़कें।
झुलसा के लिए यह करें उपाय
अगेती व पछेती आलू को झुलसा से बचाने के लिए कॉपरऑक्सीक्लोराइड 50 प्रति डब्ल्यूपी की ढाई से तीन किलोग्राम मात्रा 800-1000 लीटर पानी में घोलकर एक एकड़ में छिड़काव करें।
गेहूं में ये छिड़कें कीटनाशक
गेहूं को गेरूई रोग से बचाने के लिए प्रोपिकोनाजोल 25 प्रति ईसी की 500 मिली मात्रा 750 लीटर पानी में मिलाकर एक एकड़ में छिड़क दें। गेहूं में संकरी पत्ती वाले खरपतवारों के नियंत्रण के लिए सल्फोसल्फ्यूरॉन 75 प्रति डब्लूपी 33 ग्राम 250-300 लीटर पानी में मिलाकर एक एकड़ में छिड़काव करें। चौड़ी पत्ती के खरपतवारों के लिए मेटसल्फ्यूरॉन इथाइल 20 प्रति डब्ल्यूपी की 20 ग्राम मात्रा 500-600 लीटर पानी में घोलकर प्रति हेक्टेयर छिड़कें।
मटर में ये डालें कीटनाशक
मटर की फसल में पाउड्री मिल्डयू रोग का प्रकोप फैलता है। इसके नियंत्रण के लिए कार्बेन्डाजिम 50 प्रति डब्ल्यू की 250-300 ग्राम 600-700 लीटर पानी में घोलकर प्रति हेक्टेयर छिड़कें। इसी तरह राई सरसों में सफेद गेरुई रोग के लिए मैंकोजेब 75 प्रति डब्ल्यूपी या जिनेब 75 प्रति डब्ल्यूपी की दो ग्राम मात्रा प्रति हेक्टेयर के लिए 600-700 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करना चाहिए।
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