S. Abdul Nazeer : कौन हैं आंध्र प्रदेश के नए राज्यपाल नियुक्त हुए SC के पूर्व जज एस. अब्दुल नजीर, जानिए इनके बारे में 

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Published By Vishal Singh
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अमरावती। सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त जज जस्टिस एस. अब्दुल नजीर को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने आंध्र प्रदेश का नया राज्यपाल नियुक्त किया है। वह अयोध्या जमीन विवाद केस और तीन तलाक केस में फैसला सुनाने वाली पीठ का हिस्सा रहे थे। बीते माह रिटायर हुए जस्टिस नजीर ने 2016 की नोटबंदी को वैध करार देने वाली पीठ का नेतृत्व किया था।

देश के 13 राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों को नए राज्यपाल (New Governors) मिल गए हैं। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू (Droupadi Murmu) ने कुछ नए चेहरों को राज्यों में केंद्र सरकार का प्रतिनिधि बनाकर भेजा है तो कुछ राज्यपालों का ट्रांसफर किया गया है। राष्ट्रपति भवन से जारी राज्यपाल के 13 नामों की लिस्ट में जो सबसे ज्यादा ध्यान आकर्षित कर रहा है, वो है- जस्टिस (रिटायर्ड) एस. अब्दुल नजीर का। जस्टिस एस. अब्दुल नजीर (S. Abduj Nazeer) पिछले महीने ही सुप्रीम कोर्ट जज के पद से रिटायर हुए हैं। 

जस्टिस नजीर अयोध्या राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद (Ayodhya Controversy) की सुनवाई करने वाले पांच जजों की पीठ का हिस्सा रह चुके हैं। सर्वोच्च न्यायालय की जिस पीठ ने 9 नवंबर, 2019 को अयोध्या विवाद का फैसला दिया था, जस्टिस नजीर उसके दूसरे सदस्य हैं जिन्हें रिटायरमेंट के बाद सरकारी नियुक्ति मिली है। जस्टिस नजीर से सुप्रीम कोर्ट के पूर्व प्रधान न्यायाधीश जस्टिस रंजन गोगोई (Ranjan Gogoi) को राज्यसभा सांसद बनाया जा चुका है। अब जस्टिस (रिटायर्ड) एस. अब्दुल नजीर को आंध्र प्रदेश का राज्यपाल नियुक्त किया गया है।

कौन हैं जस्टिस नजीर
जस्टिस एस. अब्दुल नजीर कर्नाटक में दक्षिण कन्नड़ जिले के एक दूर-दराज गांव से आते हैं। नजीर ने बचपन में ही अपने पिता को खो दिया था। स्कूली शिक्षा के दौर में ही पिता के निधन से पारिवारिक जिम्मेदारियों के बोझ तले दबे होने के बावजूद नजीर ने हिम्मत नहीं हारी। उन्होंने ग्रैजुएशन पूरा करने के बाद लॉ डिग्री ली और कर्नाटक की अदालतों में वकालत की प्रैक्टिस करने लगे। उन्होंने रिटायरमेंट के मौके पर आयोजित समारोह में एक बात कही थी जो किसी का दिल छू लेगी।

उन्होंने कहा था कि वो चाहते तो अयोध्या विवाद में बाकी चार जजों के उलट अपनी राय रखकर अपने समुदाय का हीरो बन जाते, लेकिन उन्होंने देशहित को सर्वोपरि समझा। ध्यान रहे कि सुप्रीम कोर्ट की पीठ में शामिल सभी पांचों जजों ने एकमत से अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के पक्ष में फैसला दिया था। जस्टिस नजीर तीन तलाक के खिलाफ फैसला देने वाली सुप्रीम कोर्ट बेंच के भी सदस्य रहे थे।

थिएटर का शौक, कानून का पेशा
एस. अब्दुल नजीर कर्नाटक में दक्षिण कन्नड़ जिला स्थित दूर-दराज के एक गांव में पैदा हुए थे। जब वो स्कूल में ही थे, तभी उनके पिता का देहांत हो गया जिससे उनके ऊपर परिवार का बोझ आ गया। लेकिन उन्होंने पढ़ाई नहीं छोड़ी। अब्दुल नजीर ने ग्रैजुएशन पूरा करके लॉ कॉलेज में एडमिशन ले लिया। वहां उन्होंने अपने एक शिक्षक की बात को अपने लिए प्रेरणा का वाक्य बना लिया। लॉ टीचर ने कहा था, अगर कोई कानून के पेशे में फिट नहीं बैठता है तो वो किसी पेशे में फिट नहीं बैठ सकता।

