बरेली: मामला कमाई का है... आखिर कैसे चूक जाएं माननीय

Amrit Vichar Network
Published By Vishal Singh
On

सीआईबी बोर्ड बनाकर बेचने वाले महिला समूह मायूस, सत्ताधारी जनप्रतिनिधियों ने की ठेकेदारों से काम कराने की मांग

महिपाल गंगवार/ बरेली,अमृत विचार। कहने को सरकार स्वयं सहायता समूहों के जरिए महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने की कोशिश कर रही है, लेकिन बरेली जिले में सत्तापक्ष के ही कई माननीय इसमें आड़े आ गए हैं। सिटीजन इनफार्मेशन बोर्ड (सीआईबी) बनाकर बेचने का काम उन्होंने महिला समूहों के बजाय ठेकेदारों से कराने की मांग की है। अफसर भी उनकी इस मांग से पसोपेश में पड़ गए हैं।

महिला समूहों की सदस्यों का कहना है कि सीआईबी बनाकर बेचने से उन्हें अच्छा लाभ हो रहा है, इसी कारण जनप्रतिनिधियों की नजर इस पर गड़ी हुई है। वे यह काम समूहों से छीनकर अपने ठेकेदारों को दिलाने की कोशिश कर रहे हैं और लगातार कहीं ब्लॉक स्तरीय और कहीं जिला स्तरीय अधिकारियों पर दबाव बनाए हुए हैं। हाल ही में मीरगंज, बिथरी चैनपुर और दमखोदा ब्लॉक में इस तरह के मामले सामने आ चुका है। दमखोदा के भीम समूह ने तो इसकी शिकायत भी सीडीओ से की थी, लेकिन हालात जस के तस हैं। महिलाओं का आरोप है कि उन्हें धमकाया जा रहा है कि अगर बोर्ड बनाने का काम बंद नहीं किया तो उनके समूह का पंजीकरण ही निरस्त करा दिया जाएगा।

बता दें कि महिला समूहों का काम आसान करने की जिम्मेदारी खंड विकास अधिकारियों की है लेकिन समूह के सदस्यों की शिकायत के बावजूद वे सत्ता के दबाव में कार्रवाई तो दूर जांच तक नहीं करा रहे हैं। जिला मुख्यालय पर शिकायत पहुंचने के बाद डीसी मनरेगा इसकी निगरानी करने के साथ सप्ताह में दो से तीन दिन खुद निगरानी के लिए गांवों में जा रहे हैं।

पहले रोजगार सेवक, अब नेता कर रहे धांधली
विभागीय सूत्र बताते हैं कि इस खेल में पहले रोजगार सेवक शामिल थे। वह अपने परिवार के किसी न किसी सदस्य के नाम पर समूह बनाकर वाउचर भरवाकर पैसा निकाल लेते थे। शिकायतें जब शासन स्तर पर हुई तो आदेश आया कि सीआईबी बोर्ड की शत प्रतिशत आपूर्ति महिला स्वयं सहायता समूह के माध्यम से ही की जाएगी। इसके बाद यह कामजब महिलाओं को मिला तो जनप्रतिनिधियों की ओर से अपने ठेकेदारों काे यह काम दिलाने का दबाव बनाया जाने लगा।

बिथरी और दमखोदा में सबसे ज्यादा शिकायतें
विकास खंड स्तरीय अफसरों पर दबाव और समूह की महिलाओं को धमकाकर सबसे अधिक खेल बिथरी और दमखोदा ब्लाक में होना बताया जा रहा है। गांव में सीआईबी बोर्ड लगे ही नहीं और रोजगार सेवक से साठगांठ कर वाउचर भरवाकर पैसा भी हड़प लिया गया। इस घपले में रोजगार सेवक से लेकर बीडीओ, एपीओ, समन्वयक तक प्रति बोर्ड 250 से 500 रुपये प्रति बोर्ड कमीशन तय बताया जाता है। एक बोर्ड की लागत करीब पांच हजार रुपये आती है।

ये है गाइड लाइन

  • सीआइबी बोर्ड का निर्माण स्वयं सहायता समूह ही करेगा।
  • जिस गांव में बोर्ड लगेंगे, उसी गांव का समूह बोर्ड तैयार करेगा।
  • बोर्ड का फोटो खींचने के फाइल में लगाया जाएग।
  • एडीओ फोटो का सत्यापन करेंगे, उसके बाद भुगतान होगा।
  • एक समूह को तीन से चार ग्राम पंचायतें भी दी जा सकती हैं।

कराएंगे जांच, होगी एफआईआर
पिछले दिनों इस तरह की शिकायतें आई थीं। जनपद भर में इस तरह की गड़बड़ी की जांच दोबारा डीसी मनरेगा को सौंपी जाएगी। सिफारिश का मतलब ही नहीं बनता। गड़बड़ी मिलने पर दोषी लोगों पर एफआईआईआर भी कराई जाएगी। जग प्रवेश, सीडीओ

ये भी पढ़ें- बरेली: तीन बाइकों पर 14  हुड़दंगी युवकों‌ को पुलिस ने थाने बुलाकर छोड़ा

संबंधित समाचार