माता पिता वा गुरु की सेवा से ही मुक्ति संभव :शास्त्री
भागवत कथा का शुक्रवार को हुआ समापन
जरवलरोड/ बहराइच, अमृत विचार। गुरूवलिया गांव के निकट रंजीत दास बाबा कुट्टी में चल रही भागवत कथा का शुक्रवार को समापन हुआ। वैदिक मंत्रोच्चार के बीच यज्ञ कुंड में आहुतियां दी गई। कथा समापन अवसर पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ रही। जय श्री राम और राधेश्याम के जयकारों से कथा मंडप गूंजता रहा।
गुरूवलिया गांव के निकट रंजीत दास बाबा कुट्टी में चल रहे सात दिवसीय राम कथा के आखिरी दिन कथा व्यास आचार्य पंडित जय प्रकाश शुक्ल शास्त्री ने माता पिता व गुरु के महात्मय का वर्णन करते हुए कहा कि मानव को यदि वास्तविक जीवन में मोक्ष की प्राप्ति के लिए माता पिता व गुरु की सेवा हमेशा करना चाहिए। विवाह का वर्णन करते हुए कथावाचक शास्त्री ने बताया कि विवाह चार प्रकार के होते हैं धर्म विवाह, गांधर्व विवाह, पिशाच विवाह, और राक्षस विवाह। सही विवाह वह है जो वर और कन्या पक्ष के आचार्य, माता-पिता की सहमति से होता है। जबकि गंधर्व विवाह वह है जो एक दूसरे को देखकर प्रभावित होकर विवाह किया जाता है। वहीं पिशाच विवाह जबरदस्ती किया जाता है जबकि राक्षस विवाह वह है जो दूल्हा बना कोई बैठा रहता है और दुल्हन लेकर कोई दूसरा जाता है।
कथावाचक ने भगवान कृष्ण की लीलाओं का वर्णन करते हुए रुकमणी प्रसंग भी सुनाया इसके बाद परीक्षित मोक्ष की कथा एवं अठारह पुराणों का वर्णन करते हुए कथा की पूर्णाहुति की। कार्यक्रम में ग्राम प्रधान उपेंद्र सिंह, पवन कुमार सिंह, कुंवर बहादुर, शशि कांत सिंह, पेशकर सिंह सहित सैकड़ों भक्त मौजूद रहे।
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