निराला की रचनाएं मानवतावाद से ओतप्रोत: विजय रंजन

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Published By Deepak Mishra
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अयोध्या, अमृत विचार। साहित्य भूषण सम्मान प्राप्त साहित्यकार विजय रंजन ने कहा कि सूर्यकांत त्रिपाठी निराला की कविताएं, कहानियां, उपन्यास सभी सकारात्मक, सात्विक मानवतावाद से ओतप्रोत हैं। साहित्यकार रंजन राष्ट्रवादी लेखक संघ के तत्वावधान में महाप्राण सूर्यकांत त्रिपाठी निराला की जयंती पर आयोजित ‘महाप्राण निराला का व्यक्तित्व एवं साहित्यिक अवदान’ विषय पर आयोजित संगोष्ठी को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे। 

इस अवसर पर राष्ट्रवादी लेखक संघ के जनपदीय इकाई का सर्वसम्मति से गठन किया गया। प्रोफेसर लक्ष्मीकान्त सिंह को संरक्षक,  वरिष्ठ लेखक- साहित्यकार विजय रंजन को अध्यक्ष व श्रीकान्त द्विवेदी को महामंत्री नियुक्त किया गया। विशिष्ट अतिथि बीएनकेबी महाविद्यालय अंबेडकरनगर के हिंदी विभागाध्यक्ष डॉक्टर सत्य प्रकाश त्रिपाठी ने निराला की ‘भिक्षुक’ और ‘वह तोड़ती पत्थर’ कविता का उदाहरण देते हुए कहा कि उन्हें छायावादी कवि के साथ-साथ प्रगतिवादी कहना भी उपयुक्त है। 

संगोष्ठी की अध्यक्षता डॉ. राम मनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय के भौतिकी एवं इलेक्ट्रॉनिक्स विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रोफेसर लक्ष्मीकान्त सिंह ने किया। कार्यक्रम का शुभारंभ मां सरस्वती व महाप्राण निराला के चित्रपट पर दीप प्रज्वलन के साथ हुआ। सभी ने एक-दूसरे को अबीर लगाकर बसंत उत्सव की बधाई भी दी। कार्यक्रम का संचालन सामाजिक कार्यकर्ता श्रीकान्त द्विवेदी ने किया।

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