उन्होंने इसी वाक्य को दिल में सहेजकर कर्नाटक की अदालतों में वकालत करते रहे। लेकिन नजीर का एक और पैशन था- थिएटर। उन्होंने अपने पेशे को इस पैशन के आड़े नहीं आने दिया। उन्होंने नाटक लिखे, डायलॉग्स लिखे और अपने ही निर्देशन में खेले गए एक नाटक के मुख्य महिला गायिका की भूमिका भी निभाई। दरअसल, उस दौर में फीमेल सिंगर की भारी कमी होती थी। नजीर ने इस कमी को अपनी प्रतिभा से पाटा। जब वो जज बन गए, तो उन्हें पता चला कि महिला जजों की भी भारी कमी है।

2017 में सुप्रीम कोर्ट जज बने थे जस्टिस नजीर
सुप्रीम कोर्ट बार असोसिएशन की तरफ से आयोजित विदाई कार्यक्रम में (Justice Nazeer's farewell function) जस्टिस नजीर ने कहा, भारतीय न्यायपालिका लैंगिक असमानता से पीड़ित है। न्यायपालिका में महिलाओं का प्रतिनिधित्व बहुत कम है। जैसा कि (संयुक्त राष्ट्र के पूर्व महासचिव) कॉफी अन्नान ने कहा कि विकास के लिए महिला सशक्तीकरण से बड़ा कोई और औजार नहीं हो सकता।

जस्टिस नजीर वकालत शुरू करने के ठीक 20 वर्ष बाद 2003 में कर्नाटक हाई कोर्ट के जज नियुक्त हुए थे। वर्ष 2017 में उन्हें सुप्रीम कोर्ट का जज नियुक्त किया गया। विदाई कार्यक्रम में उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा, जस्टिस नजीर आम जन के जज हैं जो कानून की सभी शाखाओं के विशेषज्ञ हैं, खासकर दीवानी कानून (Civil Law) में। एक जज के रूप में जस्टिस नजीर का आचरण उत्कृष्ट रहा।

संस्कृत श्लोक से बताया धर्म का महत्व
जस्टिस नजीर ने अपने विदाई भाषण का अंत एक संस्कृत श्लोक के साथ किया। उन्होंने कहा, धर्मो रक्षति रक्षित:। मतलब, धर्म की रक्षा करेंगे तो धर्म आपकी रक्षा करेगा। उन्होंने कहा कि यह श्लोक एक जज के रूप में उनके करियर का मूल मंत्र रहा है। जस्टिस नजीर बोले, 'इस दुनिया में सब कुछ धर्म से ही स्थापित हुआ है। धर्म उसका विनाश कर देता है जो धर्म की हानि करते हैं। उसी तरह, धर्म उसका संरक्षण करता है जो धर्म को पोषित करते हैं।

राज्यपालों की लिस्ट में कई नए नाम
13 राज्यपालों की ताजा लिस्ट में शिव प्रताप शुक्ल, लक्ष्मण आचार्य बनारस, गुलाबचंद्र कटारिया, लेफ्टिनेंट जनरल कैवल्य त्रिविक्रम परनाइक समेत कुछ अन्य शख्सियतों को पहली बार राज्यपाल बनाया गया है। इसी लिस्ट में सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जस्टिस एस. अब्दुल नजीर भी शामिल हैं। 

वहीं, फागू चौहान, अनुसइया उइके, रमेश बैस आदि को एक राज्य से दूसरे राज्य में ट्रांसफर किया गया है। जस्टिस (रिटायर्ड) एस. अब्दुल नजीर को आंध्र प्रदेश का राज्यपाल बनाया (Andhra Pradesh New Governor) गया है जहां वाएसआर कांग्रेस का शासन है और मुख्यमंत्री जगनमोहन रेड्डी हैं। केंद्र की सत्ता में आसीन बीजेपी की नजर दक्षिण राज्यों पर है। पार्टी आंध्र प्रदेश में भी अपनी संभावनाएं तलाश रही है। जस्टिस नजीर खुद दक्षिण के राज्य कर्नाटक से हैं, इस कारण बीजेपी को आंध्र प्रदेश में अपना मकसद साधने में आसानी हो सकती है।

